क्या यूरोपा होगा मानव का दूसरा ग्रह
हमारे अपने उपग्रह चंद्रमा पर पानी के अभाव ने हमे दूसरे ग्रहों के उपग्रहों पर जाने के लिए मजबूर कर दिया है। अब जीवन के काबिल जो ग्रह नजर आ रहा है, वाह बृहस्पति का उपग्रह यूरोपा है। यह ग्रह ठंडा जरूर लेकिन महासागरों से भरा हुआ है। यह बर्फ से पूरी तरह ढके रहने वाला चांद हैं। इस ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर वैज्ञानिक बेहद गंभीर है। अभी तक कई बार इस ग्रह पर गहन शोध हो चुके हैं और अब नया शोध सामने आया है, वाह चौंकाने वाला है।
कई रहस्यों से भरा पड़ा है ये चांद
बृहस्पति का यह चांद पृथ्वी के कई मायनों में पृथ्वी के समान है। खास बात यह है कि ये ग्रह कई रहस्यों से भरा पड़ा है। एक नए शोध से खुलासा हुआ है कि इस ग्रह की समुद्री धाराएं सतह की बर्फ की मोटी चादर को ऊपर की ओर धकेलती हैं। जिस कारण बर्फीली चादर समुंद्र के ऊपर तैरती रहती है।
बड़ी शक्तिशाली हैं इस महासागर की धाराएं
नासा के गैलीलियो अंतरिक्ष यान ने 1990, 1995 व 1998 की तस्वीरों के हाल की तस्वीरों का अध्ययन किया। इस शोध ने साफ कर दिया कि यूरोपा की उपसतह महासागर में धाराएं बर्फीली परत को स्थानांतरित कर सकती हैं और इसे तेज या धीमी गति से घुमाने की क्षमता रखती हैं। बृहस्पति का यह चंद्रमा बाहरी सौर मंडल में महासागरीय चंद्रमाओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। एक बहुत गहरा महासागर इसकी बाहरी जमी हुई बर्फ की परत के नीचे स्थित है। यह महासागर समूचे ग्रह में फैला हुआ है।
वैज्ञानिकों हैरान करते रहा है यूरोपा
बर्फ की मोटी परत ने वैज्ञानिकों को हमेशा हैरान किया। क्योंकि यूरोपा के आंतरिक भाग से बाहरी भाग की तुलना में अलग गति से घूमता है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी और यू.के. में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पिछले दिनों यह शोध प्रकाशित किया और दावा किया कि उन्होंने उन्होंने यूरोपा की भीतरी व बाहरी गति के रहस्य को पहचान करली है। दरअसल वैज्ञानिकों को पहले से ही पता था कि यूरोपा की बाहरी बर्फ की परत मुक्त रूप से तैरती है।
यह पहली खोज है
बाहरी परत समुद्र तल से बिल्कुल भी जुड़ा नहीं है, इसलिए यह समुद्र और चट्टानी मेंटल से अलग गहराई में घूमने में सक्षम है। लेकिन अकेले यह तथ्य पूरी तरह से व्याख्या नहीं करता था कि क्रस्ट काफी भिन्न गति से क्यों घूमता है। मगर नए शोध के नतीजे बताते हैं कि समुद्री धाराएं क्रस्ट को चारों ओर धकेलने में मदद करती हैं। उस प्रक्रिया के लिए पुख्ता सबूत खोजने वाला यह पहला अध्ययन है।
श्रोत:अर्थ स्काई।
फोटो: नासा।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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