भारतीय युवाओं के बेहतर भविष्य के द्वार खोलने जा रहा आदित्य एल 1, सकुशल जारी है आदित्य-एल1 का सफर,  मिशन चन्द्रयान 3 : स्लीप मोड में रोबर प्रज्ञान

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भारतीय युवाओं के बेहतर भविष्य के द्वार खोलने जा रहा आदित्य एल 1,

सकुशल जारी है आदित्य-एल1 का सफर, 

मिशन चन्द्रयान 3 : स्लीप मोड में रोबर प्रज्ञान

आदित्य एल 1 सोलर मिशन देश व दुनिया को नई दृष्टि प्रदान करने जा रहा है, वही
भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के बेहतर भविष्य का द्वार खोलने जा रहा है। एरीज आदित्य एल1 सपोर्ट सेल के जरिये यह संभव हो सकेगा।

आदित्य एल1 निःसंदेह देश को सोलर स्पेस मिशन में नासा व ईसा के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने जा रहा है। जिसका लाभ भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया को मिलेगा।
सपोर्ट सेल में आदित्य द्वारा भेजे गए सूर्य के डेटा का विश्लेषण कार्य किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण कार्य का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि पहले यह अवसर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईसा को ही प्राप्त था। वर्तमान में पूरी दुनिया इन्ही स्पेस एजेंसियों पर आश्रित है। अब हमारे पास यह सुविधा उपलब्ध होगी। जिसका पूरा लाभ युवाओं को मिलेगा। साथ ही भारत सरकार के विज्ञान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने की पूर्ति करेगा। सपोर्ट सेल उत्तराखंड के हल्द्वानी में खोला जा चुका है।

सकुशल जारी है आदित्य-एल1 का सफर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आदित्य एल 1 मिशन का सूर्य के पथ पर सफर सकुशल जारी है। इसरो ने यह खबर जारी की है। उपग्रह पूरी तरह से स्वस्थ है और नाममात्र का संचालन कर रहा है। गत दिवस इसे लॉन्च किया था। इसे एल 1 पॉइंट मे पहुचने के लिए 123 दिन का सफर तय करना होगा। अभी इसकी नई कक्षा 245 किमी x 22459 किमी है। इसे अगला युद्धाभ्यास यानी बूस्ट (ईबीएन#2) 5 सितंबर शाम 03:00 (आईएसटी) बजे निर्धारित है।

चन्द्रयान 3 अपने मिशन के 12 दिन पूरे कर चुका है। इसके प्रत्येक पेलोड सही काम कर रहे हैं और अपने प्रत्येक लक्ष्य को पूरा कर रहे हैं। ऑक्सीजन की महत्वपूर्ण खोज कर चुका है और चंद्रमा के सतह व सतह के नीचे के ताप की महत्वपूर्ण जानकारी जुटा चुका है। अब प्रज्ञान रोबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया है। प्रज्ञान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 110 मीटर क्षेत्र में अध्ययन किया। रोबर द्वारा जुटाए आंकड़ों को विक्रम लैंडर इसरो को पहुचाएगा। इसरो ने यह जानकारी दी है।

श्रोत व फोटो: इसरो व एरीज।


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