शोध : डार्क मैटर का रहस्य और बौनी आकाशगंगा
वैज्ञानिकों ने 62 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक ऐसी आकाशगंगा के बौना होने के कारण की खोज की है। आकाशीय पिंड अथवा पदार्थों के बौनेपन की बात करें तो ग्रह व तारे बौने होते हैं , उसी प्रकार आकाशगंगा भी बौनी होती हैं। आकाशगंगा के बौनेपन का कारण डार्क मैटर की कमी है। डार्क मैटर का रहस्य एक अदृश्य ऐसी महा शक्ति है, जिसके बिना ब्रह्माण्ड का विकास संभव नही है। इस महाशक्ति कमी की वजह से यह बौनी रह गई। खास बात यह है कि ब्रह्माण्ड की इस महाशक्ति डार्क मैटर अभी भी वैज्ञानिकों के लिए बड़ा रहस्य बना हुआ है।
बौनी आकाशगंगा का नाम एनजीसी 1427ए है
यह आकाशगंगाओं के फ़ोरनेक्स समूह में है। हमसे यह आकाशगंगा लगभग 62 मिलियन प्रकाश वर्ष दूरी पर मौजूद है। नए शोध से पता चला है कि क्लस्टर में अन्य बौनी आकाशगंगाओं में डार्क मैटर हेलो की कमी होती है। ईएसओ/बॉन विश्वविद्यालय के माध्यम से इसकी तस्वीरें उपलब्ध हुई हैं।
समुंद्र के द्वीपों की तरह हैं आकाशगंगाएं
आकाशगंगाए की बात करें तो उन्हे इस प्रकार से समझा जा सकता है, जैसे धरती पर समुंद्र में द्वीप होते हैं, वैसे अंतरिक्ष में आकाशगंगाएं फैली हुई हैं। जिनमें बेशुमार तारे हैं। ब्रह्मांड विज्ञान के मानक मॉडल के अनुसार एक बिग बैंग ने सभी पदार्थ, स्थान और समय का निर्माण किया । जिसके अनुसार अधिकांश आकाशगंगाओं को अंधेरे पदार्थ यानी डार्क मैटर के प्रभामंडल से घिरा होना चाहिए। डार्क मैटर हमारी आंखों के लिए अदृश्य है, लेकिन इसके गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के माध्यम से इसका पता लगा सकते हैं।
ब्रह्माण्ड के नए सिद्धांत ने दी चुनौती
ब्रह्माण्ड के सिद्धांतों में समय-समय पर मानक मॉडल किसी भिन्न मॉडल से बदलने का प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन अब एक और नया अध्ययन – 5 अगस्त, 2022 की घोषणा के अनुसार मानक मॉडल द्वारा प्रस्तुत ब्रह्मांड के दृष्टिकोण को चुनौती देता है। यह अध्ययन हमारे मिल्की वे के दूसरे सबसे निकटतम बड़े आकाशगंगा समूह, फ़ोर्नेक्स क्लस्टर में बौनी आकाशगंगाओं के विश्लेषण पर आधारित है। स्टैंडर्ड मॉडल का कहना है कि इन छोटी आकाशगंगाओं में डार्क मैटर हेलो होना चाहिए, लेकिन देखने में डार्क मैटर हेलो का कोई निशान नजर नही आता है।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल में हुआ प्रकाशित
इस शोध को जर्मनी में बॉन विश्वविद्यालय और स्कॉटलैंड में सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किया गया। शोधकर्ताओं ने 25 जून, 2022 को रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस में अपने समकक्षों की समीक्षा के निष्कर्षों को प्रकाशित किया।
Fornax क्लस्टर आकाशगंगा का नजदीकी समूह
Fornax क्लस्टर हमारे आकाशगंगा का दूसरा सबसे निकटतम बड़ा आकाशगंगा समूह है। सभी आकाशगंगा समूहों की तरह कई बौनी आकाशगंगाएँ होती हैं। जिन्हें अक्सर क्लस्टर की बड़ी आकाशगंगाओं के आसपास की कक्षाओं में एक तरह से कैद किया जाता है। छोटी होने के कारण, ये बौनी आकाशगंगाएँ बड़ी आकाशगंगाओं के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के प्रति संवेदनशील होती हैं। इसलिए वे गुरुत्वाकर्षण “ज्वार” के अधीन हैं, जो पृथ्वी पर समुद्र के ज्वार से भिन्न नहीं हैं, जो चंद्रमा और सूर्य के खिंचाव के कारण होता है।
उच्च व निम्न ज्वार का रहस्य
चंद्रमा पृथ्वी के उस तरफ सबसे अधिक मजबूती से खींचता है जो उसके सामने का हिस्सा होता है और दूर के हिस्से को कम खींचता है। इसलिए हमारे पास पृथ्वी पर दो ज्वारीय उभार हैं, और पूरे ग्रह पर हर दिन दो उच्च ज्वार (और दो निम्न ज्वार) हैं।
बड़ी आकाशगंगा ज्वारीय बल से खींचती है छोटी आकाशगंगा को
इसी तरह से एक बड़ी आकाशगंगा एक बौनी आकाशगंगा के आर-पार एक अंतर ज्वारीय बल लगाती है। यह दूर की ओर की तुलना में बौनी आकाशगंगा के निकट की ओर अधिक मजबूती से खींचता है। और इन वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकालने के लिए इन ज्वारीय शक्तियों का अध्ययन बौनी आकाशगंगाओं में किया।
ब्रह्माण्ड की अदृश्य महाशक्ति है डार्क मैटर
ब्रह्मांड में 85 प्रतिशत हिस्सा डार्क मैटर का बना है। यूरोप के वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मैटर न्यूट्रालिनॉस नाम के कणों या फिर पार्टिकल से बना है। यह साधारण मैटर से कोई क्रिया नहीं करता। हर सेकंड हमारे शरीर के आर-पार हजारों न्यूट्रालिनॉस गुजरते रहते है। इसी वजह से हम अंतरिक्ष में मौजूद आन्ध्र पदार्थ यानी डार्क मैटर के बादल के दूसरी ओर मौजूद आकाशगंगाओं को देख पाते हैं।
महामशीन एलएचसी खोलेगी डार्क मैटर का राज
दुनिया की सबसे महामशीन लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर ने हाल ही में डार्क मैटर पर शोध शुरू कर दिया है। विज्ञानिको का मानना है कि यह शोध इस रहस्य से पर्दा उठा देगा। यह भी संभव है कि यह शोध ब्रह्माण्ड के प्रति हमारा नजरिया ही बदल दे।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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