मुसीबत बना अंतरीक्ष में बिखरा कचरा, अब साफ होगा

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मुसीबत बना अंतरीक्ष में बिखरा कचरा, अब साफ होगा

निष्क्रिय हो चुके उपग्रहों का कचरा अंतरीक्ष में बढ़ी मुसीबत बन गया है। इसे समय रहते साफ नही किया गया तो भविष्य में उपग्रहों को लॉन्च करना मुस्किल हो जाएगा। लेकिन अब इस दिशा मे अब प्रयास तेज होने लगे हैं। कचरा सफाई का यह कार्य 2026 से शुरू हो सकेगा। जापानी कंपनी एस्ट्रोस्केल ने यह जिम्मा उठाया है। अंतरीक्ष में निष्क्रिय हो चुके तीन दशक पुराने सैटेलाइट का कचरा सबसे पहले उठाये जाने की योजना है।
सर्वविदित है अंतरीक्ष में हजारों की संख्या में कचरा बिखरा पड़ा है, जो निष्क्रिय हो चुके सैटेलाइट हैं और वर्तमान में वैज्ञानिकों का सिरदर्द बन चुका है। ये कचरा इतना खतरनाक माना जाता है कि जीवित सैटेलाइट से टकरा सकते हैं और करोड़ो अरबो रुपये का नुकशान पहुँच सकते है। पिछले करीब एक दशक से इस समस्या से निबटने के लिए खगोलविद हल तलाश रहे हैं, अब जाकर इससे छुटकारा मिलने के आसार नजर आने लगे हैं। एस्ट्रोस्केल इस कार्य को करने जा रहा है। इसके लिए वह 2021 में सफल परीक्षण कर चुका है। इस प्रयोग मे चुंबकीय प्रणाली का उपयोग किया गया था और नकली मलबे के एक टुकड़े को सफलतापूर्वक उठाया था। इस मिशन में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की रोबोटिक भुजा का की मदद ली जाएगी। योजना के पहले चरण में 1990 के दशक में निष्क्रिय हो चुके सैटेलाइट का कचरा उठाया जाएगा। जिसमें ब्रिटेन के स्वामित्व वाले निष्क्रिय उपग्रहों के दो टुकड़ों को चिन्हित किया गया है। यह दोनों उपग्रह 1990 के दशक में लॉन्च किए गए थे, जो अब वास्तव में जीवन के अंत तक पहुंच गए हैं। इन उपग्रहों का वजन 100 किलोग्राम तक है। ये सैटेलाइट लगभग 500 से 800 किलोमीटर की ऊंचाई पर हैं।

बेहद चुनौतीभरा है ये मिशन

अंतरिक्ष में 30 वर्षों से मौजूद मृत उपग्रह को पकड़ पाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि उपग्रह की स्थिति के बारे में पता नही होता है। वह टूटकर बिखर चुका है या फिर किस स्थिति में है। सबसे बड़ी समस्या , अंतरिक्ष एक बहुत ही कठोर वातावरण है। वहां पहुचने के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगा। इस दिशा मे एस्ट्रोस्केल का मानना ​​है कि यह ईएलएसए-डी द्वारा परीक्षण किए गए स्वायत्त नेविगेशन सॉफ़्टवेयर और वर्तमान में एमडीए द्वारा विकसित अत्याधुनिक रोबोटिक आर्म का उपयोग करके चुनौती से निपट सकता है।

24 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरता है कचरा

अंतरिक्ष मे बिखरे कचरे के ढेर की संख्या हजारों में है और यह कचरा 24 हजार किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक गति से अंतरिक्ष में गुजरते हैं। जिन्हें पकड़ पाना बेहद कठिन होगा। बहरहाल इन सारी समस्याओं का अध्ययन करने के बाद एस्ट्रोस्केल ने योजना बनाई है। जिसमें मिशन के असफलता की कोई गुंजाइश नजर नही आती है।

श्रोत व फोटो : स्पेस. कॉम।


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