जीवन की प्रबल सम्भावना बृहस्पति के आईओ पर

Share It!

जीवन की प्रबल सम्भावना बृहस्पति के आईओ पर

बृहस्पति के आईओ पर जीवन की संभावना को लेकर वैज्ञानिकों को बढ़ी उम्मीद है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही यह ग्रह ज्वालामुखियों से तप रहा हो, लेकिन यहां पर किसी न किसी रूप में जीवन मौजूद होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। मशहूर वैज्ञानिक एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट डिर्क शुल्ज़-मकुच के बिग थिंक में भी इस चांद पर जीवन मौजूद होने के संकेत मिलते हैं।

नए अध्ययन बताता हैं इस चांद पर बढ़ी उम्मीदें

बृहस्पति का उपग्रह आईओ सौर मंडल का सार्वाधिक ज्‍वालामुखीय रूप से सक्रिय उप ग्रह है। जिस कारण इसे नर्क की दुनिया कहा जाता है। सैकड़ों सल्फर ज्वालामुखी नियमित रूप से यहा फटते हैं। इस चंद्रमा की सतह गर्म लावा और सल्फर से ढकी हुई है। इसके बावजूद कुछ वैज्ञानिक इस दूर की दुनिया पर जीवन की संभावना की बात करने लगे हैं। वैज्ञानिक यहां तक कहते हैं कि इस ग्रह पर जीवन रहा होगा तो वह जमीन के भीतर ही होगा।

ज्वालामुखी की दुनिया है यह चांद 

सर्वविदित हैं कि जीवन को गर्मी, पानी और रासायनिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और इस चांद पर सिवा अत्यधिक ताप के सिवा और कुछ भी नही है। मगर इसके विपरित इस उपग्रह के कुछ हिस्से बेहद ठंडे हैं। जहां तापमान माइनस में पहुंच जाता है। इसकी धरती ज्वालामुखियों के अंबार हैं और सतह मैग्मा से पटी रहती है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार इस उपग्रह में शायद एक वैश्विक मैग्मा का महासागर है। साथ ही पानी और पोषक तत्वों की भारी कमी है। यह चांद अलग विशेषताओं वाला है।

शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर जाता है पारा 

 इस उपग्रह पर वातावरण पृथ्वी जैसा नहीं है। इसका कुछ हिस्सा बर्फ से ढका रहता है। जहां औसत तापमान -130 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है, जबकि ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट क्षेत्र में 1,600 तक पहुंचने की संभावना रहती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आयो में कभी अकूत जल उसी तरह रहा होगा, जिस तरह उपग्रह यूरोपा और गेनीमेड में है। मगर अरबों वर्षों के दौरान तापमान में परिवर्तन आया होगा। जिस कारण इस उपग्रह पर पृथ्वी जैसे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती ।

जूनो अंतरीक्ष यान नौ साल से कर रहा है खोजबीन

नासा का जूनो अंतरिक्ष यान 2016 से बृहस्पति के साथ इसके बड़े चांदों की खोजबीन में जुटा हुआ है। वाह बड़े चंद्रमाओं पर अध्ययन कर रहा है, जिसमें आयो भी शामिल है। अंतरिक्ष यान जूनो ने 5 जुलाई, 2022 को आयो के ज्वालामुखियों की कुछ अद्भुत तस्वीरें भेजीं थी। इस साल के अंत में जूनो फिर से आईओ के उपर से गुजरेने जा रहा है । इसके ऊपर से गुजरते समय दूरी लगभग 1,500 किमी होगी। गैलीलियो अंतरिक्ष यान ने 28 जून1997 को आयो पर ज्वालामुखी फटते हुए देखा था। बहरहाल वैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी सतह की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद संभव है कि आयो पर सूक्ष्मजीवी जीवन सतह के नीचे मौजूद हो सकता है।

इस उपग्रह पर क्यों हैं जीवन की संभावना 

वैज्ञानिक कहते हैं कि इसकी उपसतह पर रोगाणु जीवित रह सकते हैं, यदि वे कभी अस्तित्व में थे? पृथ्वी पर, भू-तापीय गतिविधि, ज्वालामुखियों की तरह, माइक्रोबियल जीवन के लिए ऊर्जा स्रोत प्रदान करती है। Io पर भी ऐसा ही हो सकता है, कम से कम सैद्धांतिक रूप से। आयो पर, कम सल्फर यौगिक, जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड, जीव विज्ञान के लिए कुछ आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। भूमिगत वातावरण किसी भी जीव को बृहस्पति से शक्तिशाली विकिरण से बचा सकता है जो आई ओ को हिट करता है। लेकिन इसे पर्याप्त गर्म होने और कम से कम कुछ नमी रखने की भी आवश्यकता होगी। यदि पर्याप्त पानी नहीं है, तो हाइड्रोजन सल्फाइड एक विकल्प के रूप में काम कर सकता है। पानी की तरह, यह कार्बनिक यौगिकों को भंग कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आयो की सतह के नीचे संभावित परिस्थितियों में भी यह तरल रह सकता है। आईओ को लेकर चल रही चर्चा से उम्मीद है कि इस उपग्रह पर आने वाले दिनों अधिक शोध किए जाएंगे।

स्रोत: Io: क्या आग और बर्फ के बीच जीवन संभव है?

फोटो: नासा / जेपीएल / डीएलआर


Share It!