जो जाग रहे हों, अगर इच्छा हो तो घर से बाहर जाएं और  बृहस्पति ग्रह को निहारिए

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 जो जाग रहे हों, अगर इच्छा हो तो घर से बाहर जाएं और  बृहस्पति ग्रह को निहारिए 
जो अभी भी जाग रहे हों और सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति को देखने की इच्छा रखते हों तो बाहर जाएं और सिर उठाकर  आसमान की देखें , आपको सबसे बड़ा चमकता हुआ नजर बृहस्पति नजर आ जाएगा। बृहस्पति को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत नहीं। आप  इसे आप नग्न आंखों से देख सकते हैं। खास बात यह है कि आज बृहस्पति हमारे यानी पृथ्वी के बहुत नजदीक  आ पहुंचा है। बृहस्पति और इसके नजदीक पहुंचने का विवरण प्रस्तुत नीचे के आलेख में दिया जा रहा है।
  बृहस्पति के नजदीक पहुंचने की जानकारी व हमारा अनुभव
यह नजारा बेहद शानदार था,  क्योंकि सात दशक बाद बृहस्पति धरतीवासियों  के बेहद करीब आ पहुंचा था।  सोमवार की शाम ढलने को थी और पूरब के असमान में तारों से पहले बृहस्पति निकल आया था। किसी विद्युत बल्ब की तरह आसमान में चमक रहा था।  रात के आसमान में टिमटिमाता बृहस्पति ग्रह का बेहद दिलचस्प नजर आ बड़ा था।  यह  खगोलीय घटना दुर्लभ थी।  70 साल बाद  बृहस्पति हमारे करीब पहुंचा था। इस घटना के कारण  पृथ्वी व बृहस्पति की आपसी दूरी कम होकर सिर्फ 591 मिलियन किमी रह गई थी। 
वैज्ञानिक डा एस बी पांडेय कहते हैं 
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय ने बताया कि यह ओपोजिसन की खगोलीय घटना थी। इस घटना के दौरान एक ओर बृहस्पति व दूसरी ओर सूर्य होता है और ठीक बीच में पृथ्वी होती है। जिसके चलते ओपोजिसन के दिन बृहस्पति हमारे सार्वाधिक करीब पहुंच जाता है। पृथ्वी के काफी नजदीक आने के कारण वह काफी बड़ा नजर आने लगता है। इसके अलावा  उसकी चमक भी काफी हद हद तक बड़ जाती है। जिसके कारण सोमवार को वह बेहद चमकदार नजर आ रहा था। इस खगोलीय घटना के दौरान वह अनोखी चमक व सुन्दरता के साथ पूरी रात नजर आया । अपने पाथ में भ्रमण करते हुए  बृहस्पति और पृथ्वी के बीच की दूरी अपने पथ के अनुसार घटती बड़ती रहती है और यह क्रम पूरे साल चलता है। औसत दूरी के लिहाज से आज यह दूरी बहुत कम थी।  औसत दूरी 741453748.99 किमी है।
पृथ्वी व बृहस्पति के बीच आकर्षक समानता
 आकार में बृहस्पति पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है। गुरु सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और 5वें स्थान का  ग्रह है। खास बात यह है कि पृथ्वी और बृहस्पति के बीच एक समानता है और वह समानता है औरोरा। जी हां इन दोनों ग्रहों के ध्रुवों पर यह आकर्षक नजारा देखा जा सकता है। सूर्य के सौर हवा के कारण यह औरोरा बनते हैं।  पृथ्वी सूर्य से तीसरा स्थान का ग्रह है।
इधर सूर्य अस्त हो रहा था और बृहस्पति उदय
 इस घटना में इधर सूर्य अस्त हो रहा था और उधर पूरब में बृहस्पति उदय हो रहा था । यह नजारा बेहद दर्शनीय था। जिसे नग्न आंखो से देखा गया और आसानी से पहचाना भी जा रहा था।   आसमान में इस ग्रह गुरु  को निहारने के लिए खगोल प्रेमी व एस्ट्रो फोटोग्राफर  ऊंचे स्थानों में पहुंचे हुए थे। नैनीताल की ऊंची चोटियों से शानदार नजारा दिखाई दे रहा था। 
एस्ट्रो फोटोग्राफर भी इस नजारे से वंचित नही रहना चाहते थे और उन्होंने विभिन्न कोणों से बृहस्पति को अपने कैमरे में कैद करना शुरू कर दिया था। 
रात के दूसरे पहर का अद्भुत अनुभव
रात के दूसरे पहर तक बृहस्पति असमान की ऊंचाइयों में चढ़ चुका था। नैनीताल के समीपवर्ती क्षेत्र ज्योलिकोट की एक चोटी में एस्ट्रो फोटोग्राफर बबलू चंद्रा भी एक चोटी में चढ़ चुके थे और मोबाइल फोन से बृहस्पति को कैद करने का प्रयास कर रहे थे और काफ़ी देर तक  इस दुर्लभ संयोग को अपने मोबाईल फोन के कैमरे में उतार रहे थे और अंत में तारों के बीच बृहस्पति की कई तस्वीरें ली। 
2023 में फिर हमारे करीब होगा बृहस्पति
 डा पांडेय के अनुसार अब  अगले वर्ष 2023  में दो नवंबर को बृहस्पति फिर हमारे करीब होगा, लेकिन उतना नही, जितना की इस बार था।  सूर्य के विपरीत वाली अगली घटना  2024  में 7 दिसंबर को और उसके बाद  2026  में 10 जनवरी गुरु सूर्य ओपोजीसन में होंगे। अब इसकी दूरी बड़ती चली जाएगी। अलबत्ता अगले कुछ इसी तरह बड़ा नजर आयेगा। रातों की सुन्दरता  आसमान को अद्भुत रूप देती है। ग्रह नक्षत्रों का सौंदर्य का अपना अलग आनंद है, बस खगोल के संदर्भ में  थोड़ा सा बेसिक ज्ञान की आवश्यकता है।
फोटो बबलू चंद्रा
श्रोत डा एस बी पांडेय

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