नई खोज: खोजा गया ब्रह्माण्ड का सबसे हल्का ग्रह

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कब देख पाएंगे हम दूसरे ग्रहों को

क्या हम अपने सौर मंडल के ग्रहों की तरह दूसरे सौरमंडल के ग्रहों को हम कब देख पाएंगे। यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसका जवाब फिलहाल नहीं है। परग्रह भी हमारे ग्रहों जैसे ही हैं। आज यह जिक्र इसलिए करना पड़ रहा है कि अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले ब्रह्माण्ड की दुनिया को खूब समझते हैं, लेकिन अधिकांश लोग की समझ ब्रह्माण्ड की दुनिया को नही समझते हैं। खासकर यह दुविधा तब बड़ी हो जाती है, जब छोटे मासूम बच्चे बाहरी ग्रहों को देखने की जिद कर बैठते हैं। यह दुविधा अक्सर खगोल वैज्ञानिकों को सामने आती है। दरअसल जिस विधि से बाहरी ग्रहों की पहचान की जाती है, उसके लिए खोज की उस तकनीक को समझना बेहद जरूरी होता है, जो कामसेकम बच्चों का कोमल मस्तिष्क तो नही समझ सकता। वयस्क भी तब तक नहीं समझ सकते, जब तक कि उन्हें सोलर सिस्टम अथवा अंतरिक्ष की बेसिक जानकारी न हो। बहरहाल उम्मीद करते हैं की भविष्य में खगोलविद उस दूरबीन का आविष्कार भी कर ही लेंगे, जिससे हम सैकड़ों हजारों प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह को ही नही बल्कि पूरे सौर मंडल को देख सकेंगे। मगर अब जो बाहरी सौर मंडल के ग्रह खोज हुई है, वह अब तक के सबसे हल्के प्लेनेट के रूप में मानी जा रही है। इस ग्रहमण्डल की खोज वेरी लार्ज टेलेस्कोप से हुई है। आई जानते हैं इस ग्रह के बारे में।

अब तक के सबसे हल्के ग्रह की हुई खोज

चिली में स्थित वेरी लार्ज टेलीस्कोप ने यह खोज की है। यह अब तक के सबसे हल्के एक्सोप्लैनेट यानी दूसरी दुनिया के ग्रह हैं। यह एक्सोप्लैनेट बृहस्पति से लगभग चार गुना बड़ा है , जो अपने स्टार AF लेपोरिस की परिक्रमा करता है। यह एक युवा तारा है। जिसकी परिक्रमा यह ग्रह करता है। यह तारा आकाशीय भूमध्य रेखा के ठीक दक्षिण में लेपस तारामंडल में स्थित है और पृथ्वी से लगभग 87.5 प्रकाश वर्ष दूर है। खगोलविदों ने हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के हिपपारकोस और गैया अंतरिक्ष दूरबीनों द्वारा एकत्रित डेटा के माध्यम से यह खोज की है। आज ही 20 फरवरी को वैज्ञानिकों ने इसकी तस्वीर जारी की हैं।

बृहस्पति से कई गुना बड़ा है ये हल्का ग्रह

विश्लेषण करने के बाद खगोलविदों ने पाया कि हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से यह ग्रह चार से छह गुना बड़ा है। यह एक्सोप्लैनेट एएफ लेपोरिस की परिक्रमा लगभग उसी दूरी पर कर रहा था, जितनी दूरी पर शनि सूर्य की परिक्रमा करता है। साथ ही यह भी पता चला कि प्रत्यक्ष इमेजिंग के संयोजन के माध्यम से खोजा गया अब तक का सबसे हल्का ग्रह है।

यह तारा हमारे सूर्य से दो सौ गुना छोटा है

A F लेपोरिस सूरज से बहुत छोटा है। यह 24 मिलियन वर्ष का है। जानकर हैरानी होती है कि हमारे सूर्य से यह तारा लगभग 200 गुना छोटा है। यह युवा आयु एएफ लेपोरिस और इसकी ग्रह प्रणाली को विशेष रूप से खगोलविदों के लिए दिलचस्प बनाती है। यह खोज हमारे अपने सौर मंडल के विकास में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।

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श्रोत: ईएसओ।
फोटो: ईएसओ / मेसा, डी रोजा एट अल।


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