113 साल पहले हुई आश्चर्यजनक आतिशबाजी का रहस्य आज भी बरकरार
आज ही के दिन 9 फरवरी 1913 को उल्काओं की भीषण आतिशबाजी ने दुनिया के कई देशों को चुधिया दिया था। वह ऐतिहासिक उल्का वृष्टि थी। इस उल्का आतिशबाजी को महान उल्कापात के नाम से जाना जाता है। उल्का वृष्टि की यह अनोखी घटना कनाडा, उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और अटलांटिक में देखने को मिला था। समंदर पार करते जहाजों के बेड़े थम गए थे । हैरान परेशान हर कोई यही सोच रहा था इस अद्भुत खगोलीय घटना से।
एक सदी से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी अज्ञात है यह उल्कावृष्टि
उल्काओं का यह जुलूस अन्य उल्कावृष्टि के विपरीत था, जहां प्रकाश की तेज धारियां एक ही बिंदु से बाहर की ओर जा रही थी। यह उल्कावृष्ठि लगभग समान दिशा पर हो रही थी। यह किस तरह की , एक ही दिशा में क्यों हो रही थी और किस धूमकेतु के कारण हो रही थी। इसका आज तक पता नहीं लग पाया है।
एक ही समांतर दिशा में हुआ था वृष्टि
सामान्य उल्काएं पृथ्वी के वायुमंडल में डुबकी लगाती हैं और हवा के साथ घर्षण के कारण वाष्पीकृत यानी जल जाती हैं। वर्तमान वार्षिक उल्का वर्षा में उल्का केवल कुछ सेकंड तक रहता है। 1913 के उल्कापिंड पृथ्वी की सतह के समानांतर व लगभग क्षैतिज रूप से यात्रा करते दिखाई दिए, और इस प्रकार वे लगभग एक मिनट से भी अधिक समय तक दिखाई देते रहे।
बादलों के कारण अछूते रहे इस रोमांच से
घनी आबादी वाले उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में 9 फरवरी, 1913 की शाम को बादल छाए हुए थे। इसलिए लाखों लोग इस घटना से अनजान थे। क्लैरेंस चैंट की जर्नल ऑफ़ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ कनाडा की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमे घटना के 100 से अधिक चश्मदीदों का आंखों देखा हाल दर्ज था। जिसमें बताया गया कि एक विशाल उल्कापात उत्तर-पश्चिम से पश्चिम की ओर दक्षिण-पूर्व की ओर यात्रा करते हुए दिखाई दिया, जो पास आते ही दो भागों में देखा गया और ज्वलनशील पदार्थ की दो छड़ों की तरह दिखाई दिया, जो एक के बाद एक नजर आए। वे चिंगारी की एक निरंतर धारा फेंक रहे थे और उनके गुजरने के बाद उन्होंने सीधे आग के गोले फेंके जो मुख्य पिंडों की तुलना में अधिक तेजी से यात्रा करते थे। वे धीरे-धीरे गुजर रहे थे और करीब पांच मिनट तक वे देखते रहे। दक्षिण-पूर्व में उनके लापता होने के तुरंत बाद, स्पष्ट आग की एक गेंद, जो एक बड़े तारे की तरह दिखती थी, उनके मद्देनजर आकाश में पार हो गई। इस गेंद की पूंछ नहीं थी और न ही किसी तरह की चिंगारी थी। उल्काओं की तरह पीला होने के बजाय यह तारे की तरह साफ था।
श्रोत: अर्थस्काई ।
फोटो: गुस्ताव हैन/विकिमीडिया कॉमन्स।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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