भीषण विस्फोट के साथ मरने वाले तारों का अब पूर्वानुमान संभव

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 बड़े तारों की मौत की भविष्यवाणी
सूर्य से कई गुना विशाल तारों का अंत ब्रह्माण्ड की बड़ी घटनाएं हैं। यह सूपरनोवा है। सुपरनोवा प्रलयकारी महा विस्फोट है। ऐसे विस्फोट का पूर्व में अनुमान लगा पाना कोई आसान काम नही है, लेकिन वाज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक तरीका खोज निकाला है। जिससे वह पहले ही विशाल तारे में होने वाले विकराल विस्फोट की भविष्यवाणी कर पाएंगे। 
  अनंत में फैले ब्रह्माण्ड में तारे अपनी खास अहमियत रखते हैं। ये जितने विशाल हैं, उतने ही ऊर्जावान और शक्तिशाली भी हैं। हमारे सौर मंडल का तारा यानी सूर्य इसका प्रत्यक्ष  प्रमाण है, जो एक मध्यम आकार का होने के बावजूद हमारे विशाल सोलर सिस्टम को संचालित करता है। तो फिर बड़े तारों की शक्ति को  कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं, जो अपने पूरे जीवनकाल में खास अहमियत रखते हैं और उनकी मौत यानी अंत  भीषण विस्फोट विस्फोट के साथ होती है। अलबत्ता महा विस्फोट का पूर्वानुमान लगा पाना खगोल विज्ञान की प्रगति का द्योतक है। इस शोध को प्रीप्रिंट डेटाबेस arXiv को  रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया है।
अंत में हिंसक चरण से गुजरता है तारा
भला कौन नही होगा, असमान में विचरते तारों के जीवनकाल के बारे में जिज्ञासा न रखता हो। इनके अंत को लेकर वैज्ञानिक कहते हैं कि  जब एक विशाल तारा अपने जीवन के अंत के करीब पहुंचता है, तो वह कई हिंसक चरणों से गुजरता है। तारे के मूल में गहरा, यह फ्यूज़िंग हाइड्रोजन से फ़्यूज़िंग भारी तत्वों में स्थानांतरित हो जाता है। यह प्रक्रिया हीलियम से शुरू होकर कार्बन, ऑक्सीजन, मैग्नीशियम और सिलिकॉन तक पहुंचती है और  अंत में तारा  अपने मूल में लोहे का निर्माण करता है। क्योंकि लोहा ऊर्जा को छोड़ने के बजाय उसे सोख लेता है। इससे तारे का अंत हो जाता है, और चंद मिनट से भी कम समय में एक सुपरनोवा नामक एक शानदार विस्फोट में खुद को अंदर से बाहर कर देता है।
अंत में बड़े आकार में तब्दील हो जाता है तारा
 विशाल तारे अंतिम समय के दौरान बड़े आकार तक पहुंच जाते है और भारी मात्रा में प्रकाश उत्पन्न करते हैं। यह प्रकाश इतना यह होता है कि  सूर्य की  तुलना में हजारों गुना अधिक चमकीला हो जाता है। इसके साथ ही उसके सतह का बाहरी तापमान  में गिर जाता है। जिस कारण लाल रंग में तब्दील हो जाते  हैं।
दो मॉडलों के जरिए हुआ शोध
शोधकर्ताओं ने दो मॉडलों के जरिए इस शोध को अंजाम तक पहुंचाया। जिसमे एक मॉडल में तारे ने अपनी सतह से उच्च-वेग वाली हवाएँ उड़ाईं, जो टुकड़े यानी पदार्थ को खुद से अलग कर लेते हैं और  दशकों के दौरान अपने अंत का सामान  अपने चारों ओर एक चादर की तरह  फैला देती थीं। दूसरे मॉडल में तारे को एक हिंसक प्री-सुपरनोवा विस्फोट के भीषण रूप को प्रदर्शित किया गया है।
हमारा अपना तारा सूर्य पर ARIES नैनीताल के सौर वैज्ञानिक डा वहाबउद्दीन की टिप्पणी
डा वहाबउद्दीन कहते हैं कि करीब 32  वर्षों से सूर्य का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इतना लंबा समय बीत जानने के बाद भी वह सूर्य का एक कण जितना ज्ञान ही प्राप्त कर पाए हैं। अब वह अगले कुछ साल बाद रिटायर्ड हो जाएंगे। मगर सूर्य के प्रति उनकी जिज्ञासा अभी तक शांत नहीं हो पाई है। कहने का तात्पर्य यह है कि  अपने तारे के बेहद करीब होने के बाद भी हम इसके बारे में  कितना  जान पाए हैं, जबकि दूर के तारों को समझ पाना कितनी टेढ़ी खीर है। इसके बावजूद इस दिशा में हम कुछ ढूंढ पाते हैं तो यह हमारे लिए गौरव की बात है। 
श्रोत: स्पेस.कॉम
फोटो : एक्स-रे: नासा/सीएक्ससी/एमआईटी/एल। 
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