आसमान से गिरी चट्टान से बाल बाल बचा परिवार

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आसमान से आई चट्टान से बाल बाल बचा परिवार

न्यू जर्सी के एक घर में आकाशीय चट्टान आ गिरी। अगर यह चट्टान परिवार के किसी भी व्यक्ति पर गिरती तो जानलेवा साबित होती। सौभाग्य से अप्रिय घटना होने से बच गई। घटना तीन दिन पहले न्यू जर्सी में घटी थी। एक भारी भरकम उल्कापिंड एक मकान में जा गिरा। इस घटना के दौरान परिवार के सदस्य घर में मौजूद थे।

एटा एक्वारिड उल्का बौछार का हिस्सा मान रहे वैज्ञानिक

वास्तव में यह घटना वैज्ञानिकों को आसमान से आने वाली मुसीबतों से आगाह करने वाली है।
न्यूजर्सी के होपवेल टाउनशिप में घर में गिरी अंतरिक्ष चट्टान को वैज्ञानिक इन दिनों चल रहे एटा एक्वारिड उल्का बौछार का हिस्सा मान रहे हैं।

धातु की थी चट्टान

वाज्ञानिक का मनाना है कि यह उल्कापिंड किसी धात्विक पदार्थ का है। जिसकी लंबाई लगभग 6 इंच और चौड़ाई 4 इंच है। स्थानीय समय के अनुसार दोपहर एक बजे यह घटना हुई। सौभाग्य से धातु का यह पत्थर किसी व्यक्ति के ऊपर नही गिरा, अन्यथा जानलेवा हो सकती थी। बहरहाल वैज्ञानिक इस आकाशीय घटना की जांच में जुट गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि आसमान से आने वाले खतरों से निबटने के लिए दुनियाभर में दूरबीन व कई अन्य तरह के उपकरण स्थापित किए गए हैं। उसके बावजूद यह पिंड आ गिरा।

छोटे पिंड आ गिरते हैं जमीन पर
कभी-कभी अंतरिक्ष की चट्टानें पृथ्वी के वातावरण से स्पर्श करने के बाद भी पूरी तरह से नहीं जलती हैं और धरती पर आ गिरती हैं, जो
आबादी वाले क्षेत्रों में भी गिर जाते हैं। इसी तरह की एक घटना अक्टूबर 2021 में हुई थी, जब 1.3 किलोग्राम का उल्कापिंड कनाडा में एक मकान के ऊपर जा गिरा। इस घटना ने एक व्यक्ति मौत हो गई थी। इससे पहले 2013 में भी रूस में भीषण घटना हुई थी। इस घटना में बढ़ा पिंड रूस के आबादी वाले क्षेत्र से टकरा गया। इस घटना में करीब डेढ़ हजार लोग बुरी तरह घायल हो गए और संकड़ों आवास क्षतिग्रस्त हो गए थे।

छोटे पिंडों से बचाव के उपाय तलाशने होंगे
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि अंतरिक्ष में बेखौफ विचरते आकाशीय चट्टाने पृथ्वी के सबसे बढ़े दुश्मन हैं। वैज्ञानिकों द्वारा लगातार इनकी निगरानी की जाती है। इसके बावजूद आंखों में धूल झौंककर धरती से टकरा जाते हैं। अच्छी बात यह है कि पृथ्वी की ओर आने वाली बढ़ी चट्टानों को देख लिया जाता है, लेकिन सिर्फ बहुत छोटे पिंड ही पृथ्वी से टकराते हैं। जरूरी हो गया है कि छोटे पिंडों से सुरक्षा के उपाय भी तलाशने होंगे।

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श्रोत व फोटो : अर्थ स्काई।


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