चंद्रयान 3 से भारत इतिहास रचने को तैयार

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चंद्रयान 3 से भारत इतिहास रचने को तैयार

मानसून से भले ही इन दिनों देश के कई राज्य त्रस्त हों, लेकिन इस बीच भारत नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है।  चंद्रयान 3 के लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और 14 जुलाई दोपहर 2.35 बजे चांद की ओर रवाना हो जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने पूरी तैयारी कर ली हैं।

अभी भी कई रहस्य खुद में समेटे हुए है चंद्रमा

चंद्रमा भले ही हमारे नजदीक हो, लेकिन चांद की धरती पर अनेक रहस्य अभी भी बरकरार हैं। जिन्हे उजागर करने को चंद्रयान 3 शुक्रवार को रवाना हो जाएगा। भारतीय खगोलविदों को इस मिशन से बढ़ी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।

चंद्रमा का वातावरण, भूमि व भूगर्भीय स्थिति के बारे में कई जानकारियां मिल चुकी हैं। मगर जीवन के मूलभूत जरूरतों से हम आजभी अनभिज्ञ हैं। तरल जल जीवन के  लिए अहम जरूरत है। जिसका पता अभी तक नही चल पाया है। चंद्रयान 2 का मुख्य उद्देस्य तरल जल का पता लगाना था। जिसे लेकर चंद्रमा के उस भाग में उतारा जाना था, जहां बर्फ के रूप में जल उपलब्ध हो सकता था। चंद्रमा का वह भाग अंधेरे में डूबा रहता है। जिस कारण उस जगह पर बर्फ के रूप में जल उपलब्ध होने की प्रबल संभावना थी। मगर असफल लैंडिंग ने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के विज्ञानिकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मगर अब नजरें चंद्रयान 3 पर जा टिकी हैं, जो अपेक्षा में खरा उतरे। चंद्रमा की भूगर्भीय स्थिति की सही जानकारी बेहद जरूरी है, जिसकी जानकारी इस मिशन के जरिए उपलब्ध हो सकती हैं। भविष्य में मानव बस्ती बसाने को लेकर भूगर्भीय अवस्था की सही जानकारी मिलनी अभी बाकी है। इसी क्रम में चांद पर छिपे धातुओं की जानकारी जुटाना भी चंद्रयान 3 पर निर्भर होगा। चंद्रमा की रसायनिक जानकारी बेहद महत्त्वपूर्ण है, जो जीवन अथवा चांद के अतीत को उजागर कर सकती है। इसके अलावा चांद पर खड़े विशाल पर्वतों के भीतर के रहस्य अनेक जानकारियां दे सकते हैं। इस मिशन से चंद्रमा पर आने वाले भूकंप की माप का सही पता लगने की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता। बहरहाल अगले कुछ माह बाद कई जानकारियां मिलनी शुरू हो जाएंगी। 

 

चंद्रयान 3 की सफलता दूसरे ग्रहों का अध्ययन आसान करेगी

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि वैज्ञानिकों को इस मिशन से बढ़ी उम्मीदें हैं। चांद के बारे में हमें जितनी जानकारी मिलेगी, दूसरे ग्रहों के बारे में जानकारी आसान होने लगेगी।

भारत की आसमान में एक और बड़े कदम की तैयारी

भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के पूर्व वैज्ञानिक प्रो आर सी कपूर कहते हैं कि देश आसमान की ओर बढ़ी छलांग लगाने जा रहा है। इस मिशन की सफलता देश को अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगा।

श्रोत व फोटो: इसरो


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