पागल सर्दी ने की जिन्दगी बेहाल 

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पागल सर्दी ने किया जीना बेहाल 

सर्दी के कई नाम आपने सुने होंगे, लेकिन पागल सर्दी का नाम कभी नही सुना होगा। यह नाम मौसम वाज्ञानिको ने दिया है, जो कैलिफोर्निया में पड़ रही है। हिमपात, बारिश और सर्द तूफान से कैलिफोर्निया पहले ही त्रस्त है और अब आने वाला सप्ताह इस शहर में भारी मूसीबत लाने वाला है। मौसम वैज्ञानिकों ने बुधवार से मौसम में भारी बदलाव आने की चेतावनी जारी कर दी है, जो सप्ताह के अंत तक बर्फीले तूफान उठने का पूर्वानुमान है। सर्दी का ये सितम क्यों कहर ढाने लगा है ? यह जलवायु परिवर्तन का असर है, जो आने वाले समय पता नही किस कदर सितम ढाएगा। बहरहाल पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग से जूझने लगी है। पर्यावरण असंतुलन के कारण यह विपदा सामने आ रही है। इस समस्या से निबटना बहुत कठिन नहीं है, लेकिन इसके लिए कमसेकम दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरत है, जो कमसेकम विकासशील देशों में नजर नहीं आती है। आम इंसान भी मौसम की विभीषिका के खोफ से अभी वाकिब नही है और वो शायद समझना भी नही चाहता है। दुनिया में चंद मुट्ठीभर लोग पर्यावरण सुरक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं, जो नाकाफी है। पर्यवारण विशेषज्ञों की कोई सुनने वाला नहीं है और मौसम के जानकार आए दिन चेताते रहते हैं। मगर हालात दिनोदिन खराब होते जा रहे हैं। यह शुरुवात है ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों की, जिसके साइड एफेक्ट सामने आने शुरू हो गए हैं। समंदर का ताप पैर पसारने लगा है। बाढ़ आपदा बड़ने लगी हैं। तूफानों की संख्या कई गुना बड़ गई है। बर्फबारी कहीं भयानक हो रही है तो कहीं सूखे ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। खराब हालात यहीं नहीं थमते हैं, बल्कि इससे कहीं अधिक खराब होने लगे हैं। मगर कोई समझने की तैयार नहीं है। ध्रुवीय बर्फ पिघलने लगी है और हिमालय की बर्फ भी पहले जैसी नहीं रही। बहरहाल समय रहते चेतने की जरूरत है।

चेतावनी

चेतावनी में कहा है कि इस सप्ताह का तूफान इस सर्दी में वेस्ट कोस्ट के तूफानों की एक लंबी कड़ी होगी। कैलिफ़ोर्निया ने पिछले कुछ महीनों में आधा दर्जन तूफानों के साथ कठोर सर्दियों की स्थिति को झेला है। यह कटु अनुभव भुलाने वाला नहीं है। बाढ़ और बिजली की कटौती कई लोगों के लिए बड़ी समस्या रही । अच्छी बात यह रही कि सर्दियों के तूफान पहाड़ों और खेत के लिए बुरी तरह से सूखे से राहत लाए हैं।

वीनस भी ग्लोबल वार्मिंग का शिकार हुआ ? 

शुक्र यानी वीनस ग्रह के खतरनाक हालात कितने लोग जानते होंगे। कभी शुक्र भी तो पृथ्वी की तरह ही हुआ करती थी। समंदर से घिरे हुए। मगर पानी सूख गया और तापमान ने ऐसे रिकार्ड तोड़े कि 400 डिग्री सेल्सियस पार कर गया। आँखिर वीनस में यह खतरनाक कैसे पैदा हुए। कोई नही जानता। मगर अभी तक हुए शोध बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग शुक्र के सुहावने वातावान को निगल गई और उसे नरक बना दिया। बहरहाल शुक्र से सबक लेने की जरूरत है।

क्या कहते हैं पर्यावरण वैज्ञानिक डा नरेंद्र सिंह

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ( एरीज) के पर्यावरण वैज्ञानिक डा नरेंद्र सिंह कहते हैं कि यह समय पर्यावरण संरक्षण का है। जिसे सहेजने में हर किसी को अपना योगदान जरूरी ही नहीं बल्कि हद से अधिक वक्त की जरूरत है। वरना भयावह परिणाम शायद हम नही देख सकें, लेकिन आने वाली पीढ़ियां जरूर देखेंगे।

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श्रोत: अर्थ स्काई।

फोटो: नासा।


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