गायब हो जाएंगे शनि ग्रह की रिंग्स

Share It!

 शनि ग्रह के खूबसूरत रिंग्स और

       गायब होने का सच

भले ही शनि ग्रह के प्रभावों को लेकर ज्योतिषियों की राय जीवन में अलग मायने रखती हों, लेकिन आधुनिक खगोल विज्ञान की नजर में यह  मंत्रमुग्ध कर देने वाला शानदार ग्रह है। जिसकी सुंदरता की सबसे बढ़ी वजह इसके चारों ओर लिपटी छल्ले (रिंग्स) हैं, जो शनि ग्रह की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं।
मगर अगले वर्ष इसकी रिंग्स गायब होने जा रही हैं। यह एक रोमांचक घटना होगी। इसकी सच्चाई शनि की कोणीय स्थिति होगी, जिस कारण पृथ्वी से देखे जाने पर रिंग्स एक पतली सी लाइन में सिमट जाएंगी। मात्र कोणीय अवस्था में परिवर्तन आने के कारण यह दिलचस्प घटना होती है, जबकि वास्तविकता में रिंग्स के आकार प्रकार में कोई बदलाव नही आता है।
 13 से 15 वर्षों के अंतराल में शनि की यह रोमांचक खगोलीय घटना होती है। दरअसल ग्रहों की दुनिया को हम सुंदरता की निगाह से  देखना पसंद करते हैं। जिसके तहत हर ग्रह की अपनी सुंदरता है। शुक्र ग्रह को निहारना मन में उमंग जगाता है, तो अपनी चमक की अलग छाप छोड़ने वाला बृहस्पति आसमान में तारों के बीच अलग कयामत के साथ नजर आता है। वहीं लालिमा लिए लाल रंग में रंगा लाल ग्रह मंगल की छटा दूर गगन में मनमोहक नजर आती है।
 इन सबमें जुदा शनि को देखें  तो यह सामान्य तारे की भांति टिमटिमाता नजर आता है। मगर इसके अंदर झांकने से इसकी अविरल सुंदरता कल्पना से परे नजर आती है। चांदी सी चमक लिए बेहद खूबसूरत नजर आता है, लेकिन इसके लिए दूरबीन की जरूरत पड़ती है। शनि का यथावत कोई एक निश्चित समय नही है। इसकी वजह अपनी चाल के साथ कोण बदलते रहना है।
कोण बदलने का समय 13 से 15 वर्षों के बीच रहता है। इस अंतराल मे एक समय ऐसा भी आता है, जब शनि के सभी छल्ले नजर आने लगते हैं , तब शनि बेपनाह सुंदर नजर आता है। फिर एक समय ऐसा आता है, जब सभी छल्ले एक सीध में सीधी लाइन में केंद्रित हो जाते हैं। एक लाइन में आने का समय अब करीब आने लगा है और रिंग्स की कोणीय अवस्था सिकुड़ने लगी है। जिसके चलते छल्ले एक एक कर गायब होने लगेंगे और मार्च 2025 में पंक्तिबद्ध हो जाएंगे, जो पृथ्वी से हमे मात्र एक रेखा में नजर आएंगे।
अगले कुछ महीनों के दौरान छल्लों का एक एक कर लुप्त होते देखना अलग रोमांच है और इसके बाद पूनः छल्लों में फैलाव होने लगेगा। यह घटना खगोल प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है, वहीं वैज्ञानिक कालगणना व अध्ययन को लेकर बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
 बृहस्पति के बाद शनि हमारे सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। शनि की लंबाई 120,500 किमी है। शनि को चारों ओर से घेरे   विशाल छल्ले यानी वलय प्रणाली की लंबाई 175,282,000 किमी है। छल्ले बनाने वाली अधिकांश सामग्री धूल से लेकर एक कमरे के आकार तक होती है। जिनकी मोटाई औसतन 30 फीट तक होती है।
लेखक : बबलु चंद्रा।
फोटो: नासा
श्रोत: हाई पॉइंट साइंटिफिक के माध्यम से।

Share It!