ज्योतिष विज्ञान में कष्टदायक ग्रह व खगोल विज्ञान का वास्तव में सौर परिवार का सबसे खूबसूरत ग्रह

Share It!

*ज्योतिष विज्ञान में कष्टदायक ग्रह व खगोल विज्ञान का वास्तव में सौर परिवार का सबसे खूबसूरत ग्रह*
हमारे देश मे पुराने जमाने के लोगों को हमारे सौर परिवार मे सूर्य, चाँद काल्पनिक राहु-केतु के अलावा जिन पांच ग्रहों का ज्ञान था उनमें शनि भी एक था। उस जमाने मे वर्तमान दौर के आधुनिक उपकरण नहीं थे सिर्फ कल्पनाओं व कोरी कहानियों का ही सम्राज्य था और हो सकता है कि ग्रहों नक्षत्रों की पहचान के लिए अनूठी विधि का प्रयोग किया जाता हो। पौराणिक काल मे अर्थो मे सहेजे गए नाम बाद मे अनेक रूप लेकर आज भी हमारे समाज मे व्याप्त हैं जैसे शनि को आसमान मे मंद गति से परिक्रमा करने के कारण नाम मिला *शनैश्चर* (शनै-शनै बहुत धीमी गति से चलने वाला) मगर बाद के लोगों ने *शनै:चर को सनीचर* बना डाला। ज्योतिष विज्ञान मे सनीचर ग्रह को अशुभ माना गया है। वही शनि को *मन्थिन* भी कहा गया है जिसका अर्थ है मथने वाला या पीड़ा कष्ट देना। जबकि पाश्चात्य ज्योतिष मे शनि को *सैटर्न* कहा गया। रोमन आख्यानों के अनुसार सैटर्न जुपिटर के पिता है। रोमन लोग सैटर्न को कृषि का देवता मानते थे। सन 1609 से ब्रह्माण्ड को निहारने का दौर शुरू तो इन ग्रहों चाँद तारों के राज भी सामने आने लगे और हम वास्तविक जानकारियों से रुबरु होने लगे, जो वर्तमान दौर के आधुनिक उपकरणों के साथ आज भी नित नई खोजो- शोधों व जानकारियों के साथ प्रगति मार्ग मे निरन्तर जारी है। जो कोई भी सनीचर को दूरबीन से देखेगा तो इस ग्रह के बारे मे उसके पुराने ख्याल जरूर बदल जाएंगे। चूंकि शनि हमारे सौर परिवार का सबसे खूबसूरत ग्रह है, जिसका रंग-बिरंगे वलयों का सुंदर हार प्रकृति का एक ख़ुबसूरत देन हैं।
*शनि के पास है सबसे ज्यादा उपग्रह/चाँद, टाइटन चाँद मे वायुमंडल भी मौजूद*
हमारी पृथ्वी का एकमात्र चाँद है जिसे हम हमेशा निहारते आये हैं। यदि पूर्णिमा के चाँद को ध्यान मे रखकर हम कल्पना करें कि पृथ्वी के ऐसे दर्जनों चाँद होते तो क्या होता? कैसे दिखते? ऐसा है भी, पर पृथ्वी मे नहीं, बल्कि शनि के हैं। जिसके अभी तक 82 चाँद खोजे जा चुके हैं।
2019 मे शनि के 20 उपग्रहों को एक साथ खोज कर खगोलविदों ने इतिहास रचा था। जबकि इसका *टाइटन चाँद* हमारे सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा चाँद जो हमारे चाँद से तो कहीं ज्यादा बड़ा है साथ ही बुद्ध ग्रह से भी बड़ा है। टाइटन का व्यास 5150 किलोमीटर है। सबसे बड़ी बात ये है कि टाईटन मे वायुमंडल भी है जिसमें 90% नाइट्रोजन बाकी मीथेन के अलावा कुछ और गैस भी इस चांद के आंचल में फैली हुई हैं।
*1997 में भेजा गया पहला अंतरिक्ष यान 2005 मे पहुँचा शनि की कक्षा में *
अमेरिका और यूरोपीय देशों के संयुक्त यान *कासिनी-हाइगेन्स* को सन 1997 मे शनि की ओर भेजा गया था, जिसने 2005 मे शनि के वलयों के पास पहुँचकर इनका अन्वेषण किया। साथ ही एक छोटे चाँद हाइपोरिओन की तस्वीर लेकर धरती को भेजी थी।
काससिनी यान से अलग होकर इसका *हाईगेंस* प्रोब टाईटन की सतह पर उतर चुका है और वहाँ से धरती की ओर तस्वीरें व सूचनाएं भेज रहा है। हाईगेंस ने टाईटन के उत्तरी ध्रुव-क्षेत्र मे हाइड्रोजन (हाइड्रोजन व कार्बन के यौगिक) की कुछ झीलें भी खोजी हैं। टाईटन के सतह का तापमान शून्य से नीचे 180 डिग्री सेंटीग्रेट से नीचे है।
अब ध्यान देने वाली बात यह है कि नासा के वैज्ञानिक मान रहे हैं कि शनि के इस चांद पर जीवन हो सकता और हमारे सौर मंडल का यही वह ग्रह है, जो जीवनयोग्य है। नासा के वैज्ञानिकों ने तीन दिन पहले ही इसका खुलासा किया है। लिहाजा इस चांद की जांच पड़ताल में तेजी आ जाएगी और क्या पता कि भविष्य में इंसान इस ग्रह पर रहने लगे।

बबलू चंद्रा

https://space23lyear.com

श्रोत: ब्रह्माण्ड परिचय.
फोटो: नासा.


Share It!