पृथ्वी के नजदीकी तारों में होगी अब जीवन की खोज

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पृथ्वी के नजदीकी तारों में होगी अब जीवन की खोज

इतने ब्रह्माण्ड में किसी दूसरे ग्रह पर जीवन हो ही न, ये कैसे संभव हो सकता है। भले हम जैसा जीवन न हो, लेकिन किसी दूसरे रूप में जरूर होगा। खगोलविद यही मानते हैं। मगर सदियां बीत गई , खगोलविदों ने ब्राह्मण की खाक छान दी, लेकिन कहीं भी कोई पता अब तक नही चल सका। यह रहस्य आज तक बना हुआ है। जिसके चलते वैज्ञानिकों का नजरिया अब बदलने लगा है और अब वह पृथ्वी के नजदीकी तारों के सोलर सिस्टम की तलाश में जुटने लगे हैं।

अल्फा सेंटॉरी पर वैज्ञानिकों की नजर

जीवन योग्य ग्रहों की तलाश में अब ऐसे तारों को चयनीत किया जा रहा है, जो हमारे सूर्य के करीब हों। इस दिशा में अल्फा सेंटॉरी को चयनित किया गया है। यह तारामंडल हमारे सूर्य के सबसे निकट है। संभव है कि इस तारामंडल के तारों में कोई पृथ्वी के समान ग्रह मिल जाय।

पृथ्वी से नजर आने वाला तीसरे नंबर का सबसे चमकीला तारा

अल्फा सेंटॉरी पृथ्वी से नजर आने वाला हमारे आकाश का तीसरा सबसे चमकीला तारा है। इस तारा मंडल के तारों में ग्रहों के अलग संसार की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। इस तारा मंडल में जिस एकल तारे को हम अल्फा सेंटॉरी के रूप में देखते हैं, वह एक दोहरे तारे में विलीन हो जाता है।

4.37 प्रकाश वर्ष दूर है तारों का यह जोड़ा

तारों का यह जोड़ा हमसे सिर्फ 4.37 प्रकाश वर्ष दूर है। साथ ही उनके चारों ओर की कक्षा में प्रॉक्सिमा सेंटौरी तारा मंडल है, लेकिन यह थोड़ा धुँधला नजर आता है। फिर भी हम इसे नग्न आंखों से देख सकते हैं। वास्तव में यह तारा मंडल हमसे 4.25 प्रकाश वर्ष दूर है। जिस कारण यही हमारा सबसे करीबी तारा मंडल है, लेकिन अल्फा सेंटॉरी अधिक चमकीला नजर आने के कारण वैज्ञानिकों निगाहें इस पर अधिक है। इस तारा मंडल के रूप रंग और आकार की बात करें तो अल्फा सेंटॉरी बनाने वाले दो तारों में एक का नाम रिगिल केंटोरस और दूसरे का नाम टॉलीमैन हैं। रिगिल केंटोरस को अल्फा सेंटॉरी ए के नाम से भी जाना जाता है। यह यह तारा पीले रंग का है, जो सूर्य से थोड़ा अधिक बढ़ा है और लगभग 1.5 गुना चमकीला है। अल्फा सेंटॉरी बी नारंगी रंग है। यह सूर्य से कुछ ही बढ़ा है और सूर्य के मुकाबले आधा ही चमकीला है। यह दोनों तारे लगभग 5 अरब वर्ष पुराने हैं अर्थात हमारे सूर्य से कुछ ही पुराने हैं। नासा समेत यूरोपियन स्पेस एजेंसी इस तारा मंडल की जांच पड़ताल करने जा रहे हैं।

क्या कहते हैं एरीज के वैज्ञानिक

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के तारों के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि यह स्वाभाविकरूप से कह सकते हैं कि ग्रहों की खोज की दिशा नजदीकी तारे होने चाहिए। इससे जीवनयोज्ञ ग्रह की तलाश पूरी हो सकती हैं। जिससे भविष्य में अध्ययन आसानी से हो सके। बहरहाल वर्तमान में पांच हजार से अधिक ग्रहों को खोजा जा चुका है। मगर इनमें से अधिकांश बहुत दूर मौजूद हैं। साथ ही कई ग्रहों में जीवन की संभावना है।

श्रोत: अर्थ स्काई।
फोटो: नासा।


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