जन्म लेते तारे की अविश्वनीय खोज

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जन्म लेते तारे की अविश्वनीय खोज

तारे हैं तो हम हैं और तभी सौरमंडल ने घूमते चांद व ग्रहों के साथ पिंडों का जीवन भी है। तारों के पैदा होने के बाद ही इन सबका अस्तित्व सामने आता है। इसलिए तारों के सोलर सिस्टम के अस्तित्व की कल्पना संभव नही। अब हाल ही में तारे के पैदा होने की एक तस्वीर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप ने अपने कैमरे में कैद की है और वज्ञानिकों ने नवजात इस तारे का नामकरण भी कर दिया है। जिसका नाम एल 1527 दिया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह तारा उग्र यानी बेहद सक्रिय है, जो अन्य पैदा होने तारों की तरह है और भरी गैस और धूल के एक बादल में जुड़ा हुआ है । जिस कारण वह तेजी से पोषित हो रहा है।

L1527 नाम दिया है इस तारे का

यह तारा खुद के भीतर की सामग्री को बाहर निकाल रहा है और अपने ऊपर व नीचे के क्षेत्र को साफ कर दिया है। वेब की ली गई तस्वीर में नारंगी और नीले रंग में नजर आती है। इस पैदा होते तारे के ऊपरी मध्य क्षेत्र में बुलबुले जैसी आकृतियाँ दिखाई देती हैं। यूरोपीय अंतरीक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने इस चार दिन पहले इसकी जानकारी दी है। वेब स्पेस टेलीस्कोप ने इस पैदा होते तारे की तस्वीर की अद्भुत तस्वीर हम तक पहुंचाई है। L1527 नाम का यह तारा खुद की जैसे गर्दन के भीतर छिपा हुआ है। साथ ही तारे के साथ नए ग्रहों भी पैदा हो रहे हैं। हमारा तारा सूर्य का जन्म भी इसी तरह हुआ होगा। साथ ही हमारे सौर मंडल के ग्रहों की उत्पत्ति भी इसी प्रकार हुई होगी। वास्तव में यह खोज ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर करने में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

सूर्य समेत हमारे सौरमंडल का शैशवकाल भी ऐसा ही रहा होगा

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए ) के वैज्ञानिक कहते हैं कि आवरग्लास के गले में यह डार्क डिस्क हमारे सौर मंडल के आकार के बारे में है। इसके भीतर गैस के गुच्छे और धूल के कण आपस में चिपक कर ग्रहों की उत्पत्ति कर रहे हैं। L1527 तारे के जन्म से हम जान पाए हैं कि यह दृश्य इस बात का सुराख प्रदान करता है कि हमारा सूर्य और सौर मंडल शैशवावस्था में इसी तरह से नजर आता होगा।

पैदा हो रहे इस तारे की उम्र अभी सिर्फ एक लाख साल 

जेम्स वेब की तस्वीर में जन्म लेते तारा आणविक हाइड्रोजन के तंतुओं को भी प्रकट करता है, जो तारे से खुद से दूर करते सामग्री को दिखाता है। यह खोज वास्तव में चौंकाने वाली है। इस तारे की उम्र फिलहाल सिर्फ एक लाख साल हुई है, इसके बनन की प्रक्रिया अभी जारी है। इसे पूर्ण रूप से विकसित होने यानी जन्म लेने में अभी भी लंबा समय तय करना होगा। इस तारे में धूल और गैस के काले बादल मौजूद हैं। L1527 अभी तक हाइड्रोजन के परमाणु संलयन के माध्यम से अपनी ऊर्जा उत्पन्न नहीं कर पाया है। तारे का खुद प्रकाश उत्पन्न करना जरूरी है। जब तक स्वयं का प्रकाश नहीं पैदा कर लेता तब तक तारा नहीं बन सकता।

खुद का प्रकाश उत्पन्न करने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा इस तारे को

जन्म लेता यह तारा द्रव्यमान एकत्र करना जारी रखेगा, साथ ही इसका कोर यानी अंदरूनी केंद संकुचित कर लेगा तो प्रज्वलित होने लगेगा और अपना प्रकाश छोड़ने लगेगा। आज से चंद साल पहले तक कल्पना भी नही कर सकता था कि अदृश्य अनंत में फैले आसमान की गहराई से ऐसी अद्भुत अविश्वनीय तस्वीर भी देखने को मिलेगी। वेब को अंतरीक्ष में 15 लाख किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डा वहाबुद्दीन कहते हैं कि हमने अपने जीवनकाल में तमाम सुविधाओ के अभाव में अंतरीक्ष की समझने के साथ उसके करीब पहुंचने की कोशिश की है, लेकिन निकट भविष्य में हम सुदूर ब्रह्माण्ड के इतने करीब पहुंच जाएंगे, लेकिन इसके लिए आने वाली पीढ़ियों को अपना शत प्रतिशत देना होगा। इसीलिए वर्तमान में युवाओं को खगोल विज्ञान के प्रति प्रेरित किया जा रहा है।

फोटो व श्रोत: NASA/ ESA/ CSA/ STScI/ J. DePasquale (STScI)


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