सबसे लंबी दूरी तय करने रिकार्ड बनाया इस सैटेलाइट ने 

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सबसे लंबी दूरी तय करने रिकार्ड बनाया इस सटेलाइट ने 

हम धरती के एक छोर से दूसरे सिरे तक नही जा सके और और नासा के स्पेसक्राफ्ट वायोजर ने सौर मंडल के ग्रहों का सबसे बड़ा सफर तय कर लिया। वाइजर का यह वास्तव में बेहद रोचक सफर है। जिसने अंतरिक्ष की दुनिया में सबसे लंबी दूरी तय करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। वायोजर की लंबी यात्रा से नासा बेहद खुश है और इसे बढ़ा कीर्तिमान मान रहा है। वास्तव में अरबों किमी की यात्रा करना आसान तो क्या, हमारी कल्पना से भी परे है। आम इंसान इस दिशा में कभी सोच भी नही सकता, लेकिन एक वैज्ञानिक की सोच जरूर रही होगी, जिसके चलते वायोजर वहां तक पहुंच गया और आज भी सकुशल काम रहा है। इतनी लंबी दूरी तय कर पाना सिर्फ नासा के वैज्ञानिकों की उपलब्धि नहीं है, बल्कि समूचे पृथ्वीवासियों की जीत है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह उपलब्धि हौंसला बढ़ाने वाली है, जो वैज्ञानिकों की नई सोच पैदा कर सकती है।

1977 में किया गया था लॉन्च

नासा का यह कृत्रिम उपग्रह यानी अंतरिक्ष यान वायेजर 1 अप्रैल 2023 में पृथ्वी से 14 बिलियन मील (23 बिलियन किमी) दूर जा पहुंचा है। वोयाजर 1 और उसके जुड़वां, वोयाजर 2, को 1977 में 16 दिनों के अंतराल पर लॉन्च किया गया था। दोनों अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति और शनि ग्रह की यात्रा कर चुके हैं। साथ ही वायेजर 2 ने यूरेनस और नेप्च्यून के बीच भी उड़ान भर चुके हैं। । अब दोनों वोयाजर तारों के बीच अंतरिक्ष में यात्रा कर रहे हैं। वोयाजर 1 आधिकारिक तौर पर 2012 में हेलिओपॉज़ को पार करते हुए सौर मंडल के परे ग्रहों से आगे जाने वाला पहला सांसारिक यान बन गया था।

पृथ्वी के करीब भी आता है हर वर्ष

दिलचस्प बात यह है कि हर साल कुछ महीनों के लिए वायेजर अंतरिक्ष यान में पृथ्वी के करीब आ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में, हम अंतरिक्ष यान से दूर चले जाते हैं । फिर हम सूर्य के चारों ओर जाते हुए उनकी ओर वापस जाते हैं। इसलिए हमारे बीच की दूरी अस्थायी रूप से कम हो जाती है।

1970 में किया गया था डिजाइन

दोनों वोयाजर अंतरिक्ष यान को 1970 के दशक की शुरुआत में डिजाइन किया गया था। वे विशेष रूप से हमारे सौर मंडल में सूर्य के एक ओर ग्रहों के एक दुर्लभ समूह का लाभ उठाने के लिए बनाए गए थे। यह समूहीकरण जो केवल प्रत्येक 176 वर्षों में होता है, वॉयेजर्स को गुरुत्वाकर्षण सहायता के माध्यम से एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाने की अनुमति देता है।

33,000 तस्वीरें ली थी एक माह में

सबसे पहले, वायेजर्स ने जनवरी 1979 में बृहस्पति की तस्वीरों को लेना शुरू किया था। वोयाजर 1 ने उस वर्ष अप्रैल की शुरुआत में बृहस्पति से आमना सामना किया। फिर, वोयाजर 2 ने अप्रैल के अंत में बैटन उठाया। पूरे अगस्त में उसका सामना जारी रहा। कुल मिलाकर दोनों अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति और उसके पांच प्रमुख उपग्रहों की 33,000 से अधिक तस्वीरें लीं।

1986 में पहुंचा यूरेनस और नेपच्यून तक

बृहस्पति की यात्रा के बाद अंतरीक्ष यान का सफर शनि की ओर शुरू हुआ। शनि हमसे डेढ़ सौ करोड़ किमी दूर है और शनि तक पहुंचने के लिए उसे चार साल लगे। एक नवंबर 1980 और दूसरा अगस्त 1981 में शनि पर पंहुचा। वायेजर 1 ने तब सौर मंडल को छोड़ना शुरू किया, और वोयाजर 2 जनवरी 1986 में यूरेनस और अगस्त 1989 में नेप्च्यून के करीब पहुंचा।

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श्रोत: अर्थ स्काई।

फोटो: नासा।


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