रहस्य ::अनंत में फैले ब्रह्माण्ड और डार्क मैटर का 

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रहस्य ::::अनंत में फैले ब्रह्माण्ड और डार्क मैटर का 
ब्रह्माण्ड में हम यानी हमारी धरती एक ने दिखाई देने वाले धूल के कण के समान हैं और असीमित ब्रह्माण्ड अनंत में फैला हुआ है। बड़ी बात यह है कि यह फैलता  जा रहा है फैलता ही जा रहा रहा है,, आंखीर कैसे? इस प्रश्न का हल खोजने में खगोविद अथक प्रयासरत हैं। इधर अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा की जेम्स वेब टेलीस्कोप ने एक अकशगंगा  समूह SMACS 0723 तस्वीर खींची है, जो इशारा करती है कि कुछ आकाशगंगाएँ गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक घटना के कारण स्मियर या खिंची हुई दिखाई देती हैं। यह ऐसा प्रभाव है जो  वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड में डार्क मैटर की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करेगा।
क्या है डार्क मैटर
दरसल Dark Mater है क्या है और अभी तक हम इसे कितना समझ पाए हैं और इस संदर्भ में खगोलविद क्या कहते हैं। इस पहेली को कुछ इस तरह से समझने का प्रयास करते हैं। 
ब्रह्मांड में जितने भी पदार्थ हैं उनमें से 80% से अधिक हिस्से को हम आज तक नहीं देख पाए हैं।   जिसे वैज्ञानिक डार्क मैटर के रूप में जानते हैं।  इसके पीछे मानने की वजह यह है कि  इसके बिना सितारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं समेत तमाम पदार्थों में होने वाले  व्यवहार का कोई मतलब नहीं बनता है। इसलिये इस पहेली को जानने के लिए तमाम कोशिशें जारी हैं। 
अल्बर्ट आइंस्टाइन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को बताया था और कहा था कि इस सिद्धांत की प्रामाणिकता से पता चल सकता है कि  खगोल भौतिकी में सबसे बड़ा रहस्य कुछ इस तरह से है। बहरहाल प्रामाणिकता के बिना इस संदर्भ में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। 
खगोलविद नहीं जानते किस कारण ब्रह्माण्ड फैल रहा है।
खगोलविद यह तो जानते हैं कि ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है। मगर क्यों ? फिलहाल ये प्रश्न अनुत्तरित है। त्वरण का कारण, जिसे डार्क एनर्जी कहा जाता है, एक रहस्य बना हुआ है।
चिली में विक्टर एम। ब्लैंको 4-मीटर टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय डार्क एनर्जी सर्वे का एक नया अध्ययन सामने आया है। जो यह बताता है कि  क्या यह सब केवल एक गलतफहमी है: यह उम्मीदें कि गुरुत्वाकर्षण पूरे ब्रह्मांड के पैमाने पर कैसे काम करता है त्रुटिपूर्ण या अपूर्ण हैं। यह संभावित गलतफहमी वैज्ञानिकों को डार्क एनर्जी की व्याख्या करने में मदद कर सकती है। लेकिन अध्ययन – ब्रह्मांडीय पैमाने पर अल्बर्ट आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के सबसे सटीक परीक्षणों में से एक – यह पाता है कि वर्तमान समझ अभी भी सही प्रतीत होती है।
सिद्धांत, तर्क व सबूतों के बहस में घिरे हैं वैज्ञानी
 डार्क एनर्जी सर्वे के सदस्यों ने सबूतों की तलाश की कि ब्रह्मांड के इतिहास में या ब्रह्मांडीय दूरी पर गुरुत्वाकर्षण की ताकत अलग-अलग है। एक सकारात्मक खोज यह संकेत देगी कि आइंस्टीन का सिद्धांत अधूरा है, जो ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार को समझाने में मदद कर सकता है। उन्होंने ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) प्लैंक उपग्रह सहित ब्लैंको के अलावा अन्य दूरबीनों के डेटा की भी जांच की और उसी निष्कर्ष पर पहुंचे।
नई सुविधाएं व तकनीक विकसित होने से जल्द खुलेगा रहस्य
एक और धरती के कई हिस्सों में आकाश की खाक छानने को दूरबीन मौजूद हैं तो दूसरी ओर तीस मीटर से लेकर कई किमी  व्यास वाली दूरबीनो को अस्तित्व में लाने की योजनाएं जारी है। उधर आसमान भी दूरबीनों से घिरने लगा है। जिसमें जेम्स वेब जैसी टेलीस्कोप वैज्ञानिकों की नजरे खोल रही है। जेम्स की इस आकाशगंगा की तस्वीर  क्या नया रहस्य खोलेगी इसका जल्द पता चलेगा। 
श्रेय: NASA, ESA, CSA, STScI
श्रोत :नासा समाचार 

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