कितना उचित होगा पृथ्वी पर वर्तमान को मानव युग कहना

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कितना उचित होगा पृथ्वी पर वर्तमान को मानव युग कहना

अंतर्राष्ट्रीय संस्था एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप के वैज्ञानिकों ने वर्तमान को मानव युग करार दिया। विकास के नाम पर मानव द्वारा किए जा रहे अनियोजी विकास ने पृथ्वी की प्रकृति को बदल रख दिया है। पिछले 50 सालों में पृथ्वी के संतुलन में बढ़ा बदलाव आया है। पृथ्वी पर मानव शक्तिमान के रूप में उभरकर सामने के रूप में उभरकर सामने आया है। जिस कारण इसे मानव युग कहा जा रहा है।

यदि आप अतीत की त्रासदियों को जानते हैं तो यह भी जानते होंगे कि शक्ति, अहंकार और त्रासदी साथ-साथ चलती हैं। वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के सार्वाधिक हानिकारक पहलु विघटनकारी जलवायु परिवर्तन है। यदि इस ओर आप ध्यान नहीं देते हैं, तो हम निश्चित ही त्रासदी की ओर बढ़ रहे हैं। यह विचार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की व एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप की सदस्य नामी वैज्ञानिक नाओमी ओरेस्केस ने व्यक्त किए हैं।
चिंता में डालने वाला एक नया शोध सामने आया है। शोध में इस युग को मानव युग का नाम दिया गया है। जो बताता है कि वर्तमान में मानव इतना बलवान हो चुका है कि वह प्रकृति को बदलने की ताकत रखता है और तेजी से बदल भी रहा है। एक तरफ परमाणु शक्ति को अपना हथियार बना चुका है तो दूसरी ओर जहरीली गैसों का लगातार उत्सर्जन कर ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित कर रहा है। मानव शक्ति के कारण ही विश्व की जलवायु में तेजी से परिवर्तन आ रहा है। हालाकि ये और बात है कि यह सारे परिवर्तन पृथ्वी को विनाश की ओर ले जाने वाले हैं। यह कटु सत्य है, जिसके हम सब गवाह हैं और इस सत्य को कोई नकार नहीं सकता है। शोध में मानव युग की शुरूआत का काल 1940 से 1950 के बीच बताया गया है। जिसकी परमाणु हथियार के साथ शुरूआत हुई। इसके बाद परमाणु हथियारो की ऐसी होड़ लगी कि खुदको बाहुबली बनाने के लिए कोई भी देश पीछे नहीं रहना चाहता था, जो आज भी जारी है। भले ही इस बीच परमाणु युद्ध नही हुआ हो , लेकिन इनके परीक्षणों के निशान शोधकर्ताओं ने खोज निकाले हैं। जिनके आधार पर वर्तमान को मानव युग नाम देने का ठोस प्रमाण शोधकर्ताओं ने दिए हैं। इसके साथ ही विकास की होड़ लग गई। जिसने उन घटकों को जन्म दे दिया, जो पृथ्वी के सेहत के लिए कदापि मुनासिब नहीं है। कुल मिलाकर पिछले 70 सालों में मानव कृत ने पृथ्वी पर गहरे प्रभाव डाले हैं, जिस कारण वैज्ञानिकों ने इस युग को मानव युग का नाम दिया है। जिसका सबसे बड़ा सबूत जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आया है और यह परिवर्तन बेहद घातक है।

एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप का शोध

एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप के अंतःविषय अनुसंधान समूह के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है और 11 जुलाई को इसकी घोषणा की। शोधकर्ताओं ने क्रॉफर्ड झील, ओन्टारियो, कनाडा के तलछट की जांच पड़ताल की। इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों के अध्ययन के बाद मानव युग का नाम दिया। इस युग को वर्तमान युग नाम दिए जाने के लिए अब बहस का दौर चलेगा। जिसमें दुनियाभर के देशों के विभिन्न वर्गों से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होंगे। जिसमें लंबा समय लगेगा। तब ही कोई ठोस नतीजा सामने आएगा।

बदल डाला है पृथ्वी को

इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्ट्रैटिग्राफी से संबद्ध वैज्ञानिकों के अनुसार, क्या मनुष्यों ने भूगर्भिक स्थिति को प्रभावित करने के लिए पृथ्वी को काफी हद तक बदल दिया है? यह परिवर्तन एक नए युग की स्थापना है। जिसे मानव युग कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी।
श्रोत : स्पेस डॉट कॉम
फोटो: इंटरनेट।


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