चांद का सफर कर वापस लौटा ओरियन – मिशन आर्टेमिस

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 चांद का सफर कर वापस लौटा ओरियन – मिशन आर्टेमिस
धरती पर इंसानों के बड़ते बोझ ने मानव को किसी दूसरी धरती की तलाश के मजबूर कर दिया है। दूसरी धरती की तलाश कब खत्म होगी, इससे लिए कोई समय नहीं, लेकिन पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग जैसी बड़ती दुश्वारियों ने पृथ्वीवासियों की चिंता बड़ा दी है। मगर इस चिंता का पृथ्वी की अधिकांश जनसंख्या का जरा भी अंदाज नही है कि उनकी आने वाली पीढ़ियां दमघोंटू दूषित वातावरण में खुदको कैसे जिंदा रख पाएगी। यह सोच विकसित देशों के समझ आ चुकी है, लेकिन विकासशील देश आज भी अंधकार में जी रहे हैं और पर्यावरण का हर दिन गला घोंट रहे हैं। जिसका परिणाम पैर पसारते ग्लोबल वार्मिंग के रूप में हमारे सामने है। बहरहाल हालात अभी भी उतने नही बिगड़े हैं। इसलिए लोग आने वाले कठिन समय का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। यह जिक्र इसलिए सामने आ गया, क्योंकि दुनिया के चुनिंदा प्रमुख देश मंगल पर मानव की दूसरी धरती बनाने की जुगुत में लगे हुए हैं और इस मंजिल को हासिल करने के लिए नासा का आर्टेमिस 1 मिशन का पहला परीक्षण लगभग सफल हो चुका है। आर्टेमिस मिशन के पहले चरण के ओरियन चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचकर वापस लौटना था और ओरियन चंद्रमा के असमान की सैर कर वापस लौट रहा है। ओरियन छह दिन चांद के असमान में घूमता रहा। अपनी सेल्फी लेता रहा और चंद्रमा की सतह को भी नजदीक से निहारता रहा। अभी वह रास्ते में है और तेज रफ्तार से पृथ्वी की ओर वापस लौट रहा है। अगले कुछ दिन बाद पृथ्वी वह पृथ्वी की सतह पर मौजूद होगा। पृथ्वी पर उतरने की तारीख भी योजना के तहत निर्धारित है। वह 11 दिसंबर को सैन डिएगो के तट पर प्रशांत क्षेत्र में मिशन की सफलता के साथ नासा के इतिहास में चार चांद लगाएगा।
अगली बार माना मानव को लेकर उड़ान भरेगा आर्टेमिस
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इंसानों को यान में सवार कर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इंसान को चंद्रमा की धरती तक लेजाने के लिए ही नासा ने आर्टेमिस के पहले अभियान को परीक्षण के तौर पर तैयार किया था। जिसमें नासा सफल रहा और अब अगले चरण की तैयारी में जुट गया है। नासा के योजना के तहत दो साल बाद 2024 में इंसान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा।
चन्द्रमा से शुरू होगा मंगल का सफर
हम सपना मंगल पर मानव बस्ती बसाने का देख रहे हैं और बात चंदमा की कर रहे हैं। इस विचार का मस्तिष्क में आना लाजिमी है। दरसल अंतरीक्ष के दूसरे किसी ग्रह पर मानव का ठिकाना बनाना कोई आसान काम नही है। ये काम लोहे के चने चबाना जैसा है। मंगल पर आसान नही है। इसके लिए हमे पहले स्पेस में आने वाली समस्याओं को समझना पड़ेगा। इसके लिए हमारे पास चंद्रमा ही वह जगह है, जहां से हम आगे का सफर शुरू कर सकेंगे। अंतरीक्ष के इस सफर से पहले कुछ समय विरान चंद्रमा के वातावरण में खुद को एक हद तक स्थापित करना होगा। हमारी कल्पना से भी कोसो दूर की चुनौतियों पर पार पाना होगा। इतना करने के बाद ही मंगल का सफर शुरू किया जा सकेगा और तब चंद्रमा को हम एक डिपो यानी स्पेस स्टेसन की रूप के इस्तमाल करेंगे।
डा शशिभूषण पांडेय, एरीज
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज, भारत के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय नासा के आर्टेमिशन पर खासा दिलचस्पी रखते हैं। वह कहते हैं कि दुनिया का हर स्पेस एजेंसी यूनिवर्स की दुनिया में कुछ कर गुजरना चाहती है। भारत भी इस दिशा में नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मगर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल को लेकर आर्टेमिस मिशन तैयार किया है, वह सराहनीय है और अब लगता है कि इस मिशन का पहली कामयाबी ने हौसलों को परवान चढ़ा दिया है। बहरहाल मंजिल अभी भी बहुत दूर है। क्योंकि मंगल की न्यूनतम दूरी भी हमसे पांच करोड़ किमी की है।
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श्रोत: नासा आर्टेमिस ब्लॉग व डा शशिभूषण पांडेय, एरीज।
फोटो: नासा आर्टेमिस ब्लॉग ।

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