70 साल बाद करीब होगा बृहस्पति ?
राशियों में गुरु का असर किसे फलेगा और किसे चुभेगा, यह तो ज्योतिषाचार्य ही बता सकते हैं, लेकिन ब्रह्माण्ड के प्रति दिलचस्पी रखने वालों के 26 सितंबर की रात खास होने जा रही है। खास होने की वजह आसमान में अनोखी चमक बिखेरने वाला बृहस्पति हमारे बेहद करीब पहुंचने जा रहा है।खास बात यह है कि वह opposition के दौरान यानी सूर्य के विपरीत दिशा में 70 साल बाद इतने करीब पहुंच रहा है।
591 मिलियन किमी की दूरी रह जाएगी धरती व गुरु की दूरी
हमारे सौर मंडल का यह सबसे बड़े ग्रह की दूरी 26 सितंबर को 3.953 खगोलीय इकाइ (एयू) रह जाएगी। यानी पृथ्वी से 367 मिलियन मील और किमी के हिसाब से 591 मिलियन किमी दूरी पर होगा। औसत दूरी के लिहाज से यह दूरी बहुत कम होगी। गुरु सौर मंडल का 5वां ग्रह है, जबकि पृथ्वी सूर्य से तीसरा स्थान का ग्रह है।सामान्य दिन में सूर्य से 460,718,000 मील (लगभग 741453748.99 किमी) दूर होता है।
आकार में बृहस्पति पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है।
बृहस्पति हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने के नाते इसे गुरु कहा जाता है या कुछ और भी कारण हो सकते हैं इसके गुरु होने के। इसका जिक्र फिर कभी spaceandtime.in में करेंगे।
मानसून के बाद निखर उठती है आसमान की सुंदरता
आकाशीय दृष्टि से सितंबर का महीना बेहद खास होता है। मानसून छट चुका होता है और धुला हुआ आसमान नहाया हुआ लगता है। दिन के समय अपने आसमानी रंग में खिला हुआ बेपनाह हसीन नजर आता है तो रातों को टिमटिमाते तारों को खुद में समेटे अनोखी छठा बिखेरता प्रतीत होता है। यही वजह है कि आसमान के प्रति प्रेम रखने वालों को इस माह का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बीच हमारे सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति हमारे सार्वाधिक करीब होगा तो इसे निहारने का मजा ही कुछ और होगा।
इधर सूर्य अस्त और उधर बृहस्पति हो रहा होगा उदय
26 सितंबर की शाम इस वर्ष की संध्या बेहद खास होने जा रही है। पश्चिम के आसमान में सूर्य अस्त हो रहा होगा तो ठीक इसके विपरित पूरब दिशा में बृहस्पति उदय हो रहा होगा । यह नजारा बेहद दर्शनीय होगा। आसमान की इस सुंदरता का गवाह बनने के लिए खगोल प्रेमी पूरी दुनिया में चप्पे चप्पे में तैनात होंगे। नजदीक होने के कारण इसकी चमक काफी बड़ी हुई नजर आयेगी। लिहाजा इसे पहचान पाना बेहद आसान होगा। सभी तारों की तुलना में काफी बड़ा नजर आयेगा। इसकी चमक देखने लायक होगी।
शाम ढलते ही पूरब की ओर मूंह करके देखें
इस सुंदर खगोलीय घटना को एक साथ निहारने के लिए हमे सही जगह पर मौजूद होना जरूरी है। इसके लिए हमे ऐसी जगह पर मौजूद रहना होगा, जहा से एक ओर पूरब तो दूसरी ओर पश्चिम नजर आता हो। जगह का चयन गलत होने कारण अक्सर खगोलीय घटनाओं को देख पाने से वंचित रह जाते हैं और निराश होते हैं।
सौरमण्डल अनोखा ग्रह बृहस्पति
हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने के नाते वैज्ञानिक ही नहीं हर धरतीवासी इस ग्रह के प्रति जिज्ञासा रखता है। आए दिन कुछ न कुछ जानकारी हमे मिलती रहती है। इस ग्रह पर चल रहा तूफान लाखों किमी लंबा है और खास बात यह भी है कि निरंतर बड़ते जा रहा है। अब इसकी रिंग में भी लगातार विस्तार हो रहा है। जेम्स वेब ने नई तस्वीर लेकर फिर से गुरु के प्रति ध्यान आकर्षित किया है, जो इस खतरनाक गैसीय ग्रह की भव्य सुंदर तस्वीर को सामने लाकर हैरान किया है।
अरोरा मनमोहक बनाते हैं गुरु के ध्रुवों को
बृहस्पति के उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों के ऊपर रंग बिरंगे औरोरा को भी देखा जा सकता है। यह एक दर्शनीय दृश्य है। जिसे दूरबीन के जरिए ही देख पाना संभव हो सकता है। मगर इसे देखने के लिए विशेषज्ञ की जानकारी जरूरी है। हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेकेस्कोप ने गुरु की कई तस्वीरें ली हैं। जी अद्भुत हैं और बेहद खूबसूरत हैं। गुरू के बारे में जितनी चर्चा की जाय बहुत कम है। इस बारे में जुपिटर अपोजीसन से पहले जिक्र करेंगे।
हर 13 महीने में करीब आता है गुरु
बृहस्पति ग्रह प्रत्येक लगभग 13 महीने में पृथ्वी के करीब पहुंचता है। इस घटना को ओपोजिशन कहते हैं। यानी सूर्य के ठीक विपरीत दिशा में बृहस्पति उदय हो रहा होता है और पश्चिम में सूर्य अस्त हो रहा होता है। इस वर्ष 26 सितंबर के बाद अगले वर्ष 2023 में 2 नवंबर विपरीत यानी हमारे करीब होगा। 2024 में 7 दिसंबर को और 2026 में 10 जनवरी गुरु सूर्य ओपोजीसन में होगा।
11 वर्ष से अधिक समय लगता है बृहस्पति को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में
यह आप जानते ही होंगे कि यह विशाल ग्रह गैसीय है और तारा बनते बनते रह गया और आज हम इसे ग्रह के रूप में देखते हैं। यह भी कह सकते हैं कि स्वाभाविक रूप से, बृहस्पति एक तारा नहीं है। इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 11 साल लग जाते हैं। इसका मतलब हुआ कि गुरु का एक वर्ष पृथ्वी के 11 साल के बराबर होता है। यह भी जान लीजिए कि बृहस्पति का एक दिन 9.93 घंटे का होता है और पृथ्वी पर 24 घंटे का दिन होता है।
श्रोत: EarthSky.org
And Aries scientist, India
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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