अभी से होने लगी ग्रहण के जश्न की तैयारी

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अभी से होने लगी ग्रहण के जश्न की तैयारी

ग्रहण भले ही राशियों के लिहाज से अलग अहमियद रखते हों, लेकिन खगोल प्रेमियों के लिए ये मौके जश्न से कम नहीं होते। जिसे मानने के लिए तैयारियां अभी से शुरू होने लगी हैं। ग्रहण क्षेत्र से लगाने वाले होटलों की एडवांस बुकिंग शुरू हो गई है। वहीं होटल संचालक भी इस मौके को भुनाने के लिए खास तैयारियों में जुट गए हैं। पैकेज बनने शुरू हो गए हैं और ग्रहण के लिए जरूरी सुविधाएं जुटनी भी शुरू हो गई है। ये सब देखकर हम भारतीयों को हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन यूरोपीय व अमेरिकी देशों के लिए कुदरत का यह करिश्मा खास मायने रखता है, वहीं एस्ट्रोफोटोग्राफर भी इस मौके को कतई हाथ से नही जाने देंगे।

छः महीने बाद दिखेगा यह आकर्षक सूर्य ग्रहण

जी हां यहां जिक्र सूर्य ग्रहण का हो रहा है, वह सूर्य ग्रहण , जो छः महीने बाद लगने जा रहा है। उत्तरी अमेरिका में इस ग्रहण का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। उत्तरी अमेरिका में यह ग्रहण 14 अक्टूबर, 2023 को लगने वाला है। उत्तर, मध्य और दक्षिण अमेरिका में एक संकरे पाथ पर दर्शकों को यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ग्रहण के मध्य में, चंद्रमा – अपनी कक्षा के एक दूरस्थ भाग में – सीधे सूर्य के सामने से गुजरेगा। लेकिन सूर्य – चंद्रमा की तुलना में उस दिन आकाश में थोड़ा बड़ा होगा। चंद्रमा के चारों ओर एक चमकीले वलय या वलय के रूप में दिखाई देगा। यहां तक ​​कि ग्रहण पथ पर चलने वालों के लिए भी पूरे समय ग्रहण के चश्मे की जरूरत होगी।

ये रहेगा ग्रहण का पाथ 

14 अक्टूबर, 2023 को वलयाकार सूर्य ग्रहण का मार्ग प्रशांत महासागर में शुरू होकर ओरेगॉन में तट पर पहुंचेगा। नेवादा, चार कोनों क्षेत्र और टेक्सास के माध्यम से दक्षिण पूर्व की ओर जाएगा। फिर यह मैक्सिको की खाड़ी और युकाटन प्रायद्वीप और मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों को पार करेगा। अंत में, यह दक्षिण अमेरिका में कोलंबिया और ब्राजील को पार कर जाएगा। हम वलयाकार पथ के जितने करीब होंगे उतना ही अधिक सुंदर नजारा दिखेगा। पथ के बाहर दर्शकों को आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

20 अप्रैल को लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण

वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार 20 अप्रैल 2023 को लगने जा रहा हैं। यह हाइब्रिड यानी संकर सूर्य ग्रहण होगा। दुनिया के सीमित हिस्सों में इस सूर्य ग्रहण को देखा जा आएगा। सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश आंशिक रूप से छाया में ढक जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का स्पष्ट व्यास सूर्य के व्यास से बड़ा होता है। संकर सूर्य ग्रहण एक दुर्लभ प्रकार का सौर ग्रहण है जो पृथ्वी की सतह पर चंद्रमा की छाया के चलते ही अपना स्वरूप बदलता है। इस ग्रहण में ग्रहण का पाथ समग्रता पृथ्वी की सतह पर एक संकरे रास्ते से होकर गुजरता है। जिसमें आंशिक सूर्य ग्रहण हजारों किलोमीटर चौड़े आसपास के क्षेत्र में नजर आयेगा। यह सूर्य ग्रहण की संपूर्णता उत्तर पश्चिम केप प्रायद्वीप में है, जबकि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में बैरो द्वीप में ग्रह नजर आयेगा। इसके अलावा पूर्वी तिमोर के पूर्वी भागों में ग्रहण का प्रभाव रहेगा। इनके अलावा डामर द्वीप में यह ग्रहण नजर आने वाला है। अंत में इंडोनेशिया में पापुआ प्रांत के कुछ ही हिस्सों में यह दुर्लभ सूर्य ग्रह नजर आएगा।

ग्रहण के प्रकार

सौर वैज्ञानिक डा वहाबउद्दीन के अनुसार आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है लेकिन सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से पंक्तिबद्ध नहीं होते हैं। सूर्य का केवल एक हिस्सा ढका हुआ दिखाई देता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चन्द्रमा की छाया पूर्णरूप सूर्य को ढक लेती है। वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की आंतरिक छाया पूर्णरूप से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य के किनारे के हिस्से रोशन रहते हैं। देखने में यह सूर्य ग्रहण बेहद सुंदर होता है। हाईब्रिड सूर्यग्रहण अलग घुमावदार संकरे पथ के कारण संकर ग्रहण यानी हाईब्रिड कहलाता है।

श्रोत: एरीज वअर्थ स्काई।

फोटो: बबलू चंद्रा।

 


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