क्या खानाबदोश ग्रहों में रहते हैं एलियंस

Share It!

क्या खानाबदोश ग्रहों में रहते हैं एलियंस

सदियां बीत गई, लेकिन एलियंस का ठिकाना नही मिल सका। मगर अब संभावना जताई जा रही है कि एलियंस उन ग्रहों में हो सकते हैं, जो हमारे सौर मंडल के ग्रहों से अलग होते हैं। वो ब्रह्मांड के गहराइयों में खानाबदोश की तरह आवारा घूमते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि
खानाबदोश ग्रहों पर एलियंस का ठिकाना हो सकता है। ह्यूस्टन कम्युनिटी कॉलेज सिस्टम के भौतिकी और खगोल विज्ञान के प्रोफेसर इरीना के. रोमानोव्सकाया (इरिना मुलिंस) ने यह आशंका जताई है। उनका मानना है कि एलियंस का आकाशगंगा के इन ग्रहों पर बसने का आदर्श स्थान होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। हाल ही में खगोल वैज्ञानिकों ने दुष्ट ग्रहों की खोज की है। दो दिन पहले खगोल वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी है।

हमारी मिल्की- वे में खरबों की संख्या में हैं खानाबदोश दुष्ट ग्रह

नासा व जापान के वैज्ञानिकों ने ग्रहों की उस विशाल दुनिया का खुलासा किया है, जो किसी तारे की परिक्रमा नही करते हैं। जिस कारण इन्हें दुष्ट व खानाबदोश ग्रह कहा जाता है।

ये जानकर हैरानी होगी कि हमारी आकाशगंगा में अरबो खरबों की संख्या में खानाबदोश ग्रह हैं। ये ग्रह किसी भी तारे की परिक्रमा नही करते हैं। नासा और जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है। इन ग्रहों को दुष्ट भी कहा जाता है।
आम इंसान अभी तक यही समझता था कि ग्रहों का अस्तित्व तारों से जुड़ा है और सभी ग्रह किसी न किसी तारे की परिक्रमा करते हैं। मगर ऐसा बिलकुल भी नही है। शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी आकाशगंगा के मुक्त-तैरते खानाबदोश अंतरतारकीय ग्रह अंतरिक्ष में भटक रहे हैं। तारों से बंधी दुनिया की तुलना में इन बंधनहीन ग्रहों की संख्या बहुत अधिक है। हमारी अपनी घरेलू आकाशगंगा मिल्की वे में अरबों नहीं बल्कि खरबों की संख्या में यह दुष्ट ग्रह हो सकते हैं। नासा के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डेविट बेनेट के अनुसार गत वर्ष तक ज्ञात था कि ऐसे खानाबदोश ग्रहों की संख्या लगभग 70 से 170 हो सकती है। जिनमें सभी ग्रह हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के समान हैं। मगर नई खोज ने इनकी वास्तविक संख्या का पर्दाफाश कर दिया है। यह शोध एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल के आगामी अंक में प्रकाशित होने जा रही है। इन ग्रहों की खोज माइक्रोलेंसिंग के जरिये की गई। इस तकनीक से कम द्रव्यमान वाले मुक्त-तैरते ग्रहों और यहां तक ​​कि आदिम ब्लैक होल जैसी वस्तुओं को खोज की जा सकती हैं। इनकी खोज में गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करना रोमांचक जैसा है। वैज्ञानिको का कहना है कि हमारी आकाशगंगा में जितने तारे हैं, उनसे 20 गुना अधिक आवारा ग्रहों की संख्या हो सकती है।

नैन्सी ग्रेस स्पेस टेलीस्कोप खोलेगी एलियंस का रहस्य

खानाबदोश ग्रहों में एलियंस का ठिकाना होने की वास्तविकता का पता चार साल बाद लग पायेगा। नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस नामक टेलीस्कोप मई 2027 तक लॉन्च की जाएगी। इस दूरबीन से ब्रह्मांड के अंजान पहलुओं पर नजर डाली जाएगी। जिसमें खासकर ब्रह्मांड में छिपे दूसरे प्राणी अथवा एलियंस पर इस दूरबीन की खास नजर रहेगी।

श्रोत व फोटो: नासा।


Share It!