एस्ट्रो टूरिज्म की संभावनाएं इंडिया में
सैर सपाटे को अनेक पर्यटन है, लेकिन धरती परे एस्ट्रो टूरिज्म यानी ब्रह्माण्ड दर्शन की सैर बेहद रोमांच से पटी अनोखी दुनिया है। हमारे देश में एस्ट्रो टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं, जो ग्रहों नक्षत्रों से रूबरू कराता है और अपनी धरती से बाहर तारों की चकाचौंध दुनिया की सैर कराता है। एस्ट्रो टूरिज्म के लिए आसमान को चूमते पर्वतीय क्षेत्र माकूल स्थान हैं। जिसमें उत्तराखण्ड की चोटियां खास स्थान रखती है, जबकि लेह लद्दाख, हिमाचल व कश्मीर की ऊंची चोटियों से भी बखूभी आनंद लिया जा सकता है उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म की शुरुआत कुछ वर्ष पहले हो चुकी है। इस पर्यटन की सैर पर देश विदेश से पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
इन क्षेत्रों से ले सकते हैं एस्ट्रो टूरिज्म का आनंद
नैनीताल: उत्तराखंड के मैदानी भागों को व रोशनी के चकाचौंध शहरों से दूर हर स्थान से इस पर्यटन का लुत्फ उठाया जा सकता है। रानीखेत का चौबटिया व मुक्तेश्वर का खुशीराम टॉप है। इन दोनो स्थानों के ठहरने के लिए होटलों की बेहतर सुविधा होने के कारण पर्यटक काफी संख्या में पहुचने लगे हैं। इनके अलावा चौकोड़ी व बिन्सर से ग्रह नक्षत्रों को बेहद करीब से निहारा जा सकता है। इन दिनों स्थानों में ठहरने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम के रिसोर्ट हैं। इनके अलावा मुनस्यारी, धारचूला व चंपावत उत्तराखंड के दूर के वो स्थान हैं, जो अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं और इस पर्यटन के लिए बेहद माकूल स्थान हैं। इन जगहों पर ठहरने के लिए होटल व भोजन उपलब्ध हो जाता है।
विज्ञान की श्रेणी में आता है एस्ट्रो टूरिज्म
नैनीताल: दरसल एस्ट्रो टूरिज्म वैज्ञानिक पर्यटन की श्रेणी में आता है। इसके लिए अंतरिक्ष के बारे ने बेसिक ज्ञान हो तो इसका आनंद दोहरा हो जाता है। तभी इसकी बारीकियों को समझा जा सकता है। यदि बेसिक ज्ञान ना हो तो आपके साथ अंतरिक्ष संबंधित जानकारी रखने वाले व्यक्ति का होना बेहद जरूरी है। तभी हमारे सौर मंडल के खूबसूरत वीनस व सैटर्न जैसे ग्रहों की सुंदरता को निहार पाएंगे और ब्रह्मांड के गुड़ रहस्यों को जान पाएंगे।
कई आकर्षण हैं इस पर्यटन
नैनीताल: एस्ट्रो टूरिज्म के अनेक आकर्षण हैं। जिनमें प्रमुख है मेटयोर शॉवर यानी अतीशबाजी के समान होने वाली उल्का वृष्टि। ये करीब साल में करीब दरजनभर बार होती है और लगभग हर महीने में एक बार या दो बार देखने को मिल सकती है। इसका आनंद रोशनी से दूर अंधेरे स्थानों से ही बेहतर लिया जा सकता है। इसके अलावा अकलटेशन यानी अच्छादन, ट्रांजिट, ओपोजिशन, ग्रहों का एक सीध में आना, एक दूसरे के करीब आना, धरती के करीब आना इत्यादि आकर्षण हैं। जिन्हे देख पाना अनूठी अनुभूति कराता है। आसमान के प्रति रुचि रखने वालों समेत विज्ञानियों को अंतरिक्ष की इन अद्भुत घटनाओं का बेसब्री से इंतजार रहता है। एस्ट्रो टूरिज्म के लिए अपने पास बायनाकूलर हो तो ग्रहों नक्षत्रों को बखूबी देखा व समझा जा सकता है।
एशिया की सबसे बड़ी है यहां
नैनीताल: अंतरिक्ष विज्ञान के अध्ययन को लेकर ये स्थान खास महत्व रखता है। इसीलिए एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन नैनीताल जिले के देवस्थल में स्थापित की गई है। यह 3.6 मीटर व्यास की ऑप्टिकल दूरबीन है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) इसे संचालित करता है। इसके अलावा एरीज के पास चार मीटर की लिक्विड मिरर दूरबीन, एक मीटर व्यास की दो दूरबीन एरीज में स्थापित की गई हैं। इन दूरबीनों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े शोध हो पाए हैं। देश विदेश के कई विज्ञानी इनके जरिए अंतरिक्ष के रहस्यों को खोज रहे हैं।
नैनीताल :पर्वतीय क्षेत्रों में एस्ट्रो टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। लोगों को इसका ज्ञान नही होने के कारण पर्यटन का यह क्षेत्र सैलानियों से अछूता है। इसके विकास व विस्तार के लिए उत्तराखंड सरकार ने इसे पर्यटन में शामिल कर लिया है। नैनीताल के नजदीक ताकुला में एस्ट्रो विलेज बनाया जा रहा है।
धीराज सिंह गर्ब्याल
डीएम, नैनीताल
नैनीताल: कुमाऊं मंडल विकास निगम के कई रिसॉर्ट कुमाऊं अंचल के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं। जहा से एस्ट्रो टूरिज्म का आनंद लिया जाता है। इस पर्यटन को लेकर पर्यटक पहुंचते हैं। इसके विकास के लिए निगम एस्ट्रो टूरिज्म संबंधित सुविधाएं जुटाने में लगा है।
एपी बाजपेई , जीएम, कुमाऊं मंडल विकास निगम, नैनीताल
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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