क्या आप भी इस दुर्लभ खगोलीय घटना का गवाह बनना चाहेंगे ?

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क्या आप भी इस दुर्लभ खगोलीय घटना का गवाह बनना चाहेंगे ?

नोट – कुछ दिन पहले ऐसी ही एक खबर बेटेलज्यूज की प्रकाशित की गई थी, मगर यह बेटेलज्यूज न होकर बेल्स1 है। 

विशालकाय एक तारा अपने जीवन की अंतिम सांसे ले रहा है। खत्म होते इस तारे शायद हम गवाह बन सकें। यह दुर्लभ खगोलीय घटना होगी। हर कोई इस घटना को देखना चाहेगा। बहरहाल वह सूरज से करोड़ो गुना अधिक रोशनी फेकने लगा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि खत्म होते किसी तारे को पहली बार वास्तविक समय में देख पा रहे हैं। जिस कारण यह नजारा खास बना हुआ है। तारों के वैज्ञानिकों की नजरें तो इस बेहिसाब चमकते तारे पर टिकी हुई हैं। इस तारे का नाम बेल्स 1 है, जो त्रिकोणीय आकाशगंगा मेसियर 33 में अपने जीवन का अंतिम सफर तय कर रहा है।
ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थाई नहीं है। जो आया है, उसे एक दिन जाना ही है। दुनिया जहान को रोशन करने वाले सितारों को भी इस दुनिया को अलविदा करना पड़ता है। बेल्स 1 तारे का जीवन भी अंतिम कगार पर जा पहुंचा है। इसका जीवन 10 मिलियन साल तक ही समित है। अब कभी भी वह भयानक विस्फोट के साथ सूपरनोवा में बदल सकता है। खोजकर्ता मैसाचुसेट्स स्थित टफ्ट्स विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र ओलिविया गौंट के अनुसार सितारा हिंसक मौत की ओर बढ़ रहा है। खगोलविद इसे वास्तविक समय में देख सकते हैं और यह पहली बार है, जब हम किसी तारे को वास्तविक समय में खत्म होते देख रहे हैं। यह हमारी पास की त्रिकोणीय आकाशगंगा मेसियर 33 में स्थित है। यह तारा वोल्फ-रेयेट तारों नामक अत्यधिक अस्थिर सितारों के एक वर्ग में संक्रमण के बीच में है। इस तारे ने अपने जीवन के अंतिम संकेत देना शुरू कर दिया है। सिर्फ चार साल के अंतराल में यह बदलाव नजर आया है। इससे पहले 2018 में पहली बार देखे जाने पर यह शांत था। अब यह तारा परमाणु संलयन के माध्यम से अपने भीतर गहरे कार्बन व लोहे का मंथन कर रहा है। जिस कारण इसे आसानी से सूर्य के द्रव्यमान का 25 गुना अधिक शानदार सुपरनोवा विस्फोट के रूप में देखा जा पहुंचा है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार बेल्स 1 जैसे वूल्फ रेयट सितारे तेजी से जीते हैं और उनके मौत का सफर मुश्किलभरा होता है। इसलिए किसी तारे को विकसित होते देखना खगोलविदों के लिए एक दुर्लभ और मूल्यवान अवसर है। हमारी मिल्की वे आकाशगंगा में अभी तक इस तरह के केवल 200 तारे ज्ञात हैं, जबकि खगोलविदों को उम्मीद है कि इनकी संख्या 1000 से 2,000 के बीच हो सकती है। मगर धूल व गैस से ढके होने के कारण उन्हे देख पाना संभव नहीं है।
खोजकर्ता ओलिविया गौंट ने हुएअमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की 242वीं बैठक में यह खोज साझा की। उन्होंने कहा कि यह खगोलीय घटना बेहद दिलचस्प है। यह वास्तविक समय में विकसित होने वाले वुल्फ-रेएट स्टार समूह का पहला तारा है।
श्रोत व फोटो : अर्थ स्काई।


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