20 अप्रैल को वर्ष का पहला दुर्लभ सूर्यग्रहण

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20 अप्रैल को वर्ष का पहला दुर्लभ सूर्यग्रहण 

वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार 20 अप्रैल, 2023 को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण दुर्लभ सूर्य ग्रहण होगा। यह हाइब्रिड यानी संकर सूर्य ग्रहण होगा। दुनिया के कई हिस्सों में इस सूर्य ग्रहण को देखा जा आएगा। सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है जिससे पृथ्वी पर सूर्य की छवि पूरी तरह या आंशिक रूप से ढँक जाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का स्पष्ट व्यास सूर्य के व्यास से बड़ा होता है। जिस कारण सीधी धूप अवरुद्ध हो जाती है। इज ग्रहण के दौरान कुछ समय के लिए दिन हल्के अंधकार में बदल जाता है। संकर सूर्य ग्रहण एक दुर्लभ प्रकार का सौर ग्रहण है जो पृथ्वी की सतह पर चंद्रमा की छाया के चलते ही अपना स्वरूप बदलता है। इस ग्रहण में ग्रहण का पाथ समग्रता पृथ्वी की सतह पर एक संकरे रास्ते से होकर गुजरता है। जिसमें आंशिक सूर्य ग्रहण हजारों किलोमीटर चौड़े आसपास के क्षेत्र में नजर आयेगा। खास बात यह है कि 21 वीं सदी में केवल 3.1% सूर्य ग्रहणों में हाईब्रिड यानी संकर सौर ग्रहण अत्यंत दुर्लभ हैं।

दुनिया के इन हिस्सों में नजर आएगा संकर सूर्यग्रहण

इस ग्रहण की संपूर्णता उत्तर पश्चिम केप प्रायद्वीप में है, जबकि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में बैरो द्वीप में ग्रह नजर आयेगा। इसके अलावा पूर्वी तिमोर के पूर्वी भागों में ग्रहण का प्रभाव रहेगा। इनके अलावा डामर द्वीप में यह ग्रहण नजर आने वाला है। अंत में इंडोनेशिया में पापुआ प्रांत के कुछ ही हिस्सों में यह दुर्लभ सूर्य ग्रह नजर आएगा।

चार प्रकार के होते हैं सूर्यग्रहण

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पूर्व सौर वैज्ञानिक डा वहाबउद्दीन के अनुसार आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है लेकिन सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से पंक्तिबद्ध नहीं होते हैं। सूर्य का केवल एक हिस्सा ढका हुआ दिखाई देता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चन्द्रमा की छाया पूर्णरूप सूर्य को ढक लेती है। वैज्ञानिक लिहाज से पूर्ण सूर्य ग्रहण महत्वपूर्ण होता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की आंतरिक छाया पूर्णरूप से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य के किनारे के हिस्से रोशन रहते हैं। देखने में यह सूर्य ग्रहण बेहद सुंदर होता है। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को इस तरह से समझ सकते हैं. दरसल पृथ्वी की सतह घुमावदार है, कभी-कभी ग्रहण वलयाकार और कुल के बीच स्थानांतरित हो सकता है क्योंकि चंद्रमा की छाया दुनिया भर में चलती है। इसे संकर सूर्य ग्रहण कहते हैं।

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श्रोत: एरीज, नैनीताल।

वीडियो: विपीडिया।


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