क्या वास्तव में नीला बन पाएगा लाल ग्रह मंगल

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क्या नीला बन पाएगा लाल ग्रह मंगल 

लाल ग्रह मंगल को पृथ्वी की तरह नीले रंग में बदलने के लिए वैज्ञानिक प्रयास में जुट गए हैं। मानव की इस कोशिश के शुरुवाती चरण में सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि साढ़े तीन अरब साल पहले मंगल की धरती पर हजारों वर्ग किलोमीटर में फैला विशाल समंदर था। जिसके पुख्ता सबूत हाल ही में उन्हे अब जाकर मिले हैं। मंगल के उत्तरी गोलार्ध में यह विशाल सागर कभी मौजूद था। ऐसा नहीं है कि मंगल ग्रह पानी होने के सबूत पहली बार मिले है, लेकिन इस बार का शोध इस ग्रह पर विशाल समंदर होने का दावा करता है। मंगल ग्रह को लेकर हर वैज्ञानिक बेताब नजर आता है। क्योंकि मंगल पर मानव का दूसरा घर बसाने का मतलब है कि यह समूचे पृथ्वी वासियों की सबसे बड़ी जीत होगी। जीत को लेकर इस जंग का श्रीगणेश करीब सात दशक पहले शुरु हुआ और तबसे अभी तक दर्जनों मिशन मंगल पर रोबर, अंतरिक्ष यान व ऑर्बिटर के रूप में चलाए जा चुके हैं। जिसका नतीजा है कि हम मंगल फतेह करने से ज्यादा दूर नही हैं। बहरहाल पूरा खाका लगभग तैयार हो चुका है और दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां ही नहीं बल्कि निजी स्पेस एजेंसियां भी मंगल की जंग जीतने में लगा हुआ है।

चुनौतियां  अनेक हैं।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि मंगल की धरती को अपना बनाने का काम आसान नहीं है तो नामुमकिन भी नही है। जिस लगन से वैज्ञानिक मंगल पर कार्य कर रहे हैं , वह वास्तव में सराहनीय है। वह कहते हैं मंगल पर चुनौतियां एवरेस्ट की ऊंचाई पर चढ़ाई चढ़ने से भी बड़ी हैं। कैसे मंगल पर हवा चलेगीऔर कहां से पानी आयेगा। फिर सूर्य के पैराबैगनी किरणों से सुरक्षा का इंतजाम करना भी आसान नहीं होगा। इतना ही नहीं भोजन की व्यवस्था कर पाना भी बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा भी मंगल की लंबी यात्रा समेत अनेक चुनौतियां हैं, जिनसे जूझना होगा। जिनसे पार पाने को हम तैयार हैं।

कहां गायब हुआ मंगल का समंदर

अब तक मिले तमाम सबूत बताते हैं कि मंगल पर पानी अकूत था। पृथ्वी के समान समंदर थे और नदियां मंगल को जीवन देती प्रतीत होती हैं, लेकिन वह पानी कन्हा गायब हो गया। बस उसी जल की खोज करनी है और उसे वापस लाकर मंगल पर एक सुनहरा संसार बसाना है। पर यह होगा कैसे। यह विचार सिर खुजलाने को मजबूर कर देता है और यहीं से वैज्ञानिक मंगल को नीले सागर में बदलने के लिए सोचना शुरू कर देते हैं।

पानी की मौजूदगी के मिले हैं ठोस सबूत

लाल ग्रह के 6.5 हजार किमी में क्षेत्र में मिले पानी के ठोस सबूत मिले हैं। लाल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में प्राचीन तटीय क्षेत्र में खोजे हैं। नासा से प्राप्त डेटा के जरिए इस नतीजे तक पहुंच पाए और जल वाले स्थान का मानचित्र भी बनाया है। जिससे अनुमान लगाया कि मंगल की प्राचीन मार्टियन तटरेखा लगभग 3.5 अरब वर्ष पुरानी है और सैकड़ों-हजारों वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च प्लैनेट्स व नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। 6,500 किलोमीटर से अधिक प्राचीन नदी के तटीय क्षेत्र की पहचान की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर कभी पृथ्वी की तरह अकूत पानी होने के सबूत खोजे हैं, जो अभी तक के सबसे ठोस सबूत हैं। मंगल को नीला बनाने के लिए न केवल व्यापक स्तर पर जल के समंदर पैदा करने होंगे, बल्कि पृथ्वी की तरह गैस व वातावरण बनाना होगा।

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श्रोत: अर्थ स्काई

फोटो: नासा


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