फिर छिड़ी बहस गुरु के चेले पर

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फिर छिड़ी बहस गुरु के चेले आईओ पर

गुरु के चेले आईओ पर जीवन की संभावनाओ को लेकर फिर छिड़ी बहस शुरू हो गई है। हाल ही में नए विचार के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान करोड़ों किमी दूर आईओ पर केंद्रित हुआ है, जो बताता है कि भले ही यह ग्रह ज्वालामुखियों से तप रहा हो, लेकिन यहां पर किसी न किसी रूप में जीवन अवश्य है। मशहूर वैज्ञानिक एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट डिर्क शुल्ज़-मकुच ने हाल ही में बिग थिंक में गहन विचार के कारण इस उपग्रह पर जीवन होने की संभावना को बल मिलता है।

जीवन की संभावना को लेकर कभी  वैज्ञानिकों की सूची में नही रहा यह चांद

हमारे सौर मंडल में अलौकिक जीवन की खोज के क्षेत्र में बृहस्पति का चंद्रमा आयो कभी भी सूची में नही रहा है। आईओ सौर मंडल का सबसे अधिक ज्‍वालामुखीय रूप से सक्रिय ग्रह है। जिस कारण इसे नर्क की दुनिया कहा जाता है। सैकड़ों सल्फर ज्वालामुखी नियमित रूप से वहां फटते हैं। इस चंद्रमा की सतह गर्म लावा और सल्फर ढकी हुई है। इसके बावजूद कुछ वैज्ञानिक इस दुनिया पर जीवन की संभावना विचार करने लगे हैं। माना जा रहा है कि इस ग्रह पर जीवन रहा होगा तो वह जमीन के भीतर ही होगा।

 अमानवीय ज्वालामुखी की दुनिया का चांद 

सर्वविदित हैं कि जीवन को गर्मी, पानी और रासायनिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और इस चांद पर सिवा अत्यधिक ताप के कुछ नही है। साथ ही इस उपग्रह के कुछ हिस्से बेहद ठंडे हैं। जहां तापमान माइनस में पहुंच जाता है। इसकी धरती ज्वालामुखियों के अंबार हैं और सतह मैग्मा से पटी रहती है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार इस उपग्रह में शायद एक वैश्विक मैग्मा महासागर है। साथ ही पानी और पोषक तत्वों की भारी कमी नजर आती है।

माइनस 130 तक गिरता है पारा 

इस उपग्रह पर वातावरण बहुत कम है। इसका कुछ हिस्सा बर्फ से आच्छादित है। जहां औसत तापमान -130 सेल्सियस रहता है, जबकि ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट क्षेत्र में 1,600 तक पहुंचने की संभावना रहती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आयो में कभी अकूत जल उसी तरह रहा होगा, जिस तरह यूरोपा और गेनीमेड में है। मगर अरबों वर्षों में तमाम परिवर्तनों के चलते इसमें भारी बदलाव आया होगा और इसकी सतह निर्जन हो गई होगी। जिस कारण इस उपग्रह पर जीवन के लिए बिल्कुल स्थान नहीं, जैसा कि हमारी पृथ्वी पर हैं

जूनो अंतरीक्ष यान नौ साल से कर रहा है खोजबीन 

नासा का जूनो अंतरिक्ष यान 2016 से बृहस्पति के साथ इसके बड़े चांदों की खोजबीन में जुटा हुआ है। बड़े चंद्रमाओं पर बारीक नज़र रख रहा है, जिसमें आयो भी शामिल है। वास्तव में, जूनो ने 5 जुलाई, 2022 को आयो के ज्वालामुखियों की कुछ अद्भुत इन्फ्रारेड तस्वीरें भेजीं हैं। इस साल के अंत में जूनो फिर से आईओ के उपर से गुजरेगा । इसके ऊपर से गुजरते समय दूरी लगभग 1,500 किमी होगी। यह चन्द्रमा धब्बेदार बहुरंगी ग्रह है। गैलीलियो अंतरिक्ष यान ने 28 जून1997 को आयो के ज्वालामुखी को फटते हुए देखा था। बहरहाल वैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी सतह की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद संभव है कि आयो पर सूक्ष्मजीवी जीवन सतह के नीचे मौजूद हो सकता है।

आईओ को लेकर सामने आए तथ्य 

आईओ को लेकर कई तथ्य सामने आ रहे। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसकी उपसतह में रोगाणु जीवित रह सकते हैं, यदि वे कभी अस्तित्व में थे? पृथ्वी पर, भू-तापीय गतिविधि, ज्वालामुखियों की तरह, माइक्रोबियल जीवन के लिए ऊर्जा स्रोत प्रदान करती है। Io पर भी ऐसा ही हो सकता है, कम से कम सैद्धांतिक रूप से। आयो पर, कम सल्फर यौगिक, जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड, जीव विज्ञान के लिए कुछ आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। भूमिगत वातावरण किसी भी जीव को बृहस्पति से शक्तिशाली विकिरण से बचा सकता है जो आई ओ को हिट करता है। लेकिन इसे पर्याप्त गर्म होने और कम से कम कुछ नमी रखने की भी आवश्यकता होगी। यदि पर्याप्त पानी नहीं है, तो हाइड्रोजन सल्फाइड एक विकल्प के रूप में काम कर सकता है। पानी की तरह, यह कार्बनिक यौगिकों को भंग कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आयो की सतह के नीचे संभावित परिस्थितियों में भी यह तरल रह सकता है। आईओ को लेकर चल रही चर्चा से उम्मीद है कि इस उपग्रह पर आने वाले दिनों अधिक शोध किए जाएंगे।

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स्रोत: Io: क्या आग और बर्फ के बीच जीवन संभव है?

फोटो: नासा / जेपीएल / डीएलआर

 

 


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