अमेरिका और चीन के बीच है अंतरिक्ष की असल रेस 

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अमेरिका और चीन के बीच है अंतरिक्ष की असल दौड़ 

माना कि वर्तमान में कोई भी देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में पीछे नहीं रहना चाहता है। भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता। कभी एक दौर रूस का सबसे ऊपर हुआ करता था, लेकिन वह भी पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी को इस दौड़ में कमकर नही आंक सकते। इएसए की कई परियोजनाओं का विश्व में कोई तोड़ नही । मगर चायना पर नज़र डालते हैं, उसे देख लगता है कि यही एकमात्र देश है, जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी को पछाड़ना चाहता है। बहरहाल खगोलविदों का मानना है कि वर्तमान में अमेरिका इस रेस में सबसे आगे हैं, लेकिन उसके बाद जिस तेजी से चायना आगे बढ़ रहा है तो इन दोनों देशों के बीच ही असल दौड़ है।

अमेरिका ने पिछले साल रचा था इतिहास

कुछ महीने पहले नासा ने एक मानव रहित ओरियन अंतरिक्ष यान आर्टेमिस चंद्रमा कार्यक्रम का हिस्सा पृथ्वी से अपनी अधिकतम दूरी 268,563 मील (432,210 किमी) तक पहुंच गया था। इधर हाल ही में नासा ने उन 4 अंतरिक्ष के लिए तैयार यात्रियों की घोषणा कर डाली। यह अभियान चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरने के लिए 2024 आर्टेमिस 2 मिशन का हिस्सा होगा। मगर इस रेस में चीन भी पीछे नहीं रहना चाहता और वह जल्द ही इस दिशा के बड़ा ऐलान कर सकता है।

दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर स्वेतला बेन-इत्ज़ाक, एयर यूनिवर्सिटी की टिप्पणी 

हाल के वर्षों में कई रोमांचक प्रक्षेपणों के बाद समाचार कवरेज में अमेरिका और चीन के बीच एक नई “अंतरिक्ष दौड़” के उदय की घोषणा करने वाली सुर्खियां आम हो गई हैं। विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष में चीन की तेजी से प्रगति को एक उभरते हुए परिदृश्य के प्रमाण के रूप में इंगित किया है जहां चीन वर्चस्व के लिए अमेरिका के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा कर रहा है। चीन और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष की दौड़ का यह विचार चीन के उदय के व्यापक आख्यान को देखते हुए ठोस लगता है। लेकिन यह कितना सही है? अंतरिक्ष और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन करने वाले एक प्रोफेसर के रूप में, मेरे शोध का उद्देश्य अंतरिक्ष में विभिन्न राष्ट्रों की शक्ति और क्षमताओं की मात्रा निर्धारित करना है। जब मैं विभिन्न क्षमताओं को देखता हूं, तो डेटा अमेरिका और चीन के बीच एक तंग अंतरिक्ष दौड़ की तुलना में कहीं अधिक जटिल तस्वीर पेश करता है। कम से कम वर्तमान में इस दिशा में कोई सटीक टिप्पणी नहीं की जा सकती। वास्तविकता अधिक वैसी ही दिखती है, जिसे मैं एक जटिल आधिपत्य कहता हूं। प्रमुख अंतरिक्ष क्षमताओं में अभी भी एक राज्य, यू.एस. का दबदबा है। भागीदारों के एक मजबूत नेटवर्क द्वारा इस बढ़त को और बढ़ाया जाता है।

ये सत्य भी अपनी जगह अटल 

स्वेतला का एनालाइज को कतई नकारा नहीं जा सकता। इसके बावजूद वर्तमान में नासा जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उसे देख लगता है कि भविष्य में यही अंतरिक्ष का किंग होगा। वर्तमान स्थिति को दौड़ कहने का अर्थ है कि अमेरिका और चीन के पास अंतरिक्ष में लगभग समान क्षमताएं हैं। लेकिन कई प्रमुख क्षेत्रों में, यू.एस. न केवल चीन से, बल्कि अन्य सभी अंतरिक्ष यात्री देशों से संयुक्त रूप से बहुत आगे है।

अहम होंगे अगले दस साल – डा शशिभूषण पांडेय

एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि इसमें जरा भी संदेह नहीं कि दुनिया के कई देश अंतरीक्ष की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। यह होड़ वास्तव में पूरी दुनिया के लिए सकारात्मक है। जिसके चलते लगता है कि अगले दस साल अंतरिक्ष के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण होंगे। इस दौरान हमें अंतरिक्ष के कुछ ऐसे सुंदर समाचार सुनने को मिलेंगे, जो शायद आम इंसान की कल्पना से परे हों।

श्रोत: एरीज एंड अर्थ स्काई।

फोटो: नासा।


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