आग उगलते बर्फ के धूमकेतु ने वैज्ञानिकों को हैरान किया

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बर्फीले धूमकेतु में हो रहे भीषण विस्फोट ने वैज्ञानिकों को किया हैरान 
सुदूर अंतरीक्ष में कब क्या हो जाय, कोई नहीं जानता। इन दिनों एक धूमकेतु में कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिसने वैज्ञानिकों हैरान कर दिया है। यह असामान्य आश्चर्यजनक धूमकेतु जबर्दस्त विस्फोट के साथ ज्वालामुखी उगल रहा है। यह रहसमय धूमकेतु है, इसका ज्वालामुखी कुछ समय के लिए शांत पड़ता भी तो फिर से आग उगलना शुरू कर देता है। दुनिया के शौकिया वैज्ञानिकों के अलावा धूमकेतुओं पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों की नजरें इस धूमकेतु पर टिकी है। इस कॉमेंट का नाम 29पी है। इन दिनों सूर्यास्त के बाद मिथुन राशि के तारामंडल में इस रहस्यमय धूमकेतु को देखा जा सकता है। शुक्रवार की रात इस धूमकेतु की तस्वीर ली हैं।
बर्फ के ज्वालामुखियों से घिरा हुआ है यह कॉमेंट 
 ब्रिटिश एस्ट्रोनॉमिकल एसोसिएशन के डॉ. रिचर्ड माइल्स का कहना है कि  29P धूमकेतु  बर्फ के ज्वालामुखियों से घिरा हुआ है। इसमें लावा नहीं है। यह शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन की तरह का है। इसमें “मैग्मा” तरल हाइड्रोकार्बन (जैसे, CH4, C2H4, C2H6 और C3H8) का ठंडा मिश्रण है। उपग्रह टाइटन पर झीलों और धाराएं है। इस धूमकेतु का क्रायोमाग्मा सोडा की बोतल में कार्बोनेशन की तरह घुलने वाली गैसों N2 और CO से भरा हुआ है। सूर्य के प्रकाश की गर्माहट क्रिया द्वारा एक फिशर खुलता है तो  वाष्पशील पदार्थ द्वारा विस्फोट होने शुरू हो जाते हैं। बहरहाल इस धूमकेतु में हो रहे विस्फोट सामान्य नहीं कहे जा सकते हैं, जो इस धूमकेतु को असाधारण बनाते हैं।
इस धूमकेतु में हो रहे हैं लगातार विस्फोट
इस धूमकेतु में हो रहे विस्फोट से निकलने वाला प्लुम  करीब 270 किमी प्रति घंटा की गति से नाभिक से दूर प्रवाहित होता है और अंतरिक्ष में 11,000 किमी से अधिक अधिक दायरे में फैला हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि इस तरह का विस्फोट पृथ्वी पर हो रहा होता, तो वह अंतरीक्ष में विचरते हजारों उपग्रहों को ठंढे हाइड्रोकार्बन से ढक देता। इस धूमकेतु में लगातार विस्फोट हो रहे हैं।
2014 में पहली बार देखा था मिनी विस्फोट
2014 में खगोलविदों ने पहली बार धूमकेतु पर एक मिनी-विस्फोट का पता लगाया था। मगर अब वह भयानक आग उगल रहा है।  वैज्ञानिक रिचर्ड माइल्स का मानना ​​है कि हाल ही में देखे गए शक्तिशाली विस्फोट धूमकेतु के अंदर और साथ ही इसकी सतह पर होने वाली जटिल भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का परिणाम हो सकते हैं।
इसके अजीबो गरीब व्यवहार को कोई नहीं जानता 
खगोलविदों को 29पी के अजीब व्यवहार के बारे में बहुत कम जानकारी है। वैज्ञानिक यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि अब इसकी गतिविधि में अचानक वृद्धि क्यों हो रही है। धूमकेतुओं की गतिविधि आमतौर पर सूर्य की गर्मी से निर्धारित होती है। वह सूर्य के जितना करीब होता है, बर्फीले धूमकेतु में उतनी ही अधिक बर्फ वाष्पीकृत होती है। धूमकेतु 29P की कक्षा गोलाकार है। इसलिए सूर्य से इसकी दूरी मुश्किल से बदलती है।
1927 में हुई थी इस आश्चर्यजनक धूमकेतु की खोज
1927 में धूमकेतु की खोज हुई थी। 29P एक दिमाग हिला देने वाला है।  यह सेंटोरस के नाम से जाने जाने वाले धूमकेतुओं में से एक है, जो शनि और बृहस्पति के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है। वह धीरे-धीरे अपना रास्ता बना रहा है जिसे खगोलविद एक प्रवेश द्वार कहते हैं।  अंततः वह बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण द्वारा सूर्य के करीब (या बाहर) जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। वह शक्तिशाली विस्फोटों के साथ चमकता है। जिस कारण इसे बृहस्पति के चंद्रमा आईओ के बाद सौर मंडल में दूसरा सबसे सक्रिय वस्तु बनाता है। यह विस्फोट के होने के बारे में फिलहाल कोई नही जानता।
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 श्रोत:  स्काई एंड टेलिस्कोप पत्रिका व स्पेस वेदर.कॉम.
फोटो : ए डेबेकर्स, एम मलारिक.

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