व्याध होगा दक्षिणी ध्रुव तारा

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*व्याध होगा भविष्य का दक्षिणी ध्रुव तारा*

तारों को हम अपने जीवन से अलग नही कर सकते। हमारे जीवन के साथ इनका गहरा सम्बन्ध है। ध्रुव तारा यानी नॉर्थ स्टार को कौन नहीं जानता। इस सितारे का जितना वैज्ञानिक महत्व है, उतना ही धार्मिक महत्व भी है। इतना ही नहीं इस तारे का हमारे जीवन में व्यावहारिक रिश्ता है। यही वह तारा है, जो हमे दिशा की पहचान कराता है। मगर अब एक और तारा सामने आ रहा है, जो दक्षिणी ध्रुव तारे के रूप में अपनी जगह बनाना जा रहा है। इस तारे का नाम सीरियस है। इसका दूसरा नाम व्याध है। इसके अलावा भी इसके अनेक नाम हैं। आसमान का यह बेहद चमकदार तारा है। इसे ध्रुवीय तारा बनने में अभी 60 हजार साल लगेंगे। सीरियस न केवल नक्षत्र कैनिस मेजर द ग्रेटर डॉग का सबसे चमकीला तारा है।

*उत्तर ध्रुवीय तारा यानी ध्रुव तारा*

*विवाह संस्कार मे है ध्रुव तारे का महत्व*
हमारे वैवाहिक संस्कार मे ध्रुव का विशेष महत्व है- ध्रुव दर्शन। विवाह की रस्म मे वर मंत्र पढ़ते हुए वधु को ध्रुव तारा दिखाता है। जिसका आशय है कि पत्नी अपने पति के घर मे ध्रुव तारे की भांति सुस्थिर रहकर सुख भोगेगी। जिसमे ध्रुव तारे को स्थिरता का प्रतीक माना गया है।

*अभी तक कोई नही दक्षिणी ध्रुव तारा*

उत्तरी गोलार्ध के विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में वर्तमान में कोई ऐसा तारा नहीं है, जो उत्तरी ध्रुव तारे की तरह अपनी पहचान रखता हो। उत्तरी ध्रुव तारे को पोलारिस भी कहते हैं। दक्षिण खगोलीय ध्रुव को चिह्नित करने के लिए एक भी ऐसा तारा नहीं है, जो दक्षिणी ध्रुव के असमान की पहचान को आसान कर सके। व्याध आकाश का सबसे चमकीला तारा है। ओरियन की बेल्ट से सीरियस तक एक रेखा खींचकर आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप सही चमकीले तारे को देख रहे हैं। इसकी पहचान करने के लिए दक्षिणी गोलार्ध चार्ट को उल्टा करके इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

*सीरियस*
भविष्य के दक्षिणी ध्रुव तारे सीरियस को देखना हो तो इन दिनोंओरियन बेल्ट को देखें। जनवरी के महीने में ओरियन बेल्ट के साथ आसानी से इसकी पहचान आसान हो सकती है। यह तारा सबसे अलग चमकता हुआ नजर आयेगा। हिंदी में इस तारे को व्याध के नाम से पहचाना जाता है। साथ ही इसे डॉग स्टार के नाम से भी जाना जाता है। असमान का यही वह सितारा है, जो सबसे अधिक चमकता है।

*ध्रुव तारा*
ध्रुव तारा उत्तरी ध्रुव का वह महत्वपूर्ण बिंदु है जिसके चारों ओर पूरा आकाश घूमता है। यह एक बड़े पहिये के हब की तरह है। उत्तरी आसमान के तारे इसके चारों ओर घूमते हैं। इस तारे का जितना बड़ा नाम है, लेकिन उतना अधिक चमकदार नही है। सीरियस की तुलना में ध्रुव तारा हमसे बहुत दूर है। यह तारा पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर है, जबकि सीरियस लगभग 8.611 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। सीरियस अपना सफर तय करते हुए दक्षिण आकाशीय ध्रुव के 1.6 डिग्री के भीतर आ जाएगा।
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 *कठोर तपस्या से मिला अटल व सबसे उच्च स्थान*

ध्रुव के लिए एक पौराणिक गाथा है कि राजा उत्तानपाद की दो रानियां थीं सुरुचि व सुनीति। राजा को सुरुचि से अधिक स्नेह था। सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम व सुनीति के बेटे का नाम ध्रुव था। एक दिन ध्रुव अलनी पिता की गोद मे खेल रहा था तो तो सुरुचि ने उसे फटकारकर दूर धकेल दिया, बालक रोता हुआ अपनी माँ के पास पहुँचा ओर व्यथा सुनाई मॉ ने उसे बोला तपस्या से मनचाही चीज़ मिलती है तो बालक ध्रुव ने घर छोड़ कर घोर तपस्या शुरू कर दी। कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने ध्रुव से वर मांगने की लिए कहा। ध्रुव ने त्रिलोक ( पृथ्वी, अंतरिक्ष और स्वर्ग) मे सबसे ऊंचे पद का वर मांगा। विष्णु ने ध्रुव को अटल स्थान देते हुए कहा ये पद सूर्य मंगल सभी ग्रहों, नक्षत्रों, सप्तऋषियों ओर देवगणों से ऊपर है।

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श्रोत: अर्थ स्काई व ब्रह्माण्ड दर्शन।

लेखक: रमेश चंद्रा व बबलू चंद्रा।

फोटो: बबलू चंद्रा द्वारा नैनीताल के समीप क्षेत्र से ध्रुव तारे के साथ स्टार ट्रेल। 


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