नजर आया धरती का सबसे बढ़ा दुश्मन

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नजर आया पृथ्वी का सबसे बढ़ा खतरा

खगोलविदों ने पिछले सप्ताह खतरनाक क्षुद्रग्रह की खोज की है। इसके धरती से टकराने की 99.86% संभावना वैज्ञानिकों ने जताई है । खोजा गए इस क्षुद्रग्रह का व्यास 50 मीटर और नाम 2023 डी डब्लू दिया गया है। 2046 में इसके टकराने को लेकर वैज्ञानिक इससे बचने के उपाय के साथ इसकी सटीक गणना करने में जुट गए हैं। 27 फरवरी को खगोलविदों ने इस नए क्षुद्रग्रह पहली बार देखा।

इसका नाम 2023DW है 

इसका नाम 2023DW है। ईएसए संस्था इसे नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट कोऑर्डिनेशन सेंटर इसे पृथ्वी से टकराने की सूची में दर्ज करने जा रहा है। 14 फरवरी 2046 को टकराने की 99.8 फीसद संभावना है । कुल मिलाकर शत प्रतिशत टकराने की संभावना नही है। बहरहाल इस ऐस्टरॉइड को लेकर वैज्ञानिकों के बीच चर्चा तेज होने लगी है। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इतनी जल्दी इसके टकराने का पूर्वानुमान व्यक्त करना जल्दबाजी होगी। क्योंकि अभी 23 साल का समय शेष है। इतने लंबे अंतराल में इसकी ऑर्बिट भी बदल सकती है और संभव है कि यह लापता हो जाय।

50 मीटर व्यास का है यह क्षुद्रग्रह

इतालवी खगोलशास्त्री पिएरो सिकोली ने इसके

प्रभाव को लेकर गणना की है। यह क्षुद्रग्रह 165 फीट यानी 50 मीटर व्यास का है। अगर यह धरती से टकराया तो एक बड़ा निशान छोड़ देगा। यहां यह भी जान लीजिए कि रूस के चेल्याबिंस्क में 2013 में टकराने वाला उल्का पिंड आकार में इसके आधे से भी कम था। वह हवा में विस्फोट कर गया था। जिसने हजारों लोगों को घायल कर दिया था और मकानों को क्षति पहुंचाई थी।

खतरनाक क्षुद्रग्रह की सूची में शामिल होगा ये दुश्मन

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे जोखिम भरे पिंडों की सूची में शामिल करने की तैयारी चल रही है। अनिश्चित कक्षाओं वाले खोजे गए क्षुद्रग्रहों के लिए यह पूरी तरह से असामान्य नहीं है। सौभाग्य से यह छोटा है और इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना से कतई इंकार नही किया जा सकता है। बहरहाल इस क्षुद्रग्रह ने वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। लिहाजा इस पर पल पल नजर रहेगी। जिसके चलते इसकी दिशा और गति पर वैज्ञानिकों की नजर रहेगी।

एपोफिस क्षुद्रग्रह के टकराने की संभावना हुई खारिज

क्षुद्रग्रह एपोफिस की एक दशक पहले पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई गई थी। इसका आकार लगभग आधा किमी का था। 2029 में इसके टकराने की संभावना जताई थी। इसके बाद की गई गणना में अनुमान लगाया गया कि 2036 में टकराएगा। मगर इसके बाद नासा के वैज्ञानिकों की गणना ने इसके टकराने की संभावना की खारिज कर कर दिया।

मंगल व बृहस्पति की कक्षाओं से गुजरते हैं अधिकतर क्षुद्रग्रह

अब तक जितने भी क्षुद्रग्रहो कि खोज हुई है उनमें से 97 प्रतिशत क्षुद्रग्रह मंगल व बृहस्पति की कक्षाओं के बीच से ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं। कुछ ऐसे भी क्षुद्रग्रह खोजे गए हैं जो बृहस्पति की कक्षा मे इसके कुछ आगे व पीछे समूह बनाकर सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं।

क्षुद्रग्रहो पर पैनी नजर जरूरी

1950 मे देखा गया क्षुद्रग्रह पृथ्वी से 90 लाख किमी करीब से गुजरा था। 1948 और 1949 ई के बीच ऐसे चार क्षुद्रग्रहो को ख़ोजा गया। आज भी इनकी खोज जारी है और हजारों क्षुद्रग्रह खोजे जा चुके हैं। नए खोजे गए क्षुद्रग्रहो को उनके खोजकर्ता के नाम दिए जाते हैं। वहीं कुछ क्षुद्र के नाम आइंस्टाइन सहित अन्य विख्यात वैज्ञानिकों के नाम भी दिए गए हैं। वहीं भारत जयपुर के कंप्यूटर प्रोग्रामर अक्षत सिंघल के नाम भी एक क्षुद्रग्रह का नाम दर्ज है, क्षुद्रग्रह 12599 को सिंघल नाम दिया गया है।

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श्रोत: अर्थ स्काई।

फोटो: नासा।


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