ब्रह्माण्ड को अपने इशारे पर नचाने वाले गुरुत्व की दहाड़
समूचे ब्रह्मांड को अपने इशारे पर नचाने वाले गुरुत्वाकर्षण की दहाड़ का पता चल गया है। समझा जाता था कि गुरुत्वाकर्षण साइलेंस ताकत है, लेकिन सच में ऐसा है नही।
गुरुत्वाकर्षण ही वह ताकत है, जो ब्रह्मांड को एक सूत्र में पिरोकर रखती है। इसकी अपनी भी कोई आवाज होती है, इसका पता नही था , लेकिन वैज्ञानिकों की कड़ी मशक्कत के बाद इसका पता लग पाया।
यह ऐतिहासिक खोज है
यह खोज दुनिया के कई देशों के सामूहिक वैज्ञानिक प्रयास के चलते संभव हो सकी है।
गुरुत्वाकर्षण को लेकर अनेक रहस्य सदियों से रहे हैं। इसकी खोज के बाद गुरुत्वाकर्षण की चमत्कारी शक्ति को तो समझा जा सकता था। मगर इसके रंग रूप व आवाज से परिचित नहीं थे। कुछ वर्ष पूर्व पहली बार तरंग के रूप में इसकी पहचान हो सकी थी। मगर इसकी आवाज से वैज्ञानिक अनभिज्ञ थे।
15 साल लग गए इसकी आवाज सुनने में
करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से इसके ध्वजी की खोज की जा रही थी। इस खोज में भारत समेत चीन, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक शामिल हुए और इस रहस्य को उजागर कर पाने में सफल हो पाए। खोजकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि महाविशाल ब्लैक होल के आपस में विलय होने से गुरुत्वाकर्षण की ध्वनि उत्पन्न होती है। विशाल ब्लैक होल लाखों वर्षों में सिकुड़ती हुई अपनी कक्षाओं में एक-दूसरे का चक्कर लगा रहे हैं। इस प्रक्रिया में ब्लैक होल गुरुत्वाकर्षण तरंगों के रूप में ऊर्जा छोड़ते हैं । यह ऐसी ध्वनि है, जो पूरे ब्रह्मांड में महीन स्वर में गूंजती हैं। टेनेसी स्थित वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में गुरुत्वाकर्षण तरंग खगोल भौतिकीविद स्टीफन टेलर ने इस खोज का नेतृत्व किया। खगोलविदों ने आकाशगंगा में मिलीसेकंड पल्सर के आकाशगंगा के आकार के एंटीना के जरिए गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया। वैज्ञानिकों का कहना है कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों की निरंतर चलने वाली प्रतिध्वनि है, जो बिग बैंग के तुरंत बाद हुई घटनाओं और पूरे ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल के विलय के कारण उत्पन्न हुई थी। अरेसिबो वेधशाला, वेस्ट वर्जीनिया की ग्रीन बैंक वेधशाला, कार्ल जी,
करनान्यू मैक्सिको की जांस्की वेरी लार्ज ऐरे और कनाडा की कैनेडियन हाइड्रोजन इंटेंसिटी मैपिंग एक्सपेरिमेंट केंद्र की मदद से यह खोज संभव हो सकी और इस अनुसंधान में 15 वर्ष लग गए।
भविष्य में ब्लैक होल के विलय का ठोस सबूत भी देती है यह खोज
यह खोज ऐतिहासिक तो है ही, साथ ही इस बात का प्रमाण भी देती है कि अगले कुछ लाख वर्षों में हजारों या उससे भी अधिक सुपरमैसिव ब्लैक होल आपस में विलीन हो सकते हैं।
श्रोत व फोटो : अर्थ स्काई।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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