नई खोज ने खोला राज – कब, कैसे और कहां से आया ब्रह्माण्ड में प्रकाश
ये तो हम सब जानते हैं कि सूर्य के जरिए पृथ्वी में प्रकाश कहां से आता है। मगर हमारे ब्रह्माण्ड में सबसे पहले कब और कैसे प्रकाश आया, यह आज से पहले कोई नही जानता था। अभी तक यह रहस्य बना हुआ था, लेकिन अब यह रहस्य नही रहा। नासा के वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा कर दिया है। नासा की जेम्स वेब स्पेस टेलेस्कोप के जरिए यह पता चल पाया कि बिग बैंग के 4 लाख साल बाद ब्रह्माण्ड में रोशनी आई और यह रोशनी आकाशगंगाओं की उत्पत्ति के बाद संभव हो पाई। आकाशगंगा में जैसे जैसे तारे बनते गए और ब्रह्माण्ड रोशन होता चला गया। इसीकी खोज नासा के वैज्ञानिकों ने की ।
इसका पता नासा की वेब स्पेस टेलिस्कोप द्वारा खोजी गई 717 प्राचीन आकाशगंगाओं से चल पाया। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बाद की यह पहली अकाशगंगाएं थी। जिन्होंने काले ब्रह्मांड को रोशनी से भर दिया था। वैज्ञानिकों का दावा है कि वेब द्वारा खोजी गई नई आकाशगंगाओं में से 93 प्रतिशत को पहले कभी नहीं देखा गया था।
यह खोज एडवांस्ड डीप एक्सट्रैगैलेक्टिक सर्वे के तहत की गई है। जिसका कार्य अंतरिक्ष के प्राचीन आकाशगंगाओं की खोज करना है। एरिजोना में स्टीवर्ड वेधशाला के सहायक शोध प्रोफेसर केविन हैनलाइन व मुख्य लेखक केविन हैनलाइन ने इस रहस्य को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 242वीं बैठक में उजागर किया । वैज्ञानिक कहते हैं कि जेम्स वेब टेलीस्कोप की यह खोज ब्रह्माण्ड में मौजूद आकाशगंगाओ में मुट्ठीभर जितनी है। मगर यह जानने के लिए प्रयाप्त है कि इन्ही की रोशनी से ब्रह्माण्ड रोशन हुआ था। लिहाजा प्राचीन आकाशगंगाओं की खोज बेहद जरूरी है। इस खोज से ब्रह्माण्ड के निरंतर हो रहे विकास को समझने में मदद मिलेगी। इससे पता चलता है कि पहली आकाशगंगा और तारे कैसे बने होंगे। वैज्ञानिक कहते हैं कि जैसा साफ सुथरे ब्रह्माण्ड को हम आज जैसा देखते हैं, पूर्व में बिलकुल भी वैसा नही था, बल्कि बेहद अस्त-व्यस्त था और धूल से भरा वातावरण हुआ करता था। ब्रह्माण्ड की प्राचीन अवस्था को लेकर बनाए गए सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड के विकास का यह चरण रीआयनीकरण का युग कहा जाता है, जो बिग बैंग के लगभग 400,000 साल बाद शुरू हुआ था । तब सितारों की पहली पीढ़ी हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 30 से 300 गुना और लाखों गुना अधिक माना जाता था और ब्रह्माण्ड के गठन में पराबैंगनी तारों के प्रकाश ने अपने प्रचुर हाइड्रोजन परमाणुओं को प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों में विभाजित करके ब्रह्मांड को फिर से आयनित किया। यह प्रक्रिया बिग बैंग के एक अरब साल बाद तक चली थी।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डा शशिभूषण पांडेय कहते हैं कि हम आज भी ब्रह्माण्ड के गूढ़ रहस्यों को ठीक से नहीं समझ पाए हैं। इसके लिए निरंतर अध्ययन की जरूरत है। 717 प्राचीन आकाशगंगाओं की खोज वास्तव में सराहनीय है। इससे हमें ब्रह्माण्ड के निर्माण को समझने में मदद मिलेगी।
श्रोत व फोटो: अर्थ स्काई।
Journalist Space science.
Working with India’s leading news paper.
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