खुल गया तारे और ग्रहों की उत्पत्ति का रहस्य

Share It!

खुल गया तारे और ग्रहों की उत्पत्ति का रहस्य

किसी भी सौरमंडल के निर्माण में तारे और ग्रह कब और कैसे बनते हैं। क्या सूर्य पहले बनता है या फिर उसके ग्रहों की उत्पत्ति पहले होती है और कब एस्टीराइड व अन्य पिंडों का निर्माण होता है। यह एक रहस्य था, जिसके बारे में सटीक जानकारी वैज्ञानिकों को नहीं थी। मगर अब इसका खुलासा हो चुका है। इस नई खोज से पता चला है कि सौरमंडल के उस तारे के साथ ही उसके ग्रहों का निर्माण एक साथ और एक ही रफ्तार से होता है। इस अध्ययन से हम यह जान पाए हैं कि हमारे अपने सौर मंडल के ग्रह और हमारे सूर्य का निर्माण एक ही समय में हुआ होगा। अब हम भविष्य में किसी भी सौर मंडल के निर्माण को आसानी से समझ सकते हैं।

237 प्रदूषित सफ़ेद बौने तारों पर शोध से खुला रहस्य

खगोलविदों ने हाल ही में 237 सफेद बौनों के वातावरण का विश्लेषण किया। इस शोध में देखा गया की एक धूमकेतु और कई क्षुद्रग्रहों में मौजूद ढेर सारी सामग्री को तारों से टकराते हुए देखा गया। इस घटना से उस क्षेत्र के वायुमंडल को प्रदूषित कर दिया था। यह एक ऐसी प्रक्रिया थी, जिसके अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकल पाया कि तारे और ग्रह एक साथ तेजी से बनते हैं। इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के नेतृत्व में खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सामूहिक अध्ययन किया और बताया कि वास्तव में तारे और ग्रह एक साथ और काफी तेजी से बनते हैं। इससे पता चला कि शिशु सितारों के चारों ओर धूल और गैस के बादलों में सौर मंडल निर्माण होता है।

नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध

यह शोध नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। जिसमे सभी निष्कर्षों का खुलासा किया गया है। इधर देखें तो हम जानते हैं कि ग्रह धूल और गैस के बादलों में बनते हैं । जिन्हें प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क या सर्कमस्टेलर डिस्क कहा जाता है । यह नवजात सितारों के आसपास होता है। ये डिस्क हाइड्रोजन, हीलियम और बर्फ और धूल के कणों से बने होते हैं। धूल के कण, अन्य सामग्री के साथ, लाखों वर्षों में धीरे-धीरे आपस में जुड़ जाते हैं। अंत में प्लेनेटेसिमल या छोटे शिशु ग्रह बन जाते हैं। इनके अलावा बचा हुआ बाकी का पदार्थ क्षुद्रग्रह और धूमकेतु बन जाते हैं।

अभी भी बहस का मुद्दा बना हुआ है

हालांकि वैज्ञानिकों के बीच अभी भी बहस का मुद्दा बना हुआ है। जिस पर अक्सर बहस करते रहते हैं। मगर यह भी सत्य है कि हम सीधे इस घटना को देख नहीं सकते। मगर तथ्यों को जुटाने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचत पाते हैं। इससे पता चलता है कि तारे और ग्रह एक साथ बनते हैं। ग्रह तारे के निर्माण में लंबा समय लगता है और लाखों साल बाद ग्रह और तारा आकार लेना शुरू करते हैं। नए अध्ययन से पता चलता है कि तारे और ग्रह एक ही समय में बहुत अधिक बनते हैं।

प्रदूषित’ सफेद बौने तारे

शोधकर्ताओं ने कैसे निर्धारित किया कि तारे और ग्रह एक साथ बढ़ते हैं? उन्होंने सफेद बौने सितारों को देखा। जिसम 237 सफेद बौना तारा उचित लगा। सफेद बौने मूल रूप से मृत तारे होते हैं। हालांकि, उनके पास अभी भी वायुमंडल है, और खगोलविद उन वायुमंडलों का विश्लेषण करके देख सकते हैं कि उनमें क्या है। इनका वारावरन वातावरण सिलिकॉन, मैग्नीशियम, लोहा, ऑक्सीजन, कैल्शियम, कार्बन, क्रोमियम और निकल जैसे भारी तत्वों से प्रदूषित है। साथ ही सामान्य हाइड्रोजन और हीलियम मौजूद होता है। इन तत्वों को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि क्षुद्रग्रह सफेद बौनों से टकराए और उनके वायुमंडल में जल गए। परिणामस्वरूप क्षुद्रग्रहों के तत्वों ने सफेद बौनों के वायुमंडल को प्रदूषित कर दिया। इस विश्लेषण के परिणाम दिलचस्प हैं। जो बताते हैं कि क्षुद्रग्रह पिघल गए थे। पिघलने के कारण भारी लोहा कोर में डूब गया जबकि हल्के तत्व सतह पर तैरने लगे। विभेदन के रूप में जानी जाने वाली यह प्रक्रिया पृथ्वी पर भी हुई थी। वास्तव में, इसने पृथ्वी के लौह-समृद्ध कोर का निर्माण किया। यह आश्चर्यजनक है कि हम एक्सोप्लैनेटरी सिस्टम में इस तरह की प्रक्रियाओं की जांच करने में सक्षम हैं।

https://space23lyear.com/wp-admin

स्रोत: व्हाइट ड्वार्फ्स द्वारा एक्सोप्लैनेटेसिमल्स का तेजी से गठन व सफेद बौने द्वारा प्रकट किए गए एक्सोप्लैनेटे सिमल्स का तेजी से गठन.

फोटो: ईएसए/हबल/विकिपीडिया.


Share It!