स्पेस रेस- चन्द्रयान-3 व  लूना-25 के बीच 

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स्पेस रेस- चन्द्रयान-3 व  लूना-25 के बीच
अंतरीक्ष में खोई साख पाने को रूस बेताब है। वह भी एक दौर हुआ करता था, जब सोवियत रूस का अन्तरीक्ष मिशन में एकछत्र अधिकार हुआ करता था। मगर पिछले करीब 40 सालों में वह पिछड़ते चला गया और दुनिया के दूसरे देश आगे बढ़ते चले गए। मगर अब रूस चन्द्र मिशन लूना -25 के जरिये खुद को साबित करना चाहता है। शुक्रवार को रूस ने पुनः चाँद पर छलांग लगा दी है। 
चंद्रमा पर पकड़ मजबूत करने की प्रतिस्पर्धा  दुनिया के अनेक देशों के बीच है। इस दौड़ में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा सबसे आगे है तो चाइना भी कुछ कम पीछे नही है। भारत ने पिछले महीने चन्द्रयान 3 लॉन्च किया तो अब रूस ने खोई साख पाने को शुक्रवार को लूना 25 लॉन्च कर दिया है।
रूस का लूना 25 लॉन्च चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। यह वही ध्रुव है, जिसमें चन्द्रयान -3 उतरने वाला है। मगर माना जा रहा है कि लूना 25  चंद्रयान-3 से पहले चंद्रमा की धरती पर लैंड कर जाएगा। रूस ने  वोस्तोचन कॉस्मोड्रोम से
सोयुज-2.1बी रॉकेट लैंडर लूना-25 स्वचालित स्टेशन से लॉन्च किया। रूस 1976 के बाद चंद्र लैंडिंग करने जा रहा है। पिछले महीने 14 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-3 लॉन्च किया था। रूसी मिशन लगभग साढ़े पांच दिनों तक चंद्रमा की यात्रा पर रहेगा और  सतह पर उतरने से पहले चाँद की 100 किलोमीटर की कक्षा में तीन से सात दिन तक परिक्रमा करेगा। इसके बाद 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। उसी दिन इसरो भी  चंद्रयान-3 को उतारने की योजना बना रहा है। रॉयटर्स के अनुसार चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव एक महत्वपूर्ण स्थान है । जहाँ भारी मात्रा में बर्फ हो सकती है । जिसका उपयोग भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए ऑक्सीजन और ईंधन निकालने के लिए किया जा सकता है। खास बात यह है कि रूस और भारत दोनों दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाले दुनिया के पहले देश बन जाएंगे। लूना-25 चंद्रमा की मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण करेगा और चंद्रमा की सतह पर दीर्घकालिक वैज्ञानिक अनुसंधान करेगा। इधर
चंद्रयान-3 मिशन  एक लैंडर और एक रोवर ले जा रहा है, जो चाँद के वातावरण, मिट्टी, बर्फ व भूगर्भीय स्थिति की जांच करेगा। लूना -25 मिशन अंतरिक्ष में लगभग एक वर्ष तक काम करेगा ।
अंतरीक्ष मिशन में कभी दुनिया का पहला राष्ट्र हुआ करता था रूस
भले ही चाँद को अपना बनाने की होड़ लगी हो, लेकिन इसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा। भले ही वर्तमान में नासा अंतरीक्ष मिशन की दौड़ में सबसे आगे हो, लेकिन कभी दुनिया के सबसे अच्छे अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में रूस सबसे आगे हुआ करता था। चंद्रमा पर उतरने वाला रूस का आखिरी मिशन का नाम  रूसी जांच लूना 24 था, जो अगस्त 1976 में एक रोबोटिक लैंडर साथ लेकर गया था।
श्रोत:अर्थ स्काई।
फोटो: इसरो व अर्थ स्काई।

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