जमीन असमान का अंतर है धूमकेतु और क्षुद्रग्रह के बीच

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जमीन असमान का अंतर है धूमकेतु और क्षुद्रग्रह के बीच

धूमकेतु और क्षुद्र ग्रह को लेकर भ्रांतियां आमजन के बीच अभी भी बनी हुई हैं, जबकि ब्रह्माण्ड के इन अद्भुत वस्तुओं के बीच जमीन असमान का अंतर है। धूमकेतु और क्षुद्रग्रह दोनों ही हमारे सौरमंडल के सदस्य हैं। दोनों का जन्म धूल और गैस के उसी  मूल बादल से हुआ था जिसने 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी और अन्य ग्रहों का जन्म हुआ था। यह दोनों सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे पिंड हैं। आमतौर पर इन दोनों की पहचान बेहद आसान है।
क्षुद्र ग्रह
क्षुद्रग्रह ज्यादातर क्षुद्रग्रह बेल्ट में रहते हैं। यह बेल्ट चौथे ग्रह, मंगल और पांचवें ग्रह, बृहस्पति के बीच है।  सौर मंडल के इस बेल्ट का आकार एक पहिया जैसा है। अधिकांश ज्ञात क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट के भीतर परिक्रमा करते हैं। इनकी कक्षा छोटी होती है। सौर मंडल के प्रारंभिक चरण में बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण ने इस क्षेत्र में ग्रहों के पिंडों के निर्माण को समाप्त कर दिया । जिस कारण  छोटे पिंड एक दूसरे टकराने लगे। क्षुद्रग्रह छोटे आकार पिंड हैं जो शायद एक और ग्रह का निर्माण कर सकते थे।  क्षुद्रग्रहों की आकृति गांठदार आलू जैसी होती है। धूमकेतु की तुलना में क्षुद्रग्रह चट्टानी होते हैं।
क्षुद्रग्रहों का नाम कैसे रखा जाता है
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के पास क्षुद्रग्रहों के नाम जारी करने की जिम्मेदारी है।  क्षुद्रग्रह  प्राचीन पौराणिक कथाओं के चलते इन्हे  क्षुद्रग्रह
का नाम दिया गया था, जबकि नए नाम जैसे  3505 बर्ड से लेकर 8749 बीटल्स नाम से जाने जाते हैं।
धूमकेतु
क्षुद्रग्रहों के विपरीत अधिकांश धूमकेतु सौर मंडल के ऊर्ट क्लाउड नामक क्षेत्र में रहते हैं, जो  प्लूटो की कक्षा से बाहर हैं। धूमकेतु की क्षुद्रग्रहों की तुलना में बहुत अधिक लम्बी कक्षा होती हैं।  कभी-कभी हमारे सौर मंडल के बाहर निकल जाते हैं और तारों से टकरा जाते हैं। सौर मंडल के भीतर धूमकेतु  सूर्य की परिक्रमा करते हैं और कभी कभी सूर्य के आगोश में चले जाते हैं और खत्म हो जाते हैं। धूमकेतु अधिक बर्फीले होते हैं क्योंकि वे बाहरी सौर मंडल के डीप फ्रीज में बनते हैं। वे चट्टान और बर्फ से बने होते हैं। जिस  कारण उन्हें गंदा स्नोबॉल उपनाम भी दिया गया है। सूर्य के करीब आने पर गैस और धूल की पूंछ निकल आती है, जो लाखों किमी तक लंबी हो जाती है। जिस कारण इन्हें पुच्छल तारा भी कहा जाता है। धूमकेतुओं का नाम उनके खोजकर्ताओं के नाम पर रखा जाता है।
धूमकेतु की परिक्रमा 
 धूमकेतुओं का एक  समूह  बहुत करीब से सूर्य की परिक्रमा करता है। ये छोटी अवधि के धूमकेतु हैं। जिनकी कक्षीय अवधि 200 वर्ष से कम है। यानी वह 2 सौ वर्ष से कम समय में सूर्य की परिक्रमा पूरी करते हैं। इनकी कक्षा ग्रहों के समान होती है। प्रसिद्ध धूमकेतु हैली इसका प्रमुख उदाहरण है।
 आसमानी आतिशबाजी के श्रोत 
धूमकेतु हमारे वार्षिक उल्का वर्षा के लिए सामान्य मूल वस्तु हैं। धूमकेतु बेहद कमजोर होते हैं।  जब वे सूर्य के करीब आते हैं, तो अक्सर बर्फीले मलबे के निशान छोड़ जाते हैं और यह  मलबा हमारे वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो जलने लगता है तब हम उल्का वर्षा यानी आसमानी आतिशबाजी देख पाते हैं। ओरियोनिड्स और एटा एक्वेरिड्स उल्का वृष्टि  हैली धूमकेतु द्वारा छोड़े गए मलबे के कारण होती है। धूमकेतु टेम्पल-टटल लियोनिड उल्कापात का स्रोत है। यह भी जान लिजिए कि सभी उल्कापिंडों की बौछार धूमकेतुओं से नहीं होती है। जेमिनीड उल्का वृष्टि हर दिसंबर में होती है।  इसका स्रोत  3200 फेथॉन नामक एक रहस्यमयी वस्तु है। इसे चट्टान-धूमकेतु कहा जाता है। यह कई मायनों में  क्षुद्रग्रह-धूमकेतु का मिलाजुला स्वरूप है।
हमारे करीब से गुजर गया  हरा धूमकेतु  
2022 ई 3  जेटीएफ इस वर्ष का सार्वाधिक चमकीला धूमकेतु है, जो आज  पृथ्वी के नजदीक से गुजर गया है। इसके नग्न आंखों से देखे जाने की संभावना को लेकर दुनिया के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पृथ्वी के नजदीक पहुंचने पर दूरी 44 मिलियन किमी रह गई थी।
श्रोत. अर्थस्काई ।
फोटो, अर्थस्काई  ।

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