ओरियन नेबुला अब राज नहीं रहा – जेम्स वेब स्पेस टेलेस्कॉप की खोज
जेम्स वेब स्पेस टेलेसकोप (JWST) ने ओरियन नेबुला (Orion Nebula) की गहराई में उतरकर बेहतरीन तस्वीर लेकर वाज्ञानिकों की छः वर्षों की मेहनत को अंजाम के नजदीक ला दिया है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक शोध कर 18 देशों के 100 वैज्ञानिकों की टीम अब इस निहारिका में पैदा होने वाले तारों के विकास के रहस्य को समझ पाएंगे। इतना ही नहीं हमारे सौर मंडल के निर्माण को लेकर अनसुलझी कई गुत्थियां भी सुलझने से इंकार नहीं किया जा सकता। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तस्वीर ने उन आंकड़ों को जुटा दिया है, जिनकी तलाश हम लंबे समय से कर रहे थे।
नासा ने जारी की ओरियन की मनमोहक तस्वीर
नासा समेत कई अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस निहारिका की तस्वीर मंगलवार को जारी की। देखने में यह तस्वीर हर किसी का मन मोहने की क्षमता रखती है। यह कई रंगों में सजी हुई है। अंतरिक्ष की निहारिकाओं का रंग रूप इतना सुंदर भी हो सकता है। यह देखने से प्रतीत होता है। यह तस्वीर आम इंसान के लिए बेहद खूबसूरत हो, लेकिन वाज्ञानिकों के लिए बेशकीमती खजाने से कम नहीं। क्योंकि इन्ही के जरिए ब्रह्माण्ड के टिमटिमाते तारों के पैदा होने की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। इसलिए वैज्ञानिक वर्ग बेहद उत्साहित है, जो अब दावा करने लगा है कि हम दिनों दिन अंतरिक्ष के करीब पहुंचने लगे हैं। इसलिए ब्रह्माण्ड की खोज की दुनिया में नए आयाम स्थापित करने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। जिससे भौतिकी दुनिया का नजरिया भी बदल सकता है और भौतिक युग की नई शुरुआत हो सकती है। क्योंकि जहां हम रहते हैं, वहां का संसार ब्रह्माण्ड के सामने एक तिनके से भी छोटा है। लिहाजा असीमित ब्रह्माण्ड से हम भविष्य में इतना कुछ हासिल कर सकते हैं कि जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस तस्वीर के साथ ब्रह्माण्ड को लेकर भारतीय वैज्ञानिक इसी तरह के विचार प्रकट करते हैं।
1350 प्रकाश वर्ष दूर है यह निहारिका
ओरियन नेबुला एक तारकीय नर्सरी है। जन्हा बड़ी मात्रा में तारा बनते हैं। हमसे यह निहारिका 1350 प्रकाश वर्ष दूर है। एक सीधी लाइन में स्थित तीन तारे नजर आते हैं। उन्ही के बीच यह तारों की फैक्टरी है। इस निहारिका में बड़ी मात्रा में धूल के विशाल बादल हैं, जो इसके अंदर तक नहीं झांकने देते। मगर वेब के इन्फ्रारेड कैमरा इसके अंदर तक देख सकता है और हर भीतर की हर तस्वीर को हम तक पहुंचा सकता है और इस तस्वीर ने वही काम कर दिखाया है। NASA, ESA ,CSA, PDRs4All , ERS ने इसकी तस्वीरों को जारी किया है।
18 देशों के 100 वैज्ञानिक शामिल हैं इस शोध कार्य में
इस योजना की शुरुआत 2017 में हुई थी। जिसे बड़े पैमाने में किए जाने का निर्णय लिया गया और 18 देशों के वैज्ञानिकों को इसमें शामिल किया गया और 100 वैज्ञानिक योजना में शामिल किया गया। उद्देश्य एक था , लेकिन दिमाग अलग अलग थे, जो कड़ी से कड़ी जोड़कर ओरियन नेबुला में पैदा होने वाले तारों व हाइड्रोजन के बादलों के तारों के निर्माण में सहायक हो सकते हैं। बहरहाल बेशुमार रहस्य हैं, जिन्हे समझना बाकी है।
क्या कहते हैं एरीज के वैज्ञानिक
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय का कहना है कि अंतरिक्ष जितना विशाल है, उतना ही अनसुलझा भी । अब तकनीक व सुविधाओं का विस्तार हो रहा है तो खोज की दिशा में भी विस्तार हो रहा। वेब द्वारा ली गई ओरियन नेबुला की तस्वीर वैज्ञानिकों के भीतर आत्म विश्वास का संचार करने वाली है।
श्रोत व फोटो: ESA ,CSA, PDRs4All , ERS
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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