वैज्ञानिकों ने खोज निकाला रहस्यमय ब्लैक होल

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वैज्ञानिकों ने खोज निकाला रहस्यमय ब्लैक होल

 

वैज्ञानिकों ने मायावी ब्लैक होल खोज निकाला है। यह पृथ्वी से 26 हजार प्रकाश वर्ष दूर है। सघन रूप से भरा गोलाकार नक्षत्र का नाम एनजीसी 6325 है। हबल स्पेस टेलीस्कोप ने इसे खोजा है। यह खोज मध्यवर्ती ब्लैकहोल की उत्पत्ति में प्रकाश डाल पाएगी।
खोजकर्ता नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार इस कलस्टर में हज़ारों से लाखों के बीच तारे हो सकते हैं। इस तरह के नक्षत्र सभी प्रकार की आकाशगंगाओं में पाए जाते हैं। हमारी मिल्की वे में स्वयं लगभग 180 ज्ञात गोलाकार तारा समूह मौजूद हैं। माना जाता है कि एक गोलाकार समूह में सभी तारे एक ही समय में गैस और धूल के एक ही ढहने वाले बादल से बने होते हैं। इनकी जांच पड़ताल करने से खगोल भौतिकीविद् सितारों के बनने और विकसित होने के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। मगर खगोलविद खोजे गए 6325 में सघनता से भरे सितारों की तुलना में कहीं अधिक मायावी चीज़ की तलाश कर रहे हैं, जो कॉम्पैक्ट कॉस्मिक टाइटन यानी मध्यवर्ती-द्रव्यमान ब्लैक होल कहा जाता है। इस वर्ग के नमूनों की खोज बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि खगोलविद अभी भी यह नहीं जानते हैं कि वे कैसे पैदा होते हैं। खगोलविद ब्रह्मांड के सबसे बड़े ब्लैक होल से भलीभांति परिचित हैं और जानते हैं कि वह सूर्य से लगभग तीन से 10 गुना द्रव्यमान वाले तारकीय द्रव्यमान के हो सकते हैं। ये तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल तब बनते हैं जब किसी एक तारे का केंद्र अपने हाइड्रोजन जलने वाले जीवनकाल के अंत में अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण में ढह जाता है। अब सुपरमैसिव ब्लैक होल की बात करें तो उनका द्रव्यमान सूर्य से अरबों गुना अधिक होता है। यह ब्लैकहोल सबसे बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में स्थित होते है। जब दो ब्लैकहोल आपस में टकराते हैं, तब सुपरमैसिव ब्लैक होल पैदा होता है। मगर मध्यवर्ती-द्रव्यमान वाले ब्लैक होल अभी भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्यमय बने हुए हैं। मध्यम आकार के इन ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से 100 से 10,000 गुना अधिक होता है। इनकी उत्पत्ति के बारे में अभी भी सही जानकारी मिल पाई है। जिस कारण यह खोज महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो मध्यम आकार के ब्लैकहोल के पैदा होने का रहस्य उजागर करेगी। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के तारों के वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि मध्यम आकार वाले ब्लैकहोल की उत्पत्ति समझने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। जैसे जैसे दूर असमान में झांकने की हमारी क्षमता आगे बड़ रही है, वैसे ही ब्रह्माण्ड के रहस्य भी उजागर होते जा रहे हैं।

श्रोत व फोटो: नासा।


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