आज लगेगा चंद्रग्रहण : भारत में शाम 4.16 बजे होगा शुरु

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भारत में 8 नवंबर को एक घंटे पृथ्वी की छाया में लिपटे रहेगा चांद

 उत्तर पूर्वी भारत में पूर्ण ग्रहण की चपेट में रहेगा चन्द्रमा 
भारत में आठ नवंबर को लगाने जा रहे चंद्रग्रहण का नजारा दर्शनीय होगा। एक तरफ सूर्य अस्त हो रहा होगा तो दूसरी तरफ चन्द्रमा पृथ्वी की छाया में लिपटा नजर आयेगा। शाम का समय होने के करना चंद्रमा लालिमा लिए बेहद खूबसूरत नजर आयेगा और उसके ऊपर ग्रहण का रंग चढ़ा नजर आयेगा। जिस कारण यह ग्रहण खास माना जा रहा है। खगोल विज्ञानियों के लिए यह ग्रहण आम बात होगी, लेकिन खगोल प्राणियों के लिए बेहद खास। बहरहाल अगले दो दिन बाद की शाम का उन्हे बेसब्री से इंतजार है।
यह वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा। 15 दिन के अंतराल में 25 अक्टूबर को लगे सूर्यग्रहण ने शाम की छटा में निखार ला दिया था और अब चंद्र ग्रहण के हम साक्षी बनने जा रहे हैं। भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में पूर्ण चंद्रग्रहण नजर आयेगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में आंशिक चंद्रग्रहण रहेगा। आंशिक चंद्र ग्रहण पूरे देश में नजर आयेगा । वैज्ञानिक भी इस खगोलीय घटना को   बेहद दिलचस्प बता रहे हैं।
डा एस बी पांडेय, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान 
 चन्द्रग्रहण से ठीक 15 दिन पहले लगा सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य ग्रहण के साथ अस्त हुआ और अब चंद्रमा ग्रहण के साथ उदय होगा। भारत में उत्तर पूर्व के अरुणाचल प्रदेश, आसाम व बंगाल में पूर्ण चंद्रग्रहण नजर आयेगा। आठ नवंबर की शाम को यह खगोलीय घटना होने जा रही है। यह सामान्य खगोलीय घटना है, जो वर्ष में कई बार होती है।
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बैंगलूरु की रिटायर्ड खगोल विज्ञानी प्रो आरसी कपूर ने बताया कि आसाम में सबसे पहले चंद्रग्रहण 4.16  बजे शुरू हो जाएगा। पूर्ण चंद्रग्रहण लगभग 5.09  बजे नजर आयेगा और 5.11 बजे पूर्ण चंद्रग्रहण समाप्त हो जाएगा।
 कोलकाता में 4.52 बजे शुरू होगा 
 दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में 5.28 बजे चंद्रमा ग्रहण के साथ उदय होगा। भारत में ग्रहण 6.19 बजे चांदमा ग्रहण से मुक्त हो जाएगा। यह चन्द्रग्रहण भारत में चंद्रोदय से पूर्व भारतीय समय के अनुसार 2.39 बजे शुरू हो चुका होगा, लेकिन उस समय यहां दोपहर हो रही होगी।
ग्रहण से होती है ग्रहों की खोज 
दूसरे सोलर सिस्टम में लगन  वाले ग्रहण को ट्रांजिट कहते हैं। यह ग्रहण जैसी ही घटना होती हैं। जब कोई ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरता है तो तब तारे के प्रकाश में कमी आ जाती है। तब वैज्ञानिक पता लगा लेते हैं कि कोई ग्रह तारे के आगे से गुजर रहा है। इस तरह से वैज्ञानिक अभी तक कई ग्रहों को खोज चुके हैं।
पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है चंद्रमा। जिसके कारण  साल में कई बार चंद्र व सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना सामने आती है। मगर हमारे सौरमंडल के बृहस्पति व शनि जैसे विशाल ग्रह हैं, जिनके दर्जनों चंद्रमा हैं, तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ग्रहों पर ग्रहण की कितनी घटनाएं होती होंगी। दूसरे ग्रहों पर लगने वाले ग्रहण की घटना को ट्रांजिट कहा जाता है।
अगले वर्ष लगेंगे चार ग्रहण
2023 में भी चार ग्रहण लगेंगे। जिसमें दो सूर्यग्रहण होंगे और दो चंद्र ग्रहण । पहला सूर्यग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा। इसके 15 दिन बाद 5 मई को चंद्रग्रहण लगेगा। इसके बाद 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होगा । इसके बाद 28 अक्टूबर को पुनः चन्द्रग्रहण लगेगा।
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श्रोत: डा एस बी पांडेय व प्रो आर सी कपूर (खगोल वैज्ञानिक)
फोटो: ज्योलिकोट नैनीताल से चंद्रमा का फाइल फोटो – बबलू चंद्रा .

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