सबसे पुरानी दुर्लभ ग्रह नीहारिका की खोज

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सबसे पुरानी ग्रह नीहारिका की खोज
ब्राह्मण हमारी कल्पना से जितना दूर है उतना ही अविश्वनीय व अदभुत है। अंतरिक्ष के अंधेरे महासागर में डूबे  वैज्ञानिक आए दिन इसमें से कुछ न कुछ खोजते रहते हैं और हम तक पहुंचाते हैं। अब एक ऐसी ही नायब खोज ग्रह निहारिका की है, जिसे अब तक के सबसे पुरानी बताया जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्रह नीहारिकाएं सूर्य जैसे तारों के समान बहुत कम  समय तक  जीवित रहने वाले सीमित संख्या में बचे हुए हैं। यह  बता दें कि ग्रह निहारिका का ग्रह से कोई संबंध नहीं है।
ओपन क्लस्टर  M37
अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला (एलएसआर) और हांगकांग विश्वविद्यालय (एचकेयू) में भौतिकी विभाग के सदस्यों के नेतृत्व में खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक दुर्लभ खगोलीय  खोज की है।  ग्रहीय नेबुला (पीएन) 500 के अंदर मिलियन वर्ष पुराना गेलेक्टिक ओपन क्लस्टर  M37  यह उच्च खगोलीय मूल्य की एक बहुत ही दुर्लभ खोज है। उनके निष्कर्ष अभी प्रतिष्ठित ओपन-एक्सेस पेपर एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं।
इन्हें घोस्ट स्टार यानी भूतिया तारा भी कहा जाता है
माना जाता है कि अधिकांश “स्टार घोस्ट” केवल लगभग 25,000 वर्षों तक ही जीवित रहे हैं। सामान्यतः  उनके मलबे के बादल इतने व्यापक रूप से फैलते हैं कि वे काफी जल्दी फीके पड़ जाते हैं। मगर इस नई खोज के अनुसार यह कम से कम 70,000 वर्षों तक जीवित रहा है। जिस कारण  इसे ग्रहीय नीहारिकाओं का  ग्रैंड डेम अर्थात एक तरह से नायाब बनाता है।
इन खगोलविदों ने लगाया पता 
अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला (एलएसआर) और हांगकांग विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के सदस्यों के नेतृत्व में खगोलविदों की एक टीम ने इस दुर्लभ खगोलीय ग्रहिका  को तारा समूह M37 में देखा। यह हमारी आकाशगंगा में सूर्य के समान गैलेक्टिक भुजा में परिक्रमा करता है । इसका द्रब्यमान लगभग 1,500 सौर  हैं। IPHASX J055226.2+323724 नामक  हमारी आकाशगंगा में एक खुले क्लस्टर से जुड़ी तीसरी ज्ञात ग्रह नीहारिका है। 
इस तरह से समझा जा सकता है वृद्ध ग्रह नीहारिका को 
एक ग्रहीय नीहारिका एक गर्म सफेद बौना तारा है जो विभिन्न पदार्थों के  एक खोल से घिरा होता है और इसे समय के साथ वृद्धावस्था में  बाहर निकाल दिया जाता है। कुछ ग्रहीय नीहारिकाओं का बाहरी आवरण यानी खोल मोटे तौर पर गोलाकार होता है, जबकि अन्य में यह दो ध्रुवों में
दिखने वाला हो सकता है। तारे से निकलने वाला विकिरण नीहारिका को गर्म करता है, जिससे वह चमकने लगता है। इसकी  आयु निर्धारित करना कठिन लग सकता है। मगर एचकेयू के क्वेंटिन पार्कर के नेतृत्व में  खोज करने वाली टीम ने पाया कि इसकी गतिज आयु 70,000 वर्ष है। यह एक अनुमान है, लेकिन नेबुला कितनी तेजी से विस्तार कर रहा है, इसके आधार पर यह एक सटीक अनुमान है। मरने वाले तारे के चारों ओर फैले हुए खोल में गर्म चमकती गैस से उत्सर्जित प्रकाश के उत्सर्जन स्पेक्ट्रम के जरिए यह संभव हो सका है। 
खोजकर्ताओं का यह भी कहना है।
इस ग्रहिका के विस्तार की गति शुरुआत से ही प्रभावी रूप से समान रही है। तारे की मौत के बाद  सबसे पहले  बाहरी परतों को बाहर निकाला। जिसका सही आंकलन से पता चलता है कि 70,000 साल का है। तुलनात्मक रूप से, अधिकांश “विशिष्ट” ग्रहीय नीहारिकाएं लगभग 5,000 से 25,000 वर्षों तक ही चलती हैं। तारे के जीवन की तुलना में यह अपेक्षाकृत त्वरित समय है, जो लगभग सैकड़ों मिलियन या अरबों वर्षों का हो सकता है।
 श्रोत: अंतरिक्ष अनुसंधान (एलएसआर) और हांगकांग विश्वविद्यालय (एचकेयू) में भौतिकी विभाग ।

For More Information

Discovery of the Oldest Visible Planetary Nebula

The Planetary Nebula in the 500 Myr Old Open Cluster M37


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