साल की अंखिरी आसमानी आतिशबाजी देखने का आज रात आंखिरी मौका 

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साल की अंखिरी आसमानी आतिशबाजी देखने का आज रात आंखिरी मौका 

आसमानी आतिशबाजी उल्कावृष्ठि की रोमांचक खगोलीय घटना यानी टूटते तारों को देखने का आज बुधवार की रात आंखरी मौक़ा है। यह जेमीनीड मेट्योर शॉवर है, जो भारत से बेहतरीन देखी जा सकती है। आज के बाद यह आतिशबाजी दिखेगी तो सही, लेकिन उतनी नहीं, जितनी की आज रात देख सकते हैं। सामान्यतः यह खगोलीय घटना 24 दिसंबर तक जा सकेगी। इस दौरान प्रति घंटा लगभग सौ उल्काओं को जलते देखा जा सकता है। 19 नवंबर से शुरू से 24 दिसंबर तक रहने वाली है।

जेमिनीड उल्कापात का नाम मिथुन (जेमिनी) राशि तारामंडल के नाम पर

जेमिनीड उल्कापात का नाम मिथुन (जेमिनी) राशि तारामंडल के नाम पर रखा गया है। खास बात यह है कि यह उल्कापात वर्ष के सार्वाधिक आकर्षक उल्कापात माना जाता है, जो चरम पर रहने के दौरान प्रति घंटा 80 से 100 तक दिखाई देगी। आज रात भी इस दर से नजर आने की संभावना है, लेकिन गुरुवार से इनके दिखाई देने की संख्या बहुत कम रह जाएगी।

तारे टूटने से नहीं होती यह घटना

इस खगोलीय घटना को टूटते तारे के नाम से भी पहचाना जाता है। मगर इसका तारों से कोई संबंध नही है। क्योंकि जब हमे खगोल विज्ञान के बारे में जानकारी नही हुआ करती थी, तब समझा जाता था कि तारा टूटता होगा तो, इस तरह से चकते हुए धरती पर गिरता होगा। मगर जानकारी के अभाव में यह धारणा आज भी बनी हुई है।

धूमकेतुओं के कारण होती है उल्कावृष्टि 

वास्तविकता यह है कि जब भी कोई धूमकेतु पृथ्वी के पाथ से होकर गुजरता है तो धूल कंक्कड़ों का भारी मलवा छोड़ जाता है और जब पृथ्वी इस मलवे से होकर गुजरती है तो पृथ्वी के वातावरण से स्पर्श करते ही जल उठता है और तब आतिशी जैसा नजारा देखने को मिलता है। जलती उल्काओं की यह बारिश पूरे वर्ष होते रहती है। मगर पूरे साल में कुछ ही दिन होते हैं, जब आतिशबाजी चरम पर रहती है। जिसमें 20 से लेकर आंकड़ों ऊलकाई बारिश देखी जा सकती है।

100 किमी की ऊंचाई पर जल उठती हैं उल्काएं

यह खगोलीय घटना लगभग सौ किमी की ऊंचाई पर घटित होती है। टूटते तारों की यह घटना क्षण मात्र के लिए होती है और पलक झपकते ही समाप्त भी हो जाती है। इस घटना को कैमरे में कैद करना जरा भी आसान नही होता । लिहाजा इस चुनौती को तैयार एस्ट्रो फोटोग्राफरों को इंतजार रहता है और बीती रात हुई उल्कावृष्टि को कैमरे में कैद करने के लिए दुनियाभर के एस्ट्रोफोटोग्राफर उत्सुक थे और जलती ऊलकाओं की दिलकश तस्वीरों को कैमरे में कैद भी किया।

टूटते तारे को देख पूरी होती है दिल की मुराद ?

यह धारणा न जाने कबसे चली आ रही है कि टूटते तारे को देखने से मन की मुराद पूरी होती है। अब तारे इस तरह से टूटते नही हैं, अलबत्ता जलती हुई उल्काएं जरूर नजर आती हैं। अब यह शायद जरूर यह कह सकते हैं कि गिरती ऊल्काओं को देखने से मन की मुराद पूरी होती हो। अब तारों को लेकर यह जान लें कि तारों का अंत समय भी आता है और ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी शक्ति ब्लैक होल बन जाती है। सुपरनोवा , किलोनोवा जैसे विशाल विस्फोट से तारों का अंत होता है।

डा शशिभूषण पांडेय, एरीज

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि यह सामान्य खगोलीय घटना है। मगर बेहद रोमांचक व मनोहारी भी है। साल में कई ऐसे दिन होते हैं, जब जलती ऊलकाओं की संख्या एक घंटे में दर्जनों से सैंकड़ों तक नजर आ जाती है। यह वास्तव में हर किसीको अपनी ओर आकर्षित करने वाली खगोलीय घटना है।

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श्रोत: एरीज

फोटो: बुधवार की रात को नैनीताल के पास बबलू चंद्रा ने आसमानी आतिशबाजी को इस तरह से कैमरे में कैद किया।

 

 


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