अंतरीक्ष में सबसे बड़ी आज हुई ऐतिहासिक घटना

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अंतरीक्ष में सबसे बड़ी आज हुई ऐतिहासिक घटना

मंगलवार को ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी घटना ने सौर वैज्ञानिकों का दिल दहला दिया। सूर्य पर जबर्दस्त विस्फोट हुआ। जिस हिस्से में यह विस्फोट हुआ , वह पृथ्वी के सामने वाला भाग न होकर पिछला  हिस्सा था। यदि सामने की तरफ हुआ होता तो इसके खतरनाक परिणाम सामने आ सकते थे । सौभाग्य से हम इस भीषण घटना से बच गए।  इतिहास में सबसे खतरनाक सौर घटना सितंबर 1859 में घटी थी। इस घटना के खतरनाक प्रभाव सामने आए थे। जिससे पृथ्वी के कई हिस्सों में इलेक्ट्रिक उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए थे और बिजली नहीं होने के कारण लंबे समय कई शहर अंधकार में डूबे रहे। सौर घटनाएं बेहद खतरनाक होती हैं। जिस कारण इन पर 24 घंटे नजर रखनी पढ़ती हैं।

1859 में हुआ था सबसे बड़ा विस्फोट, आज का विस्फोट भी संभवतः उतना ही विशाल रहा हो, वैज्ञानिकों को डेटा का इंतजार

नासा के वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रौद्योगिकी पर हमारी आधुनिक निर्भरता को देखते हुए 1859 की घटना आज हुई होती तो इसका प्रभाव तब की तुलना में काफी बड़ा होता। इस घटना को लेकर सौर वैज्ञानिकों ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि इस सप्ताह की घटना सूर्य के उस छोर पर हुई, जो हमसे बहुत दूर था। 1859 की तुलना में वर्तमान की बात करें तो हम अधिक उन्नत समाज के रूप में विकसित हैं। हमारे पास अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब जैसी सुविधा है, जो सूर्य के उस तरफ मौजूद है जहां घटना हुई थी। पार्कर सोलर प्रोब ने विस्फोट का पूरा खामियाजा देखा और उसका खामियाजा भी उठाया। अब वैज्ञानिक इस ऐतिहासिक घटना के डेटा का इन्तजार कर रहे हैं।

कल रात हुआ था सूर्य में महाविस्फोट 

वैज्ञानिकों के अनुसार इस बीच पृथ्वी अभी भी सौर ऊर्जावान कणों में वृद्धि का अनुभव कर रही है, जो पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों पर रेडियो ब्लैकआउट बना रहे हैं। बहुत संभावना है कि 13 मार्च की घटना सौर चक्र 25 का सबसे बड़ा कोरोनल मास इजेक्शन होगा। इस घटना में विस्फोट की गति 3,000 किमी प्रतिसेकंड थी। यह गति वास्तव में बेहद तीब्र थी। 13 मार्च 2023 को लगभग 3:30 UTC बजे यह महा विस्फोट सूर्य की सतह पर हुआ था।

वर्तमान भू-चुंबकीय तूफान फिलहाल शांत 

फिलहाल भू चुंबकीय गतिविधि फिलहाल शांत है, लेकिन 10 और 11 मार्च को हुई सीएमई की एक श्रृंखला आज रात से पृथ्वी पर पहुंचनी शुरू हो जाएगी । इससे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में G1 क्लास का मामूली सौर तूफान का असर देखने को मिल सकता है। 15 मार्च, 2023 को शुरुआती घंटों में इसका विस्तार होने की संभावना जताई है । इसका मतलब उच्च अक्षांशों यानी ध्रुवीय क्षेत्र में अरोरा की रोशनी का रंग बिरंगा नजारा देखने को मिलेगा।

अगले 24 घंटे का पूर्वानुमान 

अगले 24 घंटे में सी फ्लेयर्स का 55 फीसद अनुमान सौर वैज्ञानिकों ने जताया है। इसके अलावा एम फ्लेयर्स की सिर्फ पांच प्रतिशत की उम्मीद है, जबकि एक्स क्लास के विस्फोट की मात्र एक प्रतिशत का अनुमान है। सूर्य की सतह पर अभी भी कई सन स्पॉट ग्रुप बने हुए हैं।

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श्रोत: अर्थ स्काई।

विडियो: नासा, एसडीओ।


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