सूर्य विशेष का 3 एपिसोड
सूर्य से निकलने वाले प्रकाश का सिर्फ 2 अरबवां हिस्सा पहुंचता है पृथ्वी पर
हम तक कैसे पहुँचती है सूर्य का प्रकाश
सूर्य के केन्द्र भाग से शक्तिशाली किरणे जन्म लेती है वो रास्ते मे बहुत से परमाणुओं से टकराती है, सूर्य से उत्सर्जित होकर वो समूचे सौर मंडल मे फैल जाती है । इसी विकिरण का अल्प अंश हमारी पृथ्वी को भी मिलता है, जो सौर ऊर्जा का सिर्फ दो अरबवां हिस्सा हम तक पहुचता है। इतनी ऊर्जा हमारे लिए पर्याप्त है। सूर्य के कई प्रकार की किरणों का का उत्सर्जन होता है विविध प्रकार की तरंगों की किरणें। सिर्फ प्रकाश किरण और रेडियो तरंग ही धरती तक पहुँचती है। बाकी पैराबैगनी तरंगों को हमारा वायुमंडल रोक लेता है। जो हमारे स्वास्थ के लिए वरदान है । क्योंकि ये तरंगे धरती व हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। सूर्य की शक्तिशाली किरणे हमारे ऊपरी वायुमंडल मे 100 से 300 किमी की ऊंचाई मे आयन मंडल बनाती है। धरती के रेडियो केंद्रों से प्रसारित गॉन वाली तरंगे इसी आयन मंडल से टकराकर वापस लौटती हैं। आयन मंडल के कारण ही रेडियो प्रसारण व आज के दौर के टीवी के सिग्नल मिलते हैं।
सौर तेजोग्नि से क्यों दिखते हैं
सन 1957-58 मे सूर्य की सक्रियता महत्तम होने के दौरान सूर्य और पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के अध्ययन के लिए संसार भर के वैज्ञानिकों ने एक योजना बनाई, जिसे अंतरष्ट्रीय भू-भौतिकी वर्ष नाम दिया गया।
इस सामूहिक अध्ययन से आश्चर्यजनक नई जानकारी सामने आई। पहली बार हमें जानकारी मिली कि कई हजार किमी ऊपर आवेशी परमाणु-कर्णो के तीन मंडल हैं। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की धाराओं मे सूर्य द्वारा उत्सर्जित परमाणु-कणो के फसने से इनका निर्माण हुआ। 1958 मे वान आललेन व वेनॉर्वे नामक वैज्ञानिकों ने इन मंडलो की अहम खोज की । इसलिए इस मंडल को इसी नाम से जाना जाता है। सूर्य की घटती बढ़ती सक्रियता का इन मंडलो पर असर पड़ता है। जो सूर्य की सतह की एक अनोखी घटना है- सौर तेजोग्नि- जिसमे चमकीली अतितप्त गैसों के रूप मे सूर्य कलंकों के आसपास सौर तेजोग्नि का जन्म होता है और जबर्दस्त विस्फोट के साथ चंद सेकंड मे ही लाखो करोड़ो किमी का दायरा तेजोग्नि Flare से कांतिमय हो जाता है। और हम ये नही जान सकते कि ये सौर तेज कब जन्म लेंगा। लेकिन 11 या 12 वर्ष के अंतराल मे सौर सक्रियता चरमकाल मे नजर आता है। जिसे सोलर साइकिल कहा जाता है। यह समय एक या दो वर्ष बड भी सकता है। सौर तेजोग्नि की सक्रियता के दरमियां सूर्य की सतह मे ऊंची-ऊंची सौर ज्वालाएं उठती हैं। सतह से हाईड्रोजन-गैस की लपटें टूटकर अलग हो जाती हैं, उनमें से कुछ द्रव जो प्लाज्मा के रूप मे होता है पृथ्वी के वायुमंडल तक भी पहुचता है और वायुमंडल को विशेष रूप से प्रभावित करता है। वायुमंडल मे तेज चुम्बकीय तूफान उठते हैं और ध्रुवीय क्षेत्रो मे अरोरा का खूसूरत नजारा दिखाई देता है।
चुम्बकीय तुफानो का मनुष्य मे क्या प्रभाव पड़ता है इस विषय पर शोध अभी जारी है। मगर ज्योतिषी इस पर बहुत बताते है जबकि किसी को नहीं मालूम कि ये कब जन्म लेगी। इन बातों की जानकारी हमें अभी पिछली सदी मे ही मिली है।
कहने के लिए हम सूर्य से बहुत दूर है। पर हमारी पृथ्वी सूर्य के वातावरण मे ही विचरण करती है। सूर्य की हर हलचल का धरतीवासियों मे कुछ न कुछ खास प्रभाव पड़ता है। अरबो सालो से सूर्य पृथ्वी को प्रभावित करता आया है, आगे और कितने सालो तक सूर्य कितने सालो तक जलता रहेगा, सूर्य का हाइड्रोजन ईंधन कब खत्म होगा पृथ्वी और इसके जीव जगत का क्या होगा? आने वाले संस्करण मे अंतरिक्ष की लेटेस्ट खबरो के timeandspace.in के साथ जानकारी आपको देते रहेंगे.
सूर्य का फाइल फोटो SDO
श्रोत गुणाकर मूले
लेखक बबलू चंद्रा
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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