चाँद के दाग थे सुहावने, सूर्य के नित नए कलंकों को देखें व जाने

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*चाँद के दाग थे सुहावने, सूर्य के नित नए कलंकों को देखें व जानें*
हमारी नजरो मे हमारा सौर परिवार व उसका मुखिया सूर्य बहुत बड़ा है पर असीम अनन्त विशाल ब्रह्मांडीय महासागर मे हमारा सौर परिवार व सूर्य एक बूँद के बराबर भी नहीं है। धरतीवासी को सौर परिवार मे चाँद व सूर्य ने ही मुख्य रूप से अपनी ओर आकर्षित किया व सोचने समझने व जिज्ञासित होने को मजबूर किया है। एक सामान्य तारे यानि सूर्य मे ही धरती व मानव का सम्पूर्ण जीवन निभर्र है। सूर्य की कृपा से ही पृथ्वी मे जीव जगत का निर्माण हुआ है। पृथ्वी से  लाखों गुना बड़ा है पृथ्वी का व्यास करीब 12,750 किलोमीटर है तो सूर्य के गोले का व्यास लगभग 14 लाख किलोमीटर। हमसे करीब 15 करोड़ किलोमीटर दूर होने की वजह से हम सिर्फ इसकी चमकीली सतह ही देख सकते है जो इसका प्रकाशमंडल है। इसी प्रकाशमंडल से किरणों का उत्सर्जन होता है। सूर्य के केन्द्र भाग मे तापमान डेढ़ करोड़ डिग्री सेंटीग्रेट रहता है, जबकि प्रकाशमंडल तक पहुँचते-पहुँचते तापमान लगभग 6000 डिग्री सेंटीग्रेट हो जाता है। एक वैज्ञानिक ने लिखा है कि यदि सूर्य के केन्द्र भाग का मात्र एक ग्राम द्रव भी पृथ्वी मे लाना संभव हो तो उसके तेज से एक किलोमीटर दूर खड़ा आदमी जलकर खाक हो जाएगा। खगोलविदों ने सूर्य को तीन प्रमुख मंडलो मे बांटा है प्रकाशमंडल, वर्णमंडल व परिमंडल सूर्य का वायुमंडल। मानव का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने व सबसे पहले जिस मंडल का अवलोकन व अध्ययन हुआ ,वो है सूर्य का प्रकाशमंडल।

*प्रकाशमंडल मे ही दिखाई देते है सूर्य कलंक*
सूर्य के प्रकाशमंडल की मोटाई 100 से 300 किलोमीटर तक है और ये मंडल ही हम देख सकने मे समर्थ हैं और इसी प्रकाशमंडल मे सबसे पहले महान गैलीलियो ने 1610 ई मे काले धब्बों यानि सूर्य कलंकों को देखा था। मगर उस जमाने के लोगो व विद्वानों ने सूर्य मे कलंक होने की बात स्वीकार ही नहीं किया। आज हम सूर्य के बाबत वैज्ञानिकों के अध्ययनो से सूर्य के पहलुओं के अधिकतर राज जानते हैं व नित नई शोधों से सूर्य से रूबरू होते आये हैं, वर्तमान आधुनिक युग मे नए शोध उन पहलुओं को देख भी सकते है। जैसे तस्वीर मे नैनीताल से लिए गए सूर्य कलंक की तस्वीर। इन्हें ही सूर्य कलंक व सजन स्पॉट कहते है, इन्ही सूर्य कलंकों के नजदीक व किनारों मे सफेद चमकीले धब्बे नजर आते है जिन्हें फैकुली कहा जाता है।
सूर्य कलंक सूर्य के विषुवर्त्तीय क्षेत्रो मे नजर आते हैं, *इन्ही कलंकों के अध्ययन से हमें जानकरी मिली कि सूर्य भी अपनी धुरी मे चक्कर लगाता है*। सूर्य के घूर्णन की एक विशेषता ये भी है कि ये विषुवर्त्तीय क्षेत्रो मे तेजी से घूमता है जबकि धुर्वीय क्षेत्रों मे धीमी रफ्तार से चक्कर लगाता है। विषुवत मे हमारे करीब 25 दिनों मे एक चक्कर लगाता है तो धुर्वीय क्षेत्रो मे इसे 35 दिन लगते हैं।
*11-12 साल मे बढ़ जाती है सूर्य सक्रियता*
दूर से देखने मे सूर्य हमे बिल्कुल चाँद के समान शांत नजर आता है जबकि सूर्य के भीतर भयंकर उथल-पुथल रहती है नित हाइड्रोजन बम सतत फटते रहते हैं। जबकि सौर सक्रियता के दौरान ही सूर्य कलंक व उनसे निकलने वाली सौर तेजोगनि ज्वालायें हमें प्रकाश मंडल मे मे दिखाई देती हैं। जिनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है। धरती के धुर्वीय क्षेत्रो मे बनने वाले ख़ुबसूरत अरोरा सौर तेजोगनि के कारण ही बनती हैं। सौर तेजोग्नि सूर्य की सतह की अद्भुत घटनाओं मे एक है। सूर्य कलंकों से व जनक पास से इन ज्वालाओं का जन्म होता है और चंद मिनटों मे लाखों किलोमीटर तक सूर्य का वायुमण्डल सक्रिय व कांतिमय हो जाता है। सौर तेजोग्नि कब जन्म लेगी इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल सकती पर इनकी सक्रियता के दौरान ऊंची-ऊंची सौर ज्वालाएं उठती है जो सूर्य से अलग होकर पृथ्वी के वायुमंडल तक पहुँचती है ओर अपना प्रभाव दिखा कर वायुमंडल मे चुम्बकीय तूफान के रूप मे ध्रुवीय क्षेत्रो मे खूबसूरत अरोरा बनाती हैं।

*अपनी सौर सक्रियता के दौर से गुजर रहा सूर्य, पृथ्वी से बड़े आकार का सूर्य कलंक आया सामने*
आज कल सूर्य अपनी जबरदस्त सौर सक्रियता के दौर से गुजर रहा है, सूर्य के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र मे एक विशाल सन स्पॉट पृथ्वी के सामने नजर आने लगा है जिससे पिछले दिनों सी , एम व एक क्लास की दर्जनों ज्वालायें निकल चुकी हैं सौर वैज्ञानिक इसके विशाल आकार के कारण इसे उग्र प्रवृत्ति का भी मानते रहे हैं, जो पहले सूर्य के पिछले हिस्से मे था अब सामने आ चुका है और इससे बड़ी ज्वालाओं के निकलने की संभावना भी जताई जा रही है। इस सन स्पॉट का A R 3153 है। इसके ठीक बगल मे एक और सूर्य कलंक उभर आया है।

*पृथ्वी के धुर्वीय क्षेत्रों मे चुम्बकीय तूफान पहुँचने सिलसिला जारी। डॉ वहाबुदीन, एरीज*
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ( एरीज) नैनीताल के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डॉ वहाबुदीन ने बताया कि आज कल सूर्य अपनी सौर मैक्सिमा यानी सूर्य सक्रियता के दौर से गुजर रहा है शुरुआती चरण मे सूर्य की सक्रियता कम थी लेकिन अब लगातार सन स्पॉट उभर रहे हैं। AR 3153 सूर्य कलंक एक विशाल स्पॉट है जिससे बड़ी ज्वाला के जन्म लेने की आकांशा बनी हुई है। बबलू चन्द्रा।

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श्रोत: एरीज।

फोटो: इन दिनों सूर्य जबरदस्त सक्रिय है। कई सन स्पॉट सूर्य की सतह पर बने हुए हैं। जिसे बबलू चंद्रा ने नैनीताल के समीप ज्योलेरकोट से अपने कैमरे में कैद किया है।

 

 


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