सूर्य के मुकाबले कुछ नहीं इन सितारों का जीवन: वेब की खोज 

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 युवा तारों का जीवन सिर्फ लाखों साल का, जबकि हमारे सूर्य की उम्र 12 अरब साल से भी अधिक है। 
ये खबर है और हर इंसान का मन  प्रफुल्लित कर देने वाली है कि अंतरिक्ष के गर्भ में झांकने की क्षमता हमने हासिल कर ली है। हमारी इस नजर का काम कर रही है जेम्स वेब स्पेस टेलेस्कोप ने। जिसने  टारेंटयुला नाम के नेबुला यानी निहारिका में बेबी सितारों को कैमरे के आगोश में कैदकर किया है। यह तारे हाल ही में जन्मे हैं।  वैज्ञानिकों इन्हे बेबी तारे बोलकर संबोधित कर रहे हैं। वेब द्वारा ली गई इस निहारिका की तस्वीरों को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा व यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईएसए ने जारी की हैं। देखने में यह तस्वीर अचंभित करती हैं और वैज्ञानिकों को शोध का शानदार प्लेटफार्म दे दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हम तारों के निर्माण के रहस्यों को आसानी से समझ सकते हैं। टारेंटयुला नेबूला हमसे लगभग 160,000 प्रकाश वर्ष दूर है। शोध के लिहाज से  तारों के निर्माण की यह खूबसूरत नर्सरी हैं। 
 मिल्की वे की एक उपग्रह आकाशगंगा है यह निहरिका
 अंतरिक्ष में चंद्रमा से लगभग 4 गुना  यानी करीब 15 लाख किमी दूर वेब टेलिस्कोप  अपनी नजरें सुदूर के अंतरिक्ष में अपनी नजरें जमाए हुए है। खास बात यह है कि  वेब इन्फ्रारेड में देखने की काबिलियत रखती  है। जिस कारण  टारेंटयुला नेबुला के बादलों के पर भी  देख सकता है। जिसके चलते नासा ने इस निहारिका यानी  ​​​​30 डोरैडस की नई छवियां जारी कीं। यह लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में स्थित है। यह हमारी मिल्की वे की एक उपग्रह आकाशगंगा है। जो पृथ्वी से  लगभग 160,000 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद है। 
निहारिका का दिल दिखा दिया तस्वीर ने
वाज्ञानिको के अनुसार इस निहारिका की तस्वीर में  इतना कुछ नजर आता है कि इसके हृदय की गहराई में देख सकते हैं। एक समूह में नजर आते नीले युवा तारे हैं , जो गर्म और बड़े पैमाने पर मौजूद हैं।  यह टारेंटयुला नेबुला के बादलों के पर्दे को भेद सकता है, यह स्पष्ट रूप से देखने के लिए कि बादलों के अंदर क्या क्या बना हुआ है। कहते हैं नीले तारे हमारे सूर्य की तरह अरबों वर्ष तक नहीं जी सकते,  बल्कि कुछ ही लाखों वर्ष जीवित रह पाएंगे। हमारे तारे यानी सूर्य का जीवन साढ़े बारह अरब साल से अधिक का है। अभी तक सूर्य करीब 4 अरब साल का ही जीवन बीता पाया है और एक लंबी उम्र का सफर सूर्य को तय करना है, लेकिन सूर्य की तुलना में इस नेबुला के युवा तारों का जीवन कुछ भी नही। इस निहारिका के नीले तारे,  लाल सितारों की तरह सामान्य नहीं है।  यह विशाल आकार के तारे हैं, जो जल्द ही सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करते हैं। यह जानकारी वास्तव में हैरान करने वाली हैं। इनकी उम्र इतनी कम क्यों हैं। यह सवाल पैदा है। जिसका स्पष्ट खुलासा भी पता चल जाएगा। वैज्ञानिक इस निहारिका को ब्रह्माण्ड की दोपहर की तरह देखते हैं। इसलिए इसे ब्रह्मांडीय दोपहर कहा जाता है। ब्रह्मांडीय दोपहर हमारे ब्रह्मांड में वह समय था जब तारे का निर्माण चरम पर था। हमारे मिल्की वे में टारेंटयुला नेबुला की तरह तेज और उग्र तारा निर्माण का क्षेत्र नहीं है।  टारेंटयुला नेबुला का अध्ययन करना एक छोटे पैमाने पर एक झलक है, जो अरबों साल पहले पूरा ब्रह्मांड जैसा रहा होगा।
डोरैडो द गोल्डफिश के दक्षिणी गोलार्ध के नक्षत्र में स्थित है यह निहारिका
टारेंटयुला नेबुला बड़े मैगेलैनिक बादल में 161,000 प्रकाश-वर्ष पर स्थित है।  डोरैडो द गोल्डफिश के दक्षिणी गोलार्ध के नक्षत्र में है। इसलिए टारेंटयुला नेबुला को कभी-कभी 30 डोरैडस कहा जाता है। यह बादल, धूल भरी तारकीय नर्सरी ज्ञात सबसे गर्म, सबसे विशाल सितारों का घर है। टारेंटयुला नेबुला न केवल लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में सबसे बड़े और सबसे चमकीले तारे बनाने वाले क्षेत्र का घर है, बल्कि हमारे स्थानीय समूह, आकाशगंगाओं के हमारे क्षेत्रीय संग्रह में भी है।
 4 सौ सालों में हम अंतरिक्ष को जितना समझ पाए हैं अब उससे कही अधिक अगले कुछ दशक में जान जाएंगे।  डा एस बी पांडेय, एरीज, इण्डिया 
इधर भारत के नैनीताल में स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के तारों के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि जैसे जैसे तकनीक व सुविधाएं इजाद होते जा रही हैं, हम ब्रह्माण्ड के करीब पहुंचते जा रहे हैं। JWST की सुविधा मानव इतिहास में खगोल के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी है। इस दूरबीन ने अभी तक जितनी भी तवीरें सामने लाई हैं, वो वास्तव में तारे नक्षत्रों को समझने में बेहद मददगार साबित हो रही हैं। एरीज की 3.6 मीटर की ऑप्टिकल दूरबीन DOT की सुविधा से हम ब्रह्माण्ड की गहराई तक झांकने में कामयाब हो पाए हैं। उम्मीद है कि 4 सौ सालों में हम अंतरिक्ष को जितना समझ पाए हैं अब उससे कही अधिक अगले कुछ दशक में जान जाएंगे।  
श्रोत: नासा, अर्थ स्काई और एरीज
Image : NASA/ ESA/ CSA and STScI.

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