वेब के कैमरे से मंगल ग्रह की पहली तस्वीर

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वेब के कैमरे से मंगल ग्रह की पहली तस्वीर
लाल ग्रह मंगल की तस्वीरें तो बहुत देखी हैं। मगर इस बार की तस्वीरें कुछ हटकर हैं, जिसमें मंगल का एक नए रूप में नजर आता है। या कहलो कि मंगल का अनोखा औरा है, जो इस ग्रह की अलग छवि को दर्शाता है। मंगल की ये तस्वीर जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने पहली बार ली हैं। जो कई मायनों में अलग  चमत्कारी चमत्कारी सी प्रतीत होती हैं। बेशक वैज्ञानिक नजरिए से यह तस्वीर मंगल के वातावरण की अनेक जानकारियां देती हैं।इसी माह 5 सितंबर, 2022 को सामने आए। इन्फ्रारेड लाइट यानी ​​​​जी गर्मी को उजागर करती है।
वेब और हबल की तुलना
 तस्वीर में  मंगल के दक्षिणी गोलार्ध में एक विशाल  गोलाकार प्रभाव हेलस बेसिन को दर्शाता  है। मंगल व वेब के बीच तुलनात्मक कार्यप्रणाली को इस तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है। हबल टेलीस्कोप दृश्यमान यानी पराबैंगनी तरंग दैर्ध्य पर देखता है, जबकि वेब टेलिस्कोप ज्यादातर इन्फ्रारेड में देखता है। यह विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम से देखता है।  जिसे  मनुष्य अपनी आंखों से नहीं देख सकता है। मगर  गर्मी के रूप में समझ सकते हैं। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि  जीव अवरक्त तरंग दैर्ध्य के जरिए कुछ सांप भी देख सकते हैं, जो रात के समय  शिकार उपयोग करते हैं।
 मंगल के वातावरण को समझने के लिए मिल गई नई नजर
वैज्ञानिक कहते हैं कि अब मंगल को देखने के लिए हमे नई आँख मिल गई है।  वेब दूरबीन से हम मंगल की धूल के तूफान को देख सकते हैं। तूफानों की तीव्रता को परख सकते हैं। मौसम के पैटर्न को समझ सकते हैं। वहा के मौसम में आने वाले बदलावों को जान सकते हैं। क्योंकि मौसम ही वह महत्त्वपूर्ण हिस्सा है , जो जीवन को पनपने देने के लिए बेहद जरूरी है। 
मौसम अनुकूल न होता तो पृथ्वी पर जीवन होता 
मौसम की अहमियत इसी से लगाई जा सकती है कि पृथ्वी पर ही ऐसे कई स्थान हैं, जो इंसान के जीवन के काबिल नहीं हैं। इसमें कुछ हिस्से अत्यधिक ठंड वाले बर्फीले हैं तो कुछ अत्यधिक गर्म मरूस्थलीय क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में मानव जीवन के पनपने की कल्पना नहीं की जा सकती। लिहाजा मौसम का अनुकूल होना बेहद जरूरी है। यही चीजें मंगल पर तलाशी जा रही हैं। क्योंकि मंगल ही एकमात्र जगह वैज्ञानिकों की नजर में है, जहा मानव जीवन को पनपाने की तैयारी चल रही हैं। इसलिए मंगल की भूमि और वहा के वातावरण को समझने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मंगल की आए दिन नित नई जनियारियां जुटाई जा रही हैं। ताकि वहा की दुश्वारियों को ठीक से समझकर दूर किया जा सके। इसके लिए दुनिया की सभी बड़ी स्पेस एजेंसियां मंगल का अध्ययन कर रही हैं, तो दूसरी ओर मंगल पर इंसान को भेजने की तैयारियां की जा रही हैं। इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भारी तैयारियां की जा रही हैं। 
मानव का अगला पड़ाव मंगल ही क्यों
मंगल एकमात्र ग्रह है , जो पृथ्वी से समानता रखता है। गर्मी के लिहाज से मंगल का तापमान पृथ्वी से कुछ कम है। मगर मानव जीवन के लिए अनुकूल है। पृथ्वी की तरह मंगल की धरती ठोस है। जहां आने जाने में कोई दिक्कत नही होगी। जलवायु भी काफी हद तक पृथ्वी के समान है। यह दूसरी बात है कि वहा बारिश नही होती। ठोस जमीन होने के कारण मंगल की भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। ताकि वहा खेती की जा सके। बहरहाल ऐसे और भी कई समानताएं हैं, जो हमें किसी दूसरे ग्रह पर मानव जीवन बसाने के लिए मंगल की ओर आकर्षित करते हैं। 
हम अंतरिरक्ष में 15 किमी ऊपर पहुंच चुके हैं
जेम्स वेब स्पेस टेलेस्कोप चंद्रमा के दूरी से करीब चार गुना अधिक दूरी पर स्थापित की गई है। इसका सीधा मतलब है कि हम अनंत में फैले ब्रह्माण्ड में 15 किमी ऊपर वेब के जरिए पहुंच चुके हैं। गैलीलियों ने जब 1610 में , जब पहली बार आसमान की ऊंचाइयों को देखा होगा तो तब न जाने उनके मन में कभी वेब जैसी दूरबीन खयाल शायद आया भी हो या नहीं। मगर हमारे वर्तमान वैज्ञानिक जरूर सोचने लगे हैं कि निकल भविष्य में हम दूरबीन के जरिए कई प्रकाश वर्ष दूर तक पहुंच सकते हैं। साथ ही मंगल जैसे नजदीकी ग्रह पर अपना सपनो का घर बना सकते हैं।
श्रोत : Earthsky 
फोटो: नासा/ईएसए/सीएसए/एसटीएससीआई/मंगल जेडब्ल्यूएसटी/जीटीओ टीम के माध्यम से।

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