दो सूरज का चक्कर लगा रहा है यह ग्रह

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दो सूरज का चक्कर लगा रहा है यह ग्रह

खगोलविदों ने एक ऐसा ग्रह खोज निकाला है, जो दो सूरज की परिक्रमा कर रहा है। यह सौरमंडल पिक्टर नक्षत्र में मौजूद है। वैज्ञानिक इसे दुर्लभ खोज मान रहे हैं। जुड़वा तारों वाला यह ग्रह हमसे 1,320 प्रकाश-वर्ष दूर है। इस गोलाकार ग्रह का नाम टीओआइ -1338 बी है, जबकि जुड़वा तारे का नाम टीओआइ -1338 है।
2020 में नासा के एक्सोप्लैनेट-हंटिंग टेस स्पेस टेलीस्कोप ने पहली बार इस ग्रह को देखा था। इसकी पुष्टि करने के लिए लम्बा समय लग गया। इस बीच चिली के अटाकामा रेगिस्तान में स्थित यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला और वेरी लार्ज टेलीस्कोप की मदद ली गई । इसके बावजूद इसके ग्रह होने की पुष्टि नहीं हो सकी। मगर इस खोज में एक और दूसरे ग्रह हो गई। बहरहाल काफी जद्दोजिहद के बाद में इस ग्रह की वास्तविकता का पता चल पाया। यह ग्रह अपने तारों की लगभग 95 दिन में एक चक्कर लगाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 22 गुना अधिक है। आज से कुछ समय पहले तक माना जाता था कि जुड़वा तारों के ग्रहों की कल्पना कल्पनामात्र है। मगर नासा की दूरबीन कैप्लर के आ जाने के बाद ग्रहों की दुनिया का पता चलता गया। या समझिए कि ग्रह खोज की दुनिया में क्रांति आ गई। साथ ही बायनरी यानी जुड़वा तारों के ग्रहों की खोज भी होने लगी। कैप्लर अभी तक 5200 बाहरी ग्रहों को खोज चुका है। इंग्लैंड के ओपन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट मैथ्यू स्टैंडिंग ने अपने सहयोगियों के साथ इस खोज को मुकाम तक पहुंचाया है। वह कहते हैं कि यह खोज बढ़ी चुनौती थी। दरअसल मूल रूप से माना जाता था कि सर्कम्बिनरी ग्रहों यानी जुड़वा तारों का ग्रह का कोई अस्तित्व नहीं है। इसकी वजह बाइनरी स्टार्स ग्रह बनाने वाली डिस्क को हिलाते हैं और ग्रहों के निर्माण के लिए कठोर वातावरण बनाते हैं।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय के अनुसार यह दुर्लभ खोज है। कैप्लर दूरबीन के आ जाने से ग्रहों का संसार मिलने लगा है। भविष्य में कोई पृथ्वी जैसा दूसरा ग्रह भी अवश्य मिलेगा।

श्रोत व फोटो: अर्थ स्काई।


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