पिछले सारे रिकार्डतोड़ तोड़ डालेगी इस बार की गर्मी

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पिछले सारे रिकार्डतोड़ तोड़ डालेगी इस बार की गर्मी

बदलते मौसम के साथ पर नासा भी कड़ी नजर रखे हुए है और इस बार बदलते हालात गर्मी के लिहाज बेहद अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। जिसे देखते हुए नासा ने भी चेतावनी जारी कर दी है कि इस बार पूरे विश्व में जबरदस्त गर्मी पढ़ने की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता और संभव है कि इस बार के रिकार्ड पिछले सारे रिकार्ड तोड़ डाले। नासा ने सेंटिनल-6 माइकल फ़्रीलीच उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों मद्देनजर चेतवानी जारी की है।

अल नीनो का असर ढहा सकता है कहर

अल नीनो की वजह से वैश्विक स्तर पर रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ेगी। नासा ने सेंटिनल-6 माइकल फ़्रीलीच उपग्रह के जरिए आगे बढ़ते अल नीनो का जायजा लेने के बाद यह जानकारी दी है। धरती को ठंडा रखने वाला ला नीना का असर कुछ समय पहले ही खत्म हुआ है और अब अल नीनो प्रभाव में आने लगा है। इसका मतलब आने वाला समय भीषण गर्मी लेकर आने वाला है। नासा के अनुसार अगले एक वर्ष इसका असर रहेगा।

नासा ने दो महीने रखी समुद्र में अल नीनो पर नजर
नासा अपने उपग्रह से मार्च और अप्रैल निरंतर दो माह दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर तथा पूर्व की ओर बढ़ते हुए प्रशांत महासागर में गर्म पानी की धारा को आगे बढ़ते हुए देखा है और अल नीनो के शुरुआती संकेत की पहचान करते हुए घोषणा की है। नासा का उपग्रह सेंटिनल-6 माइकल फ्रीलिच सैटेलाइट समुद्र के जलस्तर की निगरानी करता है। इस उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लंबी समुद्री लहरें 5 से 10 सेंटीमीटर ऊंची हैं , लेकिन सैकड़ों मील चौड़े क्षेत्र में फैली हैं। ये जल धारा भूमध्य रेखा पर पानी की गर्म ऊपरी परत को पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ले जाती हैं, तो उन्हें अल नीनो का अग्रदूत माना जाता है।
नासा के सेंटिनल-6 माइकल फ्रेइलिच के परियोजना वैज्ञानिक जोश विलिस का बयान

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के सेंटिनल-6 माइकल फ्रेइलिच के परियोजना वैज्ञानिक जोश विलिस ने एक बयान में कहा है कि अब वाले दिनों में हम इस एल नीनो को बाज की तरह देख रहे होंगे। अगर यह वास्तव में विशाल है, तो दुनिया आगे बढ़ रहे इस बार का अल नीनो रिकॉर्ड गर्मी पैदा करेगा।

2019 में आया था अल नीनो

अल नीनो जलवायु चक्र का एक हिस्सा है। अल नीनो आम तौर पर हर तीन से पांच साल में एक प्रभाव में आता है। इससे पहले आखिरी एल नीनो 2019 में आया था । जिसका असर छह माह तक रहा था। अल नीनो आम तौर पर भूमध्य रेखा के साथ-साथ चलने वाली पूर्वी हवाएं प्रशांत से पश्चिम में सतह के पानी को आगे ले जाती हैं। साथ ही गर्म पानी को एशिया की ओर धकेलती हैं। मौसम में परिवर्तन लाने वाला अल नीनो जलवायु चक्र का हिस्सा है। जिसका असर पूरी दुनिया में पढ़ता है।

WHO ने भी जारी की है गाइड लाइन

ग्लोबल वार्मिंग के आगे बढ़ते कदमों से मौसम के जानकार पहले से ही चिंतित हैं। गर्मी के कहर से बचने के लिए WHO ने भी इस बार गाइड लाइन कर चुका है। वैश्विक तापमान लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। जिसे रोकने के लिए दुनिया के तमाम प्रयास नाकाफी ही साबित हुए हैं। दुनिया का कोई भी हिस्सा ग्लोबल वार्मिंग से अछूता नहीं रहा। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और समुद्र का जल स्तर खाड़ी प्रदेशों को डुबोने के लिए आगे बढ़ने लगा है। हालात भयावह होने जा रहे हैं। जिसे समझने की कोशिश नही की का रही है। अब अल नीनो आ रहा है तो आने वाला समय इसकी हकीकत सामने लायेगा।

श्रोत व फोटो: नासा।


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