नई खोज: कितने तारे हैं हमारी आकाशगंगा के दक्षिण में ?

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कितने तारे हैं हमारी आकाशगंगा के दक्षिण में ?

हमारी अकशगंगा ( मिल्की वे) एक विशाल द्वीप है। जिसमें अरबों सितारों, ग्रहों, नेबुला और अथाह पिंड है। जिनकी थाह पाने को वैज्ञानिक प्रयासरत करते रहते हैं। अब वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के दक्षिणी हिस्से का आश्चर्यजनक सर्वेक्षण कर मानचित्र तैयार किया है। यह सर्वे डार्क एनर्जी कैमरा से किया है। जिससे यह पता चल पाया की हमारी आकाशगंगा के दक्षिणी हिस्से में तारों समेत कितने अन्य पदार्थ मौजूद हैं और इसका मानचित्र तैयार कर डाला। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मानचित्र भविष्य में खोज की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

तकनीक के जरिए संभव हो सकी यह खोज 

नई तकनीक के चलते यह नायब खोज संभव हो पाई है। इस तरह से हम समझ सकते हैं कि तीन अरब से अधिक लोगों के समूह के बीच सिर्फ एक व्यक्ति की पहचान करनी है, जो कतई आसान नहीं, बल्कि नामुमकिन है, लेकिन तकनीक के जरिए यह संभव हो सकता है। इस शोध ने यही कर दिखाया है।

*आकाश मे उत्तर से दक्षिण मे फैला सघन तारो का शुभृ पट्टा नदी के प्रवाह जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए पुराने जमाने मे ही इसे आकाशगंगा (मिल्की वे) का नाम दिया गया था। पौराणिक काल मे जिसे स्वर्ग / आकाश की गंगा नदी की धारा (मंदाकिनी) कहा गया।*

 तारों समेत 3.32 बिलियन ऑब्जेक्ट हैं

अंतरीक्ष की गहराइयों की जांच पड़ताल भूषे में सुई खोजना जैसा है। नई खोज के अनुसार हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के दक्षिण में लगभग 3.32 बिलियन अलग-अलग पिंड शामिल हैं । इनका पता लगाने में वैज्ञानिकों को दो साल का समय लग गया। यह नया शोध हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट सीरीज़ में प्रकाशित किया गया है। खगोलविदों ने सर्वेक्षण करने के लिए चिली में सेरो टोलो इंटर-अमेरिकन ऑब्जर्वेटरी (सी आई टी आई ओ) 4 मीटर टेलीस्कोप की मदद ली। जिसमें डार्क एनर्जी कैमरा का उपयोग किया गया।

 360 डिग्री पैनोरमा मानचित्र

नए सर्वेक्षण से खगोलविदों को मिल्की वे के 360 डिग्री पैनोरमा को पूरा करने में भी मदद की। खगोलविदों ने पैन-स्टारआरएस 1 के डेटा के साथ जोड़कर किया गया। इसी तरह एक दूसरे सर्वेक्षण हवाईयन पैन-स्टारआरएस टेलीस्कोप के साथ देखा गया। इस तरह से शोध पूरा करने में मदद मिल सकी।

अथाह विशाल है हमारी आकाशगंगा 

वैज्ञानिकों ने पूर्व में प्रारंभिक डेटासेट जारी किया था। नए डेटासेट के साथ सर्वेक्षण में कुल मिलाकर रात के आकाश का 6.5% हिस्सा शामिल किया जा सका। यह क्षेत्र लंबाई में 130 डिग्री तक फैला हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि निश्चित रूप से यह बहुत अधिक क्षेत्र नहीं लग सकता है, लेकिन इसमें अभी भी 3.32 बिलियन ऑब्जेक्ट शामिल हैं। वास्तव में इससे यह पता चलता है कि हमारी पूरी आकाशगंगा वास्तव में कितनी विशाल है।

सहयोग बबलू चंद्रा।

https://space23lyear.com

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स्रोत: द डार्क एनर्जी कैमरा प्लेन सर्वे 2 (DECaPS2)

फोटो: DECaPS2/ DOE/ FNAL/ DECam/ CTIO/ NOIRLab/ NSF/ AURA/ M. Zamani/ D. de Martin

 


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